Tekken 3: Embark on the Free PC Combat Adventure

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आधी दुनिया के लिए अलग कानून

सऊदी अरब की राजधानी में पुलिस ने एक महिला को सोशल मीडिया पर बिना बुर्के की तस्वीर पोस्ट करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. पुलिस प्रवक्ता ने कहा कि आम नैतिकता और संस्कृति को बरकरार रखने के लिए पुलिस ने यह कार्रवाई की है. शायद संस्कृति के चिंतको के लिए यह खबर उतनी मजेदार हो जितना अकेले में लेटकर शकीरा का “वाका वाका” या “हिप डोन्ट लाइ” देखना.

मुझे यह खबर दिलचप्स इस वजह से लगी कि पिछले दिनों भारत में कुछ लोग क्रिकेटर मोहमद समी को उसकी पत्नी के कपड़ों पर भी नेतिकता और संस्कृति का ज्ञान झाड रहे थे. मैं कुर्सी पर बैठा सोच रहा हूँ कि क्या देश और स्थान बदलने से भी इनकी सोच नहीं बदलती? ये इनकी नैतिकता क्या है? एक मीठा फल या तलवार या एक नरम बिछोना जिस पर इसके ठेकेदार सोते है.

ये इनकी संस्कृति किस चीज का नाम है? एक जलाशय, हिमखंड या ओजोन की परत? कि कहीं इसकी देखभाल बिना ब्रह्माण्ड का विनाश हो जाये? चलो यह भी छोड़ दो चलो यह बताओ इसे महिला ही क्यों बचाए, पुरुष क्यों नहीं? रविवार को नाई की दुकान पर बैठा था दुकान के सामने से जींस पहने लड़की गुजरी नाई ने चमड़े के टुकड़े पर गुस्से से उस्तरा रगड़ते हुए दांत भींचकर कहा ये देखो बेशर्म कहीं की फिर लोग कहते है इनका रेप हो गया.

यह एक सोच है, क्या सोच का सिर्फ एक निश्चित दायरा होता है? एक सीमा रेखा, यदि इससे आगे सोचा तो धर्म पर खतरा. या फिर संस्कृति ढेह जाएगी? क्या यह सोच हमें विरासत में मिलती है?  या कुछ मटाधीश, मौलवी जितना वो सोचते उतना ही हम सोचे, उनसे आगे सोचना मतलब मजहब का अपमान? अच्छा ये संस्कृति इतनी कमजोर क्यों होती है?  जो हर समय बचानी पड़ती है.

अच्छा जब किसी मेले के रंगारंग कार्यक्रम में लडकियां नाचती है तो 50 लोगों के खड़े होने की जगह में 200 खड़े हो जाते है तब मनोरंजन. पर जब अपनी बहन बेटी किसी गीत पर थिरके तो शर्म की बात या परिवार की इज्जत पर खतरा क्यों?

अच्छा सिनेमा के पर्दे पर कम कपड़ों में नायिका की एंट्री पर सीटी बजाये पर जब अपनी पत्नी बिना हिजाब के बाहर मिल जाये तो सम्मान पर खतरा या फिर तलाक क्यों?

अच्छा जब मजहब के नाम पर 200 लोगों के सर कलम किये जाये तब नैतिकता पर कोई प्रश्न नहीं!! लेकिन जब कोई महिला स्कूटी चलाये तो संस्कृति पर भूकम्प की अजान क्यों?

अच्छा जब नाइजीरिया में 10 से 12 साल की करीब 400 बच्चियों को बोकोहरम वाले मजहब के नाम पर उठाकर आतंकियों को बांटते है तब नैतिकता ऊँची. पर जब टीवी कलाकार सना अमीन शेख मांग में सिंदूर डाल लेती है संस्कृति का नीचापन क्यों?

अच्छा जब पराये पुरुष से पर्दा रखना शालीनता और संस्कृति है, तब तलाक के बाद हलाला पर चुप्पी क्यों? अच्छा जब लाखों रूपये के फतवे गर्दन उड़ाने के आते है तब शान की बात. पर तसलीमा की एक किताब लज्जा की निंदा क्यों?

अच्छा जब इराक में यजीदी समुदाय की बच्चियों को उठकर सेक्सस्लेव बनाकर सिगरेट के दाम पर बेचा जाता है तब संस्कृति के चाँद पर सितारे. लेकिन जब एक लड़की बुर्का उतारकर टेनिस खेले तब शालीनता का राग क्यों?

अच्छा जब 90 प्रतिशत महिलाएँ पुरुष की अनुमति के बिना घर से बाहर न निकल सकें और कोई मिनरा सलीम अन्टार्कि्टका पर कदम रख दे. तब औरत की हद का रोना क्यों?

अच्छा जब 95 प्रतिशत बलात्कार से प्रभावित महिलाएँ और उनके परिजन चादर में मुँह छिपाए छिपाए घूमें और कोई मुख़्ताराँ माई सर उठा कर खड़ी हो जाए तो मजहबी फुंकार क्यों?

अच्छा जब हजारों महिला तलाक का दंश झेले तब संस्कृति और रिवाज हिस्सा पर जब कोई शायरा बानो या आफरीन सुप्रीम कोर्ट में खड़ी हो जाये तो मजहब का रोना क्यों?

अच्छा एक बात और बताओं महिला दुनिया की आधी आबादी है ना इन्हें घर से बाहर निकलने दो, ना इन्हें पढने दो, न खेलने दो न कूदने दो न पसंद के कपडे पहनने दो फिर इनका क्या करोंगे? ये आधी आबादी के लिए अलग से कानून क्यों?  मेरे पास सवाल है जवाब नहीं..राजीव चौधरी

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