Tekken 3: Embark on the Free PC Combat Adventure

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टूलकिट के तार कहाँ से जुड़े है.?

कहा जाता है इतिहास एक मौका जरुर देता है. फिर वह कुछ देर ठहरकर देखता है कि उस मौक़े का इस्तेमाल किस तरह किया जा रहा है. इसके बाद वह निष्ठुरता और निर्ममता के साथ फैसला करता है. बताया जा रहा है दिल्ली की हिंसा में टूलकिट गैंग का हाथ होने के सबूतों की तरफ भी दिल्ली पुलिस तेजी से बढ़ रही है

लेकिन इस पुरे मामले में एक वेबसाइट भी सामने आई है इस वेबसाईट का नाम है आस्क इंडिया व्हाई जब पोएटिक जस्टिस संस्था पर टूलकिट साजिश में शामिल होने के आरोप लगे तो इस संस्था ने जो बयान जारी किया, उसमें एम ओ धालीवाल के ऊपर अनिता लाल का नाम लिखा था. अनीता लाल को कैंपेन चलाने में महिर माना जाता है और कैंपेनिंग और मार्केटिंग में उसे करीब दो दशक का अनुभव भी है.

जब हमने इस वेबसाइट को खंगाला तो जो इसमें निकलकर सामने आया वो आप डिस्प्ले पर देख सकते है. वेबसाईट पर सबसे ऊपर लिखा है कि व्हाई इज इंडिया किलिंग इट्स प्यूपिल पहले ही शब्द से सब कुछ साफ़ हो जाता है इसके बाद वेबसाइट के कंटेंट में लिखा है कि भारत आध्यात्मिकता का एक ब्रह्मांड है जो अपने आप में अद्भुत और सुंदर है. यह बौद्ध धर्म, जैन धर्म, सिख धर्म और हिंदू धर्म जैसे कई धर्मों का जन्मस्थान है. वर्तमान समय में, भारत दुनिया का सबसे बड़ा मसाला निर्यातक भी है. लेकिन, भारत की पहचान केवल आध्यात्मिकता, योग और चाय के बारे में ही नहीं है. लोकतंत्र के घूंघट के नीचे, भारत बेरहमी से अत्याचारी और हिंसक है.

जब माउस को थोडा नीचे करते है तो लिखा आता है भारतीय फासीवाद 101 इसमें घाटी मैं तैनात कुछ जवानों की तश्वीरे है और साइड में लिखा है कश्मीर बंद और आगे लिखा है कि 5 अगस्त, 2019 को, भारत ने अनुच्छेद 370 को रद्द कर दिया, जो संवैधानिक रूप से जम्मू-कश्मीर के मुस्लिम बहुल राज्य की स्वायत्तता को मान्यता देता था लेकिन आज वहां लोग अपनी भौगोलिक सीमाओं के अंदर है और नागरिकों को सैन्य लॉकडाउन लगा रखा है.

इसके बाद भारतीय सुप्रीम कोर्ट को दिखाते हुए लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट का नया निर्णय पेडोफिलिया यानि बाल यौन शोषण को बढ़ावा देता है. जबकि ये फैसला सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया था जब पिछले दिनों बॉम्बे हाई कोर्ट के एक न्यायाधीश पुष्पा गनेदीवाला एक फैसला दिया था कि एक 39 वर्षीय व्यक्ति 12 वर्षीय लड़की के साथ यौन उत्पीड़न का दोषी नहीं है क्योंकि उसने अपने कपड़े नहीं निकाले थे, त्वचा पर त्वचा से संपर्क को ही यौन अपराध बताया था. इस फैसले की पुरे देश में आलोचना हुई थी और स्किन-टू-स्किन कॉन्टेक्ट के इस फैसले को 27 जनवरी, 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया था और इसे यौन अपराध माना था लेकिन इस वेबसाइट पर उल्टा प्रोपगेंडा फैलाया जा रहा है.

अब जैसे ही थोडा सा नीचे आते है तो वेबसाइट लिखती है कि नो जस्टिस फॉर वीमेन यानि महिलाओं के लिए कोई न्याय नहीं और इसमें नई दिल्ली को बलात्कार की राजधानी बताया है पीड़ितों के साथ, जिनमें दूर-दूर के शिशु, बुजुर्ग और निम्न जातियों की महिलाएं शामिल हैं, और फिर निर्भया केस का जिक्र किया है और उनका असली नाम 23 वर्षीय ज्योति सिंह पांडे का भी उल्लेख किया है इसके बाद हाथरस वाली घटना का जिक्र किया है लड़की की जाति दलित जाति का उल्लेख भी किया है बस ज्योति सिंह पांडे का नाम देकर उसकी जाति का उल्लेख नहीं किया है.

