Tekken 3: Embark on the Free PC Combat Adventure

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पीर मजार आस्था या कारोबार ?

आस्था और अंधविश्वास के बीच विभाजन की रेखा बहुत महीन होती है लेकिन देश के विभिन्न हिस्सों में आज आस्था की मजबूत डोर के सहारे ही मजार का व्यापार खड़ा किया जा रहा है. भारतीय मुस्लिम समाज में अकीदे यानी आस्था के नाम पर चल रहे गोरखधंधे का सबसे शोषणकारी रूप बनती जा रही है दरगाहें मजारें और पीर, जहां परेशानहाल, गरीब, बीमार, कर्ज में दबे हुए, डरे हुए लाचार मन्नत मांगने आते हैं और अपना पेट काटकर धन चढ़ाते हैं ताकि उनकी मुराद पूरी हो सके. तीसरी दुनिया के देशों में जहां भ्रष्ट सरकारें स्वास्थ्य, शिक्षा, वैज्ञानिक दृष्टिकोण, सामाजिक सुरक्षा जैसे अपने बुनियादी फर्ज पूरा करने में आपराधिक तौर पर नाकाम रही हैं वहीं परेशान हाल भारत की जनता भाग्यवादी, अंधविश्वासी होकर  झाड़-फूंक, मन्नतवादी होकर मजारों के सज्जादानशीं-गद्दीनशीं-खादिम के चक्करों में पड़कर शोषण का शिकार होती है. ऐसे में मनौती का केंद्र ये मजारें और दरगाह के खादिम और  मुंहमांगी रकम ऐंठते हैं. अगर कोई श्रद्धालु प्रतिवाद करे तो घेरकर दबाव बनाते हैं, जबरदस्ती करते हैं, वरना बेइज्जत करके चढ़ावा वापस कर देते हैं. नामी-गिरामी दरगाह में खादिमों के अलग-अलग दर्जे भी हैं, यानी अगर आप उस खादिम की सेवा लेते हैं जो कैटरीना कैफ, सलमान खान जैसे ग्लैमरस सितारों की जियारत करवाते हैं तो आपको मोटी रकम देनी होगी.

मजारों और दरगाहों के आंगन में दर्जनों गद्दीनशीं अपना-अपना ‘तकिया’ सजाए बैठे हैं जिन पर नाम और पीर के सिलसिले की छोटी-छोटी तख्ती भी लगी हैं. यहां पीर लोग अपने मुरीद बनाते हैं. मुरीदों की संख्या ही पीर की शान और रुतबा तय करती है. पीर पर मुरीदों द्वारा धन-दौलत लुटाने की तमाम कहानियां किवदंती बन चुकी हैं. जिस पीर के जितने धनी मुरीद उसकी साख और लाइफस्टाइल उतनी ही शानदार.

इसी का परिणाम है कि आज जगह जगह मजारें घास फूस की तरह उग रही है कहीं भी किसी जगह थोड़ी मिटटी खोदकर एक कब्र का रूप दिया जाता है इसके बाद उसपर हरी चादर डालकर धंधा जमा लिया जाता है मन्नत के नाम लोग चढ़ावा चढाने लग जाते है. यह एक ऐसा खेल है जो दिखने में आस्था है लेकिन इसका कारोबार इतना बड़ा हो चूका है कि बड़ी बड़ी कम्पनियों को मात दे दे

मामला सिर्फ इतना ही नहीं इससे भी बड़ा षड्यंत्र ये है कि यदि आप विशेष समुदाय हैं और सड़क के किनारे या सरकारी जमीन पर कहीं कोई मस्जिद या मजार बनाकर बैठे हैं, तो वह कुछ समय बाद वह जगह वैध हो ही जाएगी. ऐसा वक्फ कानून-1995 के 2013 के संशोधन के कारण हो रहा है. इसलिए कोई मुसलमान कहीं भी अवैध मजार या मस्जिद बना लेता है और एक अर्जी वक्फ बोर्ड में लगा देता है. बाकी काम वक्फ बोर्ड करता है. यही कारण है कि आज पूरे भारत में अवैध मस्जिदों और मजारों का निर्माण बेरोकटोक हो रहा है. और ये निर्माण कार्य एक षड्यंत्र को सफल करने के लिए हो रहा है और वह षड्यंत्र है अधिक से अधिक जमीन पर कब्जा करना. इसे आस्था की आड़ में अंधविश्वास कहें या कारोबार सोचना एक आम भारतीय को है…

RAJEEV CHOUDHARY

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