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कोरोना में चीन का हाथ या चंद्रमा का ?

कोरोना माई की जय हो, बिहार से भाग जाओ, देश से भाग जाओ, जहां से आई हो, वहीं चली जाओ। ये नारे पिछले दिनों बिहार में महिलाओं के द्वारा लगाये जा रहे थे ये वीडियो सोशल मीडिया पर भी खूब वायरल हुई थी। जिसमें कुछ महिलाएं कथित कोरोनामाई की पूजा करने के बाद ऐसा कर रही थी. हालाँकि इससे पहले “गो कोरोना गो”  का  ऐतिहासिक  नारा लगाने वाले केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले का वायरल वीडियो भी शायद सभी ने देखा होगा, अब भारत से कोरोना वायरस को भगाने के लिए कुछ राज्यों में पूजा-पाठ और गीतों का सहारा लिया जाने लगा है। बिहार से लेकर असम तक कई राज्यों से ‘कोरोना माई’ की पूजा के साथ-साथ, बली देने की घटनाएं भी सामने आ रही हैं।

कुछ जगह महिलाएं सात गड्ढे खोद कर उसमें गुड़ का शर्बत डालकर के साथ लौंग, इलायची, फूल व सात लड्डू रखकर पूजा करने जुटी हैं, जिससे इस महामारी से छुटकारा मिल जाए। तो बिहार के मुजफ्फरपुर के ब्रह्मपुरा स्थित सर्वेश्वरनाथ मंदिर में पिछले कई दिनों से ‘कोरोना माता’ की पूजा हो रही है। वैसे ये मामला अब सिर्फ बिहार तक सीमित नहीं रहे है। देश के कई हिस्सों में महिला-पुरुष महामारी के प्रकोप को खत्म करने के लिए पूजा कर रहे हैं। उनका कहना है कि ‘कोरोना माई’ उन पर नाराज न हों, इसलिए ये जरूरी है कि  जानलेवा वायरस का अंत करने का एकमात्र तरीका यही पूजा है। सिर्फ इतना ही नहीं बताया जा रहा है कि झारखंड के कोडरमा जिले के उरवां गांव में आस्था के नाम पर अंधविश्वास का खेल चला जिसमें देवी माता के मंदिर में कोरोना को शांत करने के लिए एक दिन में करीब 400 बकरों और मुर्गों की बलि तक दे दी गई।

वैसे देखा जाये कोरोना महामारी के उद्गम को लेकर विश्व में एक चर्चा आम है कि यह महामारी चीन के वुहान शहर के किसी लेब से फैली जिससे आरम्भ में वुहान और फिर पर्यटकों और आम नागरिकों की आवाजाही के कारण इससे आज पूरा विश्व जूझ रहा है। लाखों लोग इससे अपने प्राण गंवा चुकें है और इससे कई गुना बड़ी संख्या में विश्व भर में लोग इस वायरस से संक्रमित है। भारत में ही देखें तो लाखों लोग संक्रमित है, हजारों से अधिक लोगों को यह बीमारी लील चुकी है।

जहाँ दुनिया भर के लोग इस महामारी के लिए चीन को दोषी ठहरा रहे है वहीं  भारत के ज्योतिष चार्य इस महामारी के लिए चन्द्रमा पर आरोप लगा रहे है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषचार्य ने कहा है करोनावायरस को फैलाने में चंद्रमा का सबसे बड़ा हाथ है। क्योंकि चन्द्रमा जल तत्त्व का कारक है, समुद्र और समुद्र से संबंधित उत्पादों पर चंद्रमा का आधिपत्य होता है।

किन्तु एक दूसरे ज्योतिषी ने इसमें चंद्रमा को बरी कर दिया और कोरोना का मुकदमा केतु ग्रह के नाम लिख दिया। इन बाबा जी ने बताया कि मार्च 2019 से ही केतु धनु राशि में चल रहा है लेकिन चार नवम्बर 2019 को बृहस्पति का प्रवेश भी धनु राशि में हो गया था। जिससे बृहस्पति और केतु का योग बन गया और चार  नवम्बर को बृहस्पति और केतु का योग शुरू होने के बाद कोरोना वायरस का पहला केस चीन में नवम्बर के महीने में ही सामने आया था।

अब एक तीसरे गुरु घंटाल सामने आये और बोले वैज्ञानिकों की राय बेकार है। कोरोना के फैलने का कारण है आकाश मंडल और इन्होने चार ग्रहों पर मुकदमा दायर कर दिया। इसमें सूर्य, शनि, चंद्र, केतु इनके कारण कोरोना बीमारी फैली और इन ग्रहों की यह स्थिति 2021 तक विद्यमान रहेगी क्योंकि ये विपरीत प्रभाव में चल रहे है।

अब बात यही खत्म नहीं होती काशी विद्वान परिषद संगठन मंत्री एवं ज्योतिष शास्त्री पं. दीपक मालवीय जी ने तो कोविड-19 यानि कोरोना के फैलने का कारण ग्रहों की टेढ़ी चाल बताया मतलब ग्रह सीधे चल रहे थे अचानक लचर पचर होकर चलने लगे।

जहाँ दीपक मालवीय ने सभी ग्रहों को इसमें दोषी माना तो ज्योतिष शास्त्र पर पकड़ रखने वाले आचार्य डॉ. ज्योति वर्धन साहनी ने इसमें कई ग्रहों को बरी कर दिया उन्हें जमानत दे दी, कुख्यात केतु ग्रह को भी पेरोल पर रिहा कर दिया और असली अपराधी राहु और शनि को बताया। इनका कारण बड़ा दिलचस्प है इनके अनुसार राहु का अंक 4 होता है, 4 नंबर यानि 22 मार्च। राहु का शतभिषा नक्षत्र भी 22 मार्च को लग रहा है उसे सनी का साथ मिला और दोनों ने मिलकर तबाही मचा दी।

एक प्रसिद्ध ज्योतिषी ने कोरोना की कुंडली ही बना दी चार नवम्बर को इतने बजे इस घड़ी में कोरोना का जन्म हुआ। इसकी कुंडली में शनि मजबूत है, इसे राहू का साथ मिला है। कोरोना के ग्रह के ग्रह नक्षत्र इतने प्रभावी और मजबूत बताये कि आम आदमी को कोरोना से चिढ हो जाये कि काश मेरे भी ग्रह नक्षत्र इतने मजबूत होते।

अब हो सकता है एक पल को आपको लगे कि हम आपकी आस्था पर चोट कर रहे है। लेकिन असल में हम आस्था पर नहीं बल्कि अंधविश्वास पर चोट कर रहे है।  क्योंकि 21 मार्च तक किसी ज्योतिष को नहीं पता था कि अचानक सम्पूर्ण भारत में लॉक डाउन लगेगा और राहू केतु की दिशा बदलने वाले खुद सरकारी दिशा निर्देशों के भरोसे बैठ जायेंगे।

निर्मल बाबा जैसे लोग जो समोसे और चटनी से कृपा बरसाते थे। जो पिछले दो महीने से गायब है खुद मास्क लगाकर अपनी ही कृपा बचाने में व्यस्त है। निर्मल बाबा ही क्यों अनेकों ज्योतिष से लेकर बाबाओं, मौलानों पीर बंगाली बाबा कोई भी एक ऐसा नहीं है जिसनें इस महामारी के बारे में बताया हो। लेकिन जब महामारी आई तो अचानक ये लोग फिर राहू केतु में अटक गये। यानि आज के सभी ज्योतिषी कोरोना महामारी के बारे में बताने में नाकाम रहे हैं।

भले ही बहुत लोग ज्योतिष पर अँधा विश्वास करते हो लेकिन ज्योतिष एक ऐसी विद्या है लोगों को डर, के जीवन में धकेलती है। लोग इस डर से बचने के लिए ज्योतिष पर पैसा लुटाने लगते है, बात सिर्फ इतनी होती तो चल जाती लेकिन इस पर विश्वास करने वाला ईश्वर पर या खुद पर भरोसा नहीं करता और वह कर्म के सिद्धांत की अपेक्षा भाग्यवादी बनकर जीवन यापन करना शुरू कर देता है। ऐसे व्यक्ति में विश्वास और निर्णय लेने की क्षमता खत्म हो जाती है। जो लोग वेद, ईश्वहर और कर्म पर भरोसा करते हैं वे किसी ग्रह या नक्षत्र से नहीं डरते नहीं है। लेकिन इसके विपरीत ज्योतिषफल पाखंड और ढोंग के सहारे बढ़ता है? आज आप अपने मन से प्रश्न कीजिये क्या आप ईश्वर में विश्वास करते है, तो फिर ज्योतिष के अंधविश्वास के फेर में क्यों..?

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