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जहाँ अलगाववाद के नारे लगते थे आज वहां जय हिन्द और वंदेमातरम् गूंज रहा है।

आदिवासी बच्चों की मदद को कपड़ें, जूते-चप्पल, किताबें आदि प्रदान करने लिए सहयोग नामक योजना शुभारम्भ किया गया।

जहाँ अलगाववाद के नारे लगते थे आज वहां जय हिन्द और वंदेमातरम् गूंज रहा है। -महाशय धर्मपाल

देश में लोग मेहमान के दो दिन ज्यादा रुकने से थक जाते हैं ऐसे में आर्य समाज सेंकड़ों बच्चों का निःस्वार्थ पालन-पोषण कर रहा है।- श्याम जाजू (राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, भाजपा)

आर्य समाज बिना आडम्बर और निःस्वार्थ भाव से आज देश को नई दिशा देने का कार्य कर रहा है –अनुसुइया यूइके (एन सी एस टी, उपाध्यक्ष)

आदिवासी क्षेत्रों में आर्य समाज की ज्योति आज विशुद्ध ज्ञान का प्रकाश फैला रही रही है। -कैप्टन रूद्रसेन (हरिभूमि समाचार पत्र)

आर्य समाज श्रीरामचंद्र जी की तरह वनांचलो में सेवा कार्य करने के साथ वनवासी समाज के अन्दर संस्कार और गौरव जगाने का कार्य रहा है। -विनोद बंसल (विश्व हिन्दू परिषद)

वनवासियों के हित की रक्षा के लिए आर्य समाज का लक्ष्य, संकल्प और विषय सम्मान का पात्र है। -सुरेश कुलकर्णी (संगठन मंत्री, वनवासी कल्याण परिषद)

 

‘अगर देश के काम न आये तो जीवन है बेकार हो जाओ तैयार साथियों, हो जाओ तैयार।’ पूर्वोत्तर भारत से आये छात्रों द्वारा गाये इस गीत के साथ अखिल भारतीय दयानंद सेवाश्रम संघ की ओर से आयोजित 36वें वनवासी वैचारिक क्रांति शिविर का समापन सम्पन्न हुआ। बच्चों द्वारा भजन प्रस्तुति के साथ समारोह का भव्य आरम्भ वैदिक राष्ट्रगान के साथ महाशय धर्मपाल जी ने दीप प्रज्वलित कर किया। समारोह में आये सभी अथितियों का पुष्प माला पहनाकर स्वागत किया गया। कार्यक्रम का संचालन आचार्य दयासागर ने किया,  मुख्य अतिथि के रूप में भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक श्याम जाजू उपस्थित रहे। इस अवसर पर उन्होंने दयानंद सेवाश्रम संघ द्वारा वनवासी प्रतिभागियों को भारतीय संस्कृति की शिक्षा देने पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि सबका साथ सबका विकास आर्य समाज के मंचो और कार्यक्रमों में हमेशा देखने को मिलता है। सिर्फ भाषण देने से उन्नति नहीं होती, देश की उन्नति होती है आर्य समाज की तरह पूर्ण निष्ठा एवं लग्न के साथ काम करने से। जहाँ देश में लोग दो दिन ज्यादा मेहमान के रुकने से थक जाते हैं ऐसे में आर्य समाज सैंकड़ो हजारों बच्चों का निस्वार्थ पालन-पोषण कर रहा है।

