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आइए आपको मिनी पाकिस्तान दिखाता हूं|

यह में नहीं बल्कि पश्चिम बंगाल, ममता सरकार में शहरी विकास मंत्री रहे फरहाद हकीम कह रहे है| दरअसल पाकिस्तानी अखबार डॉन की पत्रकार मलीहा हमीद सिद्दीकी पश्चिम बंगाल में फरदाह हकीम के चुनाव प्रचार को कवर कर रही थीं| तभी पाकिस्तानी पत्रकार से मंत्री ने कहा है कि ‘आइए आपको कोलकाता के मिनी पाकिस्तान गार्डन रिच इलाके को दिखाता हूं|’ फरहाद हकीम ने मिनी पाकिस्तान क्यों कहा उनका कहने का भाव ऐसा क्यों रहा थोडा गंभीर विषय है| एक तो पाकिस्तान भारत का दुश्मन है, जो हमेशा इस देश में अस्थिरता फैलाना चाहता है| हो सकता है इस इलाके में भी कोई आतंक की फेक्टरी हो जिस वजह से इसे मिनी पाकिस्तान कहा हो? वरना मुस्लिम आबादी के हिसाब से कहा होता तो शायद कोलकाता से थोड़ी दूर मुस्लिम देश बांग्लादेश भी है क्यों नहीं फरहाद हकीम ने इस इलाके को मिनी बांग्लादेश कहा? कारण अभी स्पष्ट नहीं, लेकिन पाकिस्तानी अखबार डॉन की पत्रकार मलीहा हमीद सिद्दीकी के फेसबुक पेज पर लाइक लगातार बढ़ रहे है|
मिनी पाकिस्तान कहने की सोच के पीछे एक नहीं बहुत सारे कारण लगाये जा सकते है| मसलन उन लोगों के द्वारा भारत के लोकतंत्र में आस्था ना रखना, भारतीय सविंधान की अपेक्षा इस्लामिक कानूनों को ज्यादा महत्व देना| ईशनिंदा आदि के आरोप लगाकर अल्पसंख्यक समुदाय के हिंसात्मक रवैया अपनाना, भारत के दुश्मनों को पनाह देना, या भारत को कमजोर कर टुकड़े करने के सपने देखना? या अन्य समुदाय के लिए असुरक्षा का खतरा होना? अगर मुस्लिम बहुल आबादी के नजरिये से ही मिनी पाकिस्तान कहा है तो फिर भारत में ना जाने ऐसे कितने मिनी पाकिस्तान है| बस जरूरत है थोडा सा पीछे हटकर देखने की| धार्मिक आधार पर हुए बंटवारे के बाद बहुत अधिक संख्या में मुस्लिम समुदाय पाकिस्तान या तो गया नहीं, या जा नहीं पाया| जो नहीं गया, यदि उसको भूलकर देखे तो जो नहीं जा पाया उसका मानसिक रूप से अभी भी लगाव पाकिस्तान के साथ है| जिसका उदहारण कई मौको पर पाकिस्तान के झंडे लहराये जाने की खबर सुनकर अंदाजा लगाया जा सकता है| 1947 में जब देश स्वतंत्र हुआ तब देश में हिन्दू आबादी 84 प्रतिशत और मुस्लिमों की आबादी 9 प्रतिशत थी| जो अब हिन्दू 79% और मुस्लिम 15 प्रतिशत के पार पहुँच गयी है| जम्मू कश्मीर तो पूर्व से ही मुस्लिम बहुल आबादी वाला कहो या फरहाद हकीम के शब्दों में मिनी पाकिस्तान रहा है| अब असम में भी मुस्लिम आबादी 34 प्रतिशत के पार पहुँच गयी है| वहां पर कम से कम आठ जिले तो ऐसे है जिनमें मुस्लिम आबादी 50 से 75 फीसदी हो गयी है|

उत्तर प्रदेश में मुस्लिम आबादी 19 से 20 प्रतिशत है लेकिन यहाँ भी कई जिलों में 40 से 50 फीसदी मुस्लिम जनसँख्या बढ़कर मिनी पाकिस्तान बन गये है| पश्चिम बंगाल में तो 24 परगना इलाके में ना जाने कितने मिनी पाकिस्तान है| केरल के बाद बिहार का दरभंगा, सुपौल, मधुबनी के साथ सीमांचल और मिथिलांचल के कई ऐसे इलाके हैं, जिन्हें भी टी.एम् सी नेता की जुबान में आप मिनी पाकिस्तान कह सकते है| यदि बात पश्चिमी उत्तरप्रदेश की करो तो मुज्जफरनगर दंगे के बाद राहुल गाँधी ने खुद स्वीकार किया था कि यहाँ आइएसआई अपनी पेठ बढ़ा रही है क्योकि कैराना से सहारनपुर जिले के बेहट क्षेत्र तक बहुत इलाका मिनी पाकिस्तान बन चूका है|
इससे पहले मुंबई के नालासोपारा में भी ऐसा ही मामला सामने आया था, जहां 500 मुस्लिम परिवारों को कथित तौर पर जो बिजली बिल दिया जा रहा था उसमें उनके पते के तौर पर ‘छोटा पाकिस्तान’ का जिक्र किया गया। पिछले दिनों अखबारों में अहमदाबाद का मिनी पाकिस्तान भी न्यूज़ रूम की खबर बन चूका है| साबरमती नदी के किनारे चल रही एक परियोजना के कारण वहां रहने वाले लगभग 2,500 मुस्लिम के इलाके को मिनी पाकिस्तान कहा जाता है| आज भारत के हैदराबाद में भी यही स्थिती निर्माण करने की कोशिश की जा रही है। मुस्लिम कट्टरपंथी आज वही सब काम करने की कोशिश करते है जो केवल पाकिस्तान मे ही संभव है। दुर्भाग्य से यहां के सेक्युलर राजनीतिक दल मुस्लिम वोटों के लालच में इन कट्टरपंथियों पर लगाम लगाने की जगह इनके हाथ की कठपुतली बनकर अन्य समुदाय पर अमानवीय अत्याचार करते है । अगर दुसरे समुदाय के कुछ लोग इसका विरोध करते है तो सबसे पहले मुस्लिम कट्टरपंथी उन पर हमला करते है और उसके बाद प्रशासन उनके गुलाम की तरह उनके नेताओं पर झूठे केस बनाकर उनकी आवाज को निर्ममता से कुचलने की कोशिश करता है । वैसे तो निजामशाही के समय से ही वहा पर हिन्दू समाज की स्थिती दूसरे दर्जे के नागरिक की थी। किन्तु निजाम के बाद हैदराबाद में पाकिस्तान की तरह ही धर्मनिरपेक्षता के नाम पर एक वर्ग को कुचला जाना अभी तक जारी है| अब देखो देश में मिनी पाकिस्तान तो बन गया क्या देश का दूसरा पाकिस्तान भी बन सकता है?

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