Tekken 3: Embark on the Free PC Combat Adventure

Tekken 3 entices with a complimentary PC gaming journey. Delve into legendary clashes, navigate varied modes, and experience the tale that sculpted fighting game lore!

Tekken 3

Categories

Posts

क्या अब यहाँ आत्मरक्षा करना भी जुर्म है?

सरकार कहती है, नारीशक्ति मजबूत हो, जिस देश की माताएं-बहने मानसिक, आत्मिक रूप से मजबूत होगी उस देश की आने वाली संताने भी मजबूत होगी, जिससे देश धर्म का मान सम्मान ऊँचा होगा किन्तु आज के हालात देखे तो देश के अन्दर हर एक घंटे में हजारों की तादात में महिलाओं के साथ छेड़छाड़, रेप, आदि ना जाने कितने शर्म से सर झुका देने वाले केस दर्ज होते है| यह सब जानते हुए फिर भी कल से कुछेक मीडिया के लोग चीख रहे है कि आखिर देश में हो क्या रहा है। रोजाना महिलाओं के होते अपमान पर वासना की भट्टी में जल रही नारी के सम्मान पर चीखने वाली मीडिया पूछ रही है, क्या वाकई ऐसे हालात हैं कि लड़कियों के लिए अब हर कोई ट्रेनिंग केम्प लगा रहा हैं। इन ट्रेनिंग केम्पों में आत्म रक्षण के लिए तलवार,एयर गन ,जुडो कराटे के अलावा प्रेम में धोखे से बचने की ट्रेनिंग इन महिला प्रषिक्षणार्थियों को दी जा रही है। ये कोई नई घटना नहीं है| सबको ज्ञात है आर्यवीर दल, आर्य समाज लड़कियों को आत्मरक्षा, चरित्रनिर्माण प्रशिक्षण देता आया है| शिविर का उद्देष्य बहन बेटियों को आत्मरक्षा, धर्म रक्षा एवं नारी स्वावलम्बन को ध्यान में रखते हुए दिया जाता रहा है, ताकि वे आत्मरक्षा के लिए दूसरे पर आश्रित ना रह सकें। यह कोई नई परम्परा नहीं है, न कोई न कोई नया रिवाज हमारे यहाँ तो वैदिक प्राचीन काल का इतिहास नारी की गौरवमयी कीर्ति से भरा पड़ा है नारी जाति ने समय समय पर अपने साहस पूर्ण कार्यों से दुष्मनों के दांत खट्टे किये हैं| प्राचीन काल में स्त्रियों का पद परिवार में अत्यंत महत्वपूर्ण था गृहस्थी का कोई भी कार्य उनकी सम्मति के बिना नहीं किया जा सकता था| न केवल धर्म व् समाज बल्कि रण क्षेत्र में भी नारी अपने पति का सहयोग करती थी| कहते है अद्वित्य रण कौशल से कैकयी ने अपने महाराज दशरथ को चकित किया था| गंधार के राजा रवेल की पुत्री विश्पला ने सेनापति का दायित्व स्वयं पर लेकर युद्ध किया वह वीरता से लड़ी पर टांग कट गयी, जब ऐसे अवस्था में घर पहुंची तो पिता को दुखी देख बोली यह रोने का समय नहीं, आप मेरा इलाज कराइये मेरा पैर ठीक कराइये जिससे मैं फिर से ठीक कड़ी हो सकूं तो फिर मैं वापस शत्रुओं का सामना करूंगी|
ऐसी ना जाने कितनी वीर माताएं बहने इस भारत माता की कोख से जन्मी जिसके एक दो नहीं ना जाने कितने नारी के त्याग से बलिदान तक के यहाँ हजारो किस्से मिल जायेंगे| झाँसी की महारानी लक्ष्मीबाई, विदेशी शासकों को खदेड़ने वाले भारतीय स्वाधीनता संग्राम के अमर सेनानी थी| जिन्होंने भारत में सांस्कृतिक जीवन मूल्यों की पुनरूस्थापना के लिए अपने जीवन का सर्वस्व बलिदान दिया। कौन भूल सकता हाड़ी रानी के उस पत्र को जो उसने युद्ध में जाते हुए राजा को भेजा था जिसमें उसने लिखा था मैं तुम्हें अपनी अंतिम निशानी भेज रही हूं। तुम्हारे मोह के सभी बंधनों को काट रही हूं। अब बेफ्रिक होकर अपने कर्तव्य