इस अवसर पर महामंत्री श्री जोगेंद्र खंट्टर ने बताया कि ‘‘शिविर में आसाम, नागालैंड, झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिसा, मध्य प्रदेश, राजस्थान व उत्तर प्रदेश इत्यादि राज्यों से करीब 200 बच्चों समेत अन्य प्रतिनिधियों ने भाग लिया। उन्होंने बताया कि सन् 1968 से संस्था इन क्षेत्रों में वनवासी समाज के उत्थान का कार्य कर रही है। लगातार हर वर्ष आदिवासी, प्रतिनिधियों को स्वावलंबी बनाने की शिक्षा के साथ ही उन्हें भारतीय संस्कृति की जानकारी दी जाती रही है। आर्य समाज किसी जाति समुदाय से बंधा नहीं है। हम ज्ञान का दीपक लेकर आगे बढ़ रहे हैं ताकि आने वाला भारत शिक्षा के साथ जागरूकता का प्रकाश विश्व के कोने-कोने में पहुंचा सके। उन्होंने बताया कि इस परम्परा की शुरुआत पिछले 35 वर्षों से लगातार जारी है। देश के विभिन्न राज्यों से करीब दो सौ से ज्यादा छात्र-छात्राएं दिल्ली के गुरुकुल में रहकर निःशुल्क पढ़ रहे हैं जिसमें एक बच्चे का मासिक खर्च लगभग 7 से 8 हजार रुपये होता है। इस अवसर पर संस्था की ओर से गरीब आदिवासी बच्चों की मदद को कपड़ें, जूते-चप्पल, किताबें आदि  प्रदान करने लिए ‘सहयोग’ योजना का भी शुभारम्भ किया गया।

कार्यक्रम में मौजूद राष्ट्रीय जनजाति आयोग की उपाध्यक्ष अनुसुइया यूइके ने अपने उद्बोधन में पूरे सदन को संबोधित करते हुए कहा कि ‘बिना आडम्बर और निःस्वार्थ भाव से आर्य समाज आज देश को नई दिशा देने का कार्य कर रहा है। अपनी संस्कृति के साथ राष्ट्रीय भावना वैचारिक परम्परा आदिवासी समुदाय तक पहुंचा रहा है। आर्य समाज के समर्पित कार्यकर्ताओं को मेरा प्रणाम। उन्होंने संस्था द्वारा पूर्वोत्तर भारत समेत अन्य आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा समेत स्वरोजगार के प्रशिक्षण केंद्र खोले जाने की सराहना करने के साथ संस्था को सामाजिक एवं वैचारिक राष्ट्र सेवा करने के लिए धन्यवाद दिया। उनके उद्बोधन के साथ ही मावलंकर हाल करतल ध्वनि से गूजं उठा।

कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए विश्व हिन्दू परिषद की ओर से विनोद बंसल ने आर्य समाज पर गर्व करते हुए कहा कि ‘आर्य समाज श्रीरामचंद्र जी महाराज की तरह वनांचलो में सेवा कार्य करने के साथ वनवासी समाज के अन्दर संस्कार और गौरव जगाने का कार्य रहा है।’ वनवासी कल्याण परिषद के संगठन मंत्री सुरेश कुलकर्णी ने कहा कि ‘आर्य समाज की सेवा इकाई दयानन्द सेवाश्रम संघ देश के विभिन्न हिस्सों में जाकर बच्चों के अन्दर राष्ट्रीयता का भाव जगाकर देश को एक सूत्र में जोड़ने का कार्य कर रही है।’ उन्होंने आर्य समाज के कार्यों की प्रसंशा करते हुए कहा कि ‘वनवासियों के हित की रक्षा के लिए आर्य समाज का लक्ष्य, संकल्प और विषय सम्मान का पात्र है।’

कार्यक्रम में मौजूद दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा के महामंत्री विनय आर्य ने कहा कि ‘माता प्रेमलता के लगाये इस पौधे को महाशय जी ने अपने तन-मन-धन सींचा जिस कारण इस पौधे में आज कितने पत्ते उग आये इसकी गिनती नहीं की जा सकती।’ उन्होंने आगे कहा कि ‘आर्य समाज  मानता है आदिवासी कमजोर नहीं ताकतवर हैं। बस इस स्वाभिमानी समाज को आधुनिक शिक्षा और मुख्यधारा से जोड़ने की जरूरत है। इस कड़ी में हमने पिछले कुछ समय में तेजी लाते हुए महाशय धर्मपाल जी व अन्य आर्य महानुभावों के सहयोग से पूर्वोत्तर भारत से लेकर मध्य और दक्षिण भारत में स्कूल और बालवाड़ी का कार्य प्रारम्भ किया। इस शिविर के माध्यम से प्रशिक्षण लेकर आदिवासी क्षेत्रों के लोग अपने गांव के लोगों को बालवाड़ियों के माध्यम से शिक्षित करते हैं।’

दिल्ली सभा के प्रधान धर्मपाल आर्य ने अपने उद्बोधन में कहा कि ‘भारतीय समाज की विभिन्नता में एकता का सबसे सुन्दर उदाहरण इस शिविर में देखने को मिलता है। सामाजिक, आध्यात्मिक उन्नति से हजारों लोगों को संस्कारित कर आर्यसमाज अपने कर्त्तव्यों का पालन कर रहा है। उन्होंने उपस्थित लोगों प्रार्थना कर कहा कि मात्र कह देने से समस्या का समाधान नहीं होता। एक बार वहां जाकर देखिये महसूस कीजिये, आज के इस आधुनिक दौर में भी आदिवासी समुदाय कितने कम संसाधनों में जीवन यापन कर रहा है।’

इस अवसर पर 15 दिन तक शिविर में उपस्थित रहे छात्र-छात्राओं ने भी अपने विचार रखे शिवहर से दिल्ली आये छात्र बीरबल आर्य ने कहा ‘इस शिविर के माध्यम से जीवन में जो सीखा, हमेशा उसका पालन करूंगा। आर्य समाज में आने के बाद चार वेद और सत्यार्थ प्रकाश के बारे में जाना। यदि कोई ऐसे शिविर में नहीं आता तो इस ज्ञान से अधूरा रह जाता है, इसी दौरान गुरुकुल की मुस्लिम छात्रा नुसरत प्रवीन ने यह कहते हुए सबका मन मोह लिया की संसार में कोई भाषा रहे न रहे पर संस्कृत हमेशा थी, हमेशा रहेगी।

समारोह के अंत में आचार्य वागीश ने अपने प्रखर वैदिक राष्ट्रवादी विचारों से समारोह को उसकी श्रेष्ठ ऊंचाई पर पहुंचा दिया। उन्होंने कहा दुःख का कारण ज्ञान का मिटना है जिस विराट हिन्दू जाति के पास राम और कृष्ण जैसे महापुरुष थे वह जाति हजारों साल गुलाम क्यों रही? कारण हमने इन महापुरुषों को मूर्तियों के कैद कर इनके विचारों को भुला दिया। जिस कारण लोग वर्षों तक गजनी और अरब के बाजारों में गुलामों के रूप में बेचे गये। हमने आजादी के बाद भी सही ढंग से होश नहीं सम्हाला और वनवासियों, आदिवासियों को शूद्र, अछूत समझकर उनका निरादर किया जिसका लाभ मत-मतान्तरों ने उठाया। जबकि आदिवासी समाज हमारा रक्षक ही नहीं बल्कि वनों में उपलब्ध सामान हम तक पहुंचाने वाले लोग हैं। उन्होंने  वैदिक व्यवस्था का हवाला देते हुए कहा कि वैदिक काल की तरह सबको समान अवसर मिले तभी देश का परम वैभव और अच्छे दिन आयेंगे वरना वह भी आदिवासी है और हम भी आदिवासी हैं।

कार्यक्रम में एनसीएसटी की उपाध्यक्ष अनुसुइया यूइके, वनवासी कल्याण संगठन मंत्री सुरेश कुलकर्णी समेत संस्था के प्रधान महाशय धर्मपाल ;एम.डी.एच ग्रुपद्ध, कैप्टन रूद्रसेन ;हरिभूमि समाचार पत्रद्ध, विनोद खन्ना, विश्व हिन्दू परिषद की ओर से विनोद बंसल, आचार्य वागीश, मध्यप्रदेश से आचार्य दयासागर, राजस्थान से आचार्य जीववर्धन जी समेत अनेक गणमान्य लोग मौजूद थे। देश के कोने-कोने से आए छात्र-छात्राओं ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर सबका मन मोह लिया। इस अवसर पर परीक्षा में अच्छे अंक लाने वाले छात्र-छात्राओं को सम्मानित किया गया। संस्था की ओर जोगेंदर खट्टर जी ने सबका आभार व्यक्त किया। शान्ति पाठ के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।

राजीव चौधरी

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