इससे अगले पेज पर वेबसाइट नागरिकता संशोधन अधिनियम सीएए का जिक्र करते हुए अपना प्रोपगेंडा लिखती है कि दिसंबर 2019 में, भारतीय राज्य ने सीएए विधेयक लागू किया, जो पड़ोसी देशों में मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता प्राप्त करने का अधिकार नहीं देता यह विधेयक विशेष रूप से लोकतंत्र और कानून के धर्मनिरपेक्षता को चुनौती देता है धार्मिक भेदभाव करता है, शायद वेबसाइट ये लिखना भूल गयी कि ये उन मजबूर लोगों को नागरिकता प्राप्त करने का अधिकार जरुर देता है जो मुसलमान नहीं है और अपने धर्म पंथ के कारण मुस्लिमों द्वारा अपने देशों उन लोगों पर अत्याचार किया जाता है उनकी बहु बेटियां उठा ली जाती है उनका जबरन धर्मांतरण किया जाता है और इसका लाभ पिछले दिनों अफगानिस्तान से लौटे 250 सिख परिवारों को मिला जिन्होंने इंडिया आकर इस कानून को अपना रखवाला बताया था.

खैर अगले पेज पर रंगभेद का जिक्र किया है और वेबसाइट लिखती है कि ऊपरी जातियों के हाथों निचली जातियों को क्रूर हिंसा का अनुभव होता है, और मुस्लिमों को लव जिहाद करने से रोकते है उस पर कानून बना रहे है और इसे लव जिहाद पर बने कानून को खतरनाक अपराध बताया है. यानि पूरा प्रोपगेंडा और सच्चाई को दफन करने की कोशिश की गयी है शायद वेबसाइट ये बताना भूल गयी कि लव जिहाद के कारण हर वर्ष कितनी गैर मुस्लिम मासूम लड़कियां मौत का शिकार बनती है इसका कहीं जिक्र नहीं है.

इसके बाद पत्रकारिता की स्वतंत्रता का भी जिक्र किया गया और स्वतंत्र पत्रकार मनदीप पुनिया की पुलिस हिरासत लेबर एक्टिविस्ट नवदीप कौर की हिरासत का भी जिक्र किया है जबकि ये दोनों मामले अभी कोर्ट में है और मनदीप पुनिया को जमानत मिल चुकी है.

इसके बाद वेबसाइट में किसान आन्दोलन का भी जिक्र करते हुए लिखा है भारत ने सितंबर 2020 में 3 फार्म बिलों को असंवैधानिक रूप से पारित कर दिया और भारत सरकार अपने नागरिकों की बात सुनने के बजाय, असहमति के अपने लोकतांत्रिक अधिकार की वकालत करती है. इस पर इतना कहा जा सकता है कि बिल संवैधानिक रूप से पारित हुए संसद के दोनों सदनों में पारित हुए जब इसे लेकर विरोध हुआ तो सरकार और किसान आमने सामने हुए दोनों पक्षों के बीच बातचीत का दौर भी जारी है.

इसके बाद अगले पेज वेबसाइट मुख्य उद्देश्य बताते हुए लिखती है जिसे पढ़कर पूरा प्रोपगेंडा समझ में आ जाता है कि हमें भारत सरकार पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव बनाने में आपकी सहायता की आवश्यकता है क्योंकि यह अपने नागरिकों के खिलाफ मानवाधिकारों के उल्लंघन में संलग्न है. हमें आपकी जरूरत है यानि अंतर्राष्ट्रीय सहयोग माँगा गया है साथ ही कुछ हैशटैग भी दिए गये है और लिखा है कि इस हैशटैग का उपयोग करके सामग्री और कहानियों को साझा करने में हमारी सहायता करे साफ़ नहीं लिखा कि इस आन्दोलन की आड़ लेकर हिंसा रक्तपात होना चाहिए बाकि पूरी वेबसाइट देखकर लगता है कि यह सिख फॉर जस्टिस का सेकंड वर्जन है जिसे कुछ समय पंजाब के मुख्यमंत्री केप्टन अमरिंदर सिंह की पहल पर भारत सरकार ने गूगल से बेन कराया था ये वेबसाइट पाकिस्तान की आई एस आई द्वारा डिजाइन थी और पंजाब को भारत से अलग देश के तौर पर रेफरेंडम 2020 चला रही थी. लेकिन आस्क इंडिया व्हाई उसी का वर्जन है क्योंकि अब जैसे ही पोएटिक जस्टिस संस्था के जरिए अनिता लाल ने ही अक्टूबर 2020 में खालिस्तान पर एक वेबीनार आयोजित किया था. धालीवाल ने फेसबुक पर खुद को साफ साफ खालिस्तानी घोषित किया. अनिता को धालीवाल का बेहद करीबी सहयोगी माना जाता है. ऐसे में धालीवाल के साथ साथ अनीता भी कनाडा में रहकर लगातार मोदी सरकार के बहाने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि खराब करने की कोशिश में जुटी है. किसान और सरकार का मामला अलग करके देखें तो साफ हो जाता है कि किसान आन्दोलन की आड़ लेकर कुछ तत्व अपना उल्लू सीधा करने में लगे है इसमें सरकार विरोधी मिम्स भारत विरोधी मिम्स है और लोग इन्हें शेयर करके खुद को क्रांतिकारी समझ रहे है जबकि पर्दे के पीछे किसान आन्दोलन की आड़ में अलग खेल खेला जा रहा है और सीधा साधा भोला भाला किसान इनका मोहरा बना हुआ है.

राजीव चौधरी

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