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लव जिहाद कानून क्यों बना मजबूरी

लव जिहाद पर उत्तर प्रदेश में कानून बना है क्या ये सच में जरुरी था या फिर वोट बैंक की राजनीति है, अगर आप इस पुरे मामले को समझेंगे तो पैरों के नीचे से जमीन खिसक जाएगी. योगी सरकार ने अंतिम मुहर लगा दी है, शादी के नाम पर धर्म परिवर्तन अवैध घोषित कर दिया गया है. पूरा ड्राफ्ट पढने के बजाय इसे कम से कम शब्दों में समझे तो ऐसे समझे कि अगर कोई भी ग्रुप धर्म परिवर्तन कराता है तो उसे 3 से 10 साल की सजा होगी. अगर कोई  धर्मगुरु धर्म परिवर्तन कराता है तो उसे डीएम से अनुमति लेनी होगी. कानून के तहत जो धर्म परिवर्तन करेगा उसे भी जिलाधिकारी से अनुमति लेनी होगी. यदि कोई सामूहिक रूप से धर्म परिवर्तन कराता है तो उसे 10 साल की सजा और 50 हजार रुपये का जुर्माना देना होगा. यदि ऐसा करने वाला कोई संगठन है तो उसकी मान्यता रद्द हो सकती है.

कानून के अनुसार  शादी के नाम पर धर्म परिवर्तन   नहीं किया जा सकेगा. यही नहीं शादी कराने वाले मौलाना या पंडित को उस धर्म का पूरा ज्ञान होना चाहिए. कानून के मुताबिक धर्म परिवर्तन के नