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ज्योतिषी ने महिला से कहा- ब्राह्मण के साथ सोने पर दोष हो जाएंगे दूर

राजीव चौधरी

“कर्म से ज्यादा भाग्य पर विश्वास” जिस कारण आज अंधविश्वास एक बहुत बड़ा व्यापार बन गया है. व्यापार धन-सम्पत्ति तक सिमित रहता तो एक पल को इतना कष्ट नहीं होता किन्तु अब यह व्यापार चढ़ावे में जिस्म भी मांगने लगा है. शायद भगवान से ज्यादा तथाकथित ज्योतिषों पर विश्वास करने वालों को यह घटना सोचने पर मजबूर कर देगी कि ज्योतिष के लालच की यह लपलपाती जीभ किस तरह अब बहु बेटियों की अस्मत तक पहुँच चुकी है. कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू में कथित ज्योतिषी रामकृष्ण शर्मा ने एक महिला से कहा कि खुद पर से सारे दोष हटाने के लिए एक ब्राह्मण के साथ सोना होगा. महिला ने बताया कि उसने मुझसे मेरे कपडे़ उतारने को कहा ताकि वो कोई भभूत मेरी नाभि पर लगा सके. जिसके लिए मैंने मना कर दिया. मेरे मना करने पर उसने खुद से मेरे कपड़े उतारने की कोशिश करने लगा. मैं वहां से बड़ी मुश्किल से भाग पाई.

यह कोई एक अकेली घटना नहीं है इससे पहले भी इस तरह के ऐसे बहुत सारे मामले लोगों की नजरों में आ चुके है. लेकिन ज्योतिषों का सामाजिक तिरस्कार करने के बावजूद लोग अभी भी इनसे काल्पनिक दोष दूर करने कतार में खड़े है. कुछ समय पहले कोलकाता प्रमोदगढ में एक ज्योतिषी भरतचंद्र मंडल को नौवी कक्षा की छात्रा से दुष्कर्म के आरोप में पुलिस ने गिरफ्तार किया था. पीडिता बच्ची अपना भविष्यफल जानने पहुंची थी. साल 2016 आंध्रप्रदेश में एक परिवार ने ज्योतिषी के चक्कर में आकर अपनी प्रेग्नेंट बहू को ही जलाकर मारने की कोशिश की. दरअसल, वह महिला प्रेग्नेंट थी और ज्योतिष ने कहा था कि वह इस बार भी लड़की को ही जन्म देगी. इस बात पर ही परिवार ने महिला को जला दिया. मामला यही नहीं रुकता कई बार तो यह लोग मानवता को शर्मशार करने से भी बाज नहीं आते दिल्ली से सटे साहिबाबाद के राजेंद्र नगर में बच्चे के जन्म को लेकर एक ज्योतिषी ने भविष्यवाणी कि नवजात शिशु अपने पिता पर भारी पड़ेगा. यह उसके लिए अमंगल साबित होगा. पति ने पत्नी व शिशु को ही घर से बेघर कर दिया गया.

आखिर इस आधुनिक युग में भी यह कहानी कहाँ से शुरू होती है? जब हम सुबह सोकर उठते है तो तमाम न्यूज चैनल पर यह ज्योतिष बाबा बैठे मिलते है जो ग्रह, योग, मंगल अमंगल, आदि की बात करते हुए समाज में अंधविश्वास के बीज बोते मिल जायेंगे. जिस कारण समाज मे व्याप्त अन्धविश्वास और भविष्य के प्रति अनिश्चितता की स्थिति के कारण ज्योतिष ने एक महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है इससे समाज का कोई भी वर्ग अछूता नहीं रहा है. आप अन्धविश्वास का जाल सुबह टी.वी चालू करे हर चैनल पर हर ज्योतिषी द्वारा भविष्यफल बताया जा रहा है क्या पता किसी का सही हो जाए! यही सोचकर लोग टोने टोटके याद करने लग जाते है. बिल्ली रास्ता काटे तो क्या करें कुत्ता कान खुजाये तो इस दोष से कैसे बचना है. छिपकली पूछ हिलाए तो कितना चढ़ावा चढ़ाये आदि-आदि किस्म का प्रोपगेंडा चलाया जा रहा है.

इतने मे अखबार भी आ ही जाएगा अब उसमे सबसे पहले अन्धविश्वास वाला पन्ना ही खोले और राशिफल रट ले. बच्चा स्कुल जाता है तो उसके कमरे की दिशा बताई जा रही है.पति की कारोबार यदि किसी वजह से कम हो गया तो उसके लिए अलग से टोटके के प्रावधान बताये जा रहे है. हनुमान यंत्र, लक्ष्मी यंत्र, फलाना यंत्र ढिमका यंत्र घर रखने से सारे क्लेश दूर करने की बात बताई जा रही है. कार में आगे फटा हुआ जूता लटका लीजिये और अन्दर नीबूं बस वही आपकी कार को सही रखेगा. कार के अन्दर दुर्घटना नाशक यन्त्र लगवा तो ही लीजीए फिर कितनी भी रफ्तार पर चलाए कहीं भी मोङ दे सवाल ही नहीं कि कुछ हो जाए. अपने दिमाग का प्रयोग नहीं करना चाहिए बहुत बुरी बात होती है. सपने मे यदि सांप गधा कबूतर या कुत्ता आदि दिख जाए तो अगली सुबह ज्योतिषी के द्वार पर पहुंच जाए उपाय पूछने. ध्यान रहे जेब भरकर जाये खाली जेब वाले की तो यह लोग शक्ल तक नहीं देखते कुंडली जाये भाड़ में.

इसके बाद अपने मित्र समूह में बैठे और इन लोगों का विज्ञापन चालू कर दे कि फलाने ज्योतिष को हाथ दिखाए तो सब बता देता है. ज्योतिषी ने कहा नौकरी नहीं मिलेगी तो नहीं मिली, सन्तान लङका होगा तो वही हुआ. कुछ इस तरह इनके मंगल गीत गाते लोग मिल जायेंगे! सच तो यह है कि अन्धविश्वास का व्यापार सौ प्रतिशत लाभ वाला व्यापार है निवेश बस 50 रूपये की किताब ले आये और इस अन्धविश्वास की दुनिया में आपका प्रवेश. भारत जैसे अन्धविश्वासी जनसंख्या वाले देश मे व्यक्ति कितनी भी उन्नति कर ले कितने ही शिक्षित क्यों न हो जाए लेकिन यहां पर ज्योतिष एक ऐसा व्यवसाय है जिसमे कभी हानि की संभावना ही नही है वैश्विक मंदी मे भी ज्योतिष के धंधे मे मंदी नहीं आती है बल्कि उस समय पर तो ज्योतिष का व्यावसाय अपने चरम पर होता है प्रत्येक व्यक्ति अपनी आर्थिक स्थिति को ठीक करने के लिए ग्रहों नक्षत्रों को टोटके कर प्रसन्न करने के लिए ज्योतिषी की तिजोरी अन्य दिनों की अपेक्षा और अधिक भरते है. अन्धविश्वास के कारण ही भविष्य बताने, तकदीर बदलने वालों के धन्धे मे चार चांद लग गए है पर इनके चक्कर में आकर कितने बर्बाद होकर मर गये किसी को नहीं पता न कोई सरकारी आंकड़ा.

माँ ज्योतिष से पूछकर अपने काम कर रही है, बाप कारोबार या नौकरी ज्योतिष के बताये रास्ते पर कर रहा है और बेटे-बेटी को कह रहे है पढ़ ले बेटा! भला वो बच्चे क्यों पढेंगे? वो भी ज्योतिष से कुछ रूपये देकर सारे दोष दूर कर लेंगे, सरकार के अन्धविश्वास के प्रति उदासीन रवैये के कारण अन्धविश्वास से भरपूर कार्यक्रमों की संख्या बढती जा रही है जिसके कारण युवाओं का ज्योतिष के प्रति आकर्षण बढ़ता जा रहा है और वह कर्म के महत्व को न समझकर ग्रहों नक्षत्रों मे अपने भविष्य की रुपरेखा तलाश रहें है इसी कारण से भविष्य बताने, भाग्य बदलने वाले आज हर गली हर नुक्कङ पर अपनी दुकान सजाए बैठे है समाज का कोई वर्ग ऐसा नहीं है जो इन भाग्य बदलने वालो के पास न जाता हो. अच्छे-अच्छे शिक्षित व्यक्ति भी इन तकदीर बदलने वालों के पास कतार मे खड़े हुए देखा जा सकता है उनमे से कोई किसी फुटपाथ पर रखे हुए तोते से अपना भविष्य पूछते नजर आते है तो कोई वातानुकूलित कमरे मे बैठे हुए मदारी से. कोई सौतन से छुटकारा दिला रहा है कोई 5 मिनट में मनचाही लड़की पटाने के नाम पर युवाओं को बरगला रहा है. जमीन जायदाद का झगडा हो या परीक्षा में सौ फीसदी अंक सब का समाधान ज्योतिष बाबा होकर रह गये.

आमतौर पर मनुष्य प्राणी जगत में सबसे बुद्धिवान प्राणियों की सूची में आता है लेकिन आज पढ़े लिखे अधिकारी नेता, अभिनेता क्रिकेटर अनहोनी की आशंका से पशु बनकर रह गये. पशु भी कहना पशुओं का अपमान है क्योंकि पशु अपनी दिनचर्या में अपने दिमाग का इस्तेमाल करते है. यह लोग तो दुसरे के बताये रास्ते पर चल रहे है. जिसका फायदा यह लोग बखूबी उठा रहे है किसी से धन बटोरकर किसी से जिस्म की डिमांड कर क्योंकि यह जानते है जो लोग इनके पास आते है इसका मतलब उनके पास खुद का विवेक नहीं होता है.

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