का पालन करें मैं तो चली स्वर्ग में तुम्हारी बाट जोहूंगी। पलक झपकते ही हाड़ी रानी ने अपने कमर से तलवार निकाल, एक झटके में अपने सिर को उड़ा दिया। ताकि राजा युद्ध में बेखोफ लड़ सके| शिवाजी महाराज की माता जिजाबाई भी किसी प्रेरणा से कम नहीं| ऐसी ही भारत की एक वीरांगना दुर्गावती थीं जिन्होने अपने विवाह के चार वर्ष बाद अपने पति दलपत शाह की असमय मृत्यु के बाद अपने पुत्र वीरनारायण को सिंहासन पर बैठाकर उसके संरक्षक के रूप में स्वयं शाशन करना प्रारंभ किया और मुगल शाशको से लड़ते-लड़ते बलिदान के पथ पर बढ़ गयीं थी।
यदि वो इतिहास पुराना लगता हो तो तमलुक बंगाल की रहने वाली मातंगिनी हाजरा ने 1942 में भारत छोडो आन्दोलन में भाग लिया और आन्दोलन में प्रदर्शन क दौरान वे 73 वर्ष की उम्र में अंग्रेजों की गोलियों का शिकार होकर मौत के मुह में समाई असम के दारांग जिले में गौह्पुर गाँव की 14 वर्षीय बालिका कनक लता बरुआ ने 1942 इसवी के भारत छोडो आन्दोलन में भाग लिया अपने गाँव में निकले जुलूस का नेत्त्रत्व इस बालिका ने किया तथा थाने पर तिरंगा झंडा फहराने के लिए आगे बढ़ी पर वहां के गद्दार थानेदार ने उस पर गोली चला दी जिससे वहीँ उसका प्राणांत हो गया| इस कड़ी में स्वतन्त्रता सेनानी दुर्गा भाभी भी किसी परिचय का मोहताज नहीं है कस्तूरबा गाँधी, जिन्होंने दक्षिण अफ्रीका में घूमकर महिलाओं में सत्याग्रह का शंख फूंका| चंपारण, भारत छोडो आन्दोलन में जिनका योगदान अविस्मर्णीय रहा इस तरह की नारी वीरता भरी कहानियों से इतिहास भरा पड़ा है.और किसी भी वीरता, धैर्य ज्ञान की तुलना नहीं की जा सकती| किन्तु इस सबके बावजूद नारी को अबला बेचारी कहा जाता है| यदि ये सब वीर महिलाएं गलत थी तो फाड़कर फेंक दीजिये इतिहास को यदि नहीं नारी चरित्र निर्माण आत्मरक्षा शिविर में हस्तक्षेप के बजाय सहयोग कीजिये ताकि हमारे देश कि नारी शक्ति आत्मनिर्भर हो| अब यदि हम कुछ और उदाहरण देखें तो हम यही पाएंगे कि नारी यदि कहीं झुकी है तो अपनों के लिए झुकी है न कि अपने लिए उसने यदि दुःख सहकर भी अपने चेहरे पर शिकन तक नहीं आने दी है तभी एक गीत में लिखा है कोमल है कमजोर नहीं तू, शक्ति का नाम ही नारी है|
किन्तु आज इस शक्ति को किस तरह अपमानित किया जा रहा है यह सोचनीय विषय है आर्य समाज ने हमेशा नारी शक्ति को ऊँचा उठाया देश और समाज को सन्देश दिया नारी हमारे लिए पूजनीय है आर्य वीर दल के प्रदेश मंत्री आचार्य धर्मवीर जी ने इस प्रशिक्षण शिविर को लेकर ठीक कहा है कि हम बच्चों को शारीरिक आत्मिक और समाजिक उत्थान के लिए ऐसे केम्प पूरे देश में लगाएंगे। इस केम्प में हम ने बच्चों को आत्मरक्षण और बौद्धिक चीजें सिखाई हैं। देश में लड़कियों को हेय द्रष्टि से देखा जाता है, उनके अंदर आत्म विश्वास जागे, इसलिए हमने ये केम्प लगाया है। राष्ट्र को भ्रष्ट करने की जो साजिश होगी हम उसके खिलाफ खड़े होंगे हम अपनी संस्कृति को बचा रहे हैं। हमने इन बच्चियों को बताया है कि दोस्ती और थोड़े प्रलोभन के चक्कर में ऐसे ना फसे। अपने गुरु, माता पिता की आज्ञा का पालन करें। इसमें कुछ गलत कैसे हो गया क्या अब आत्मरक्षा करना भी जुर्म और पाप हो गया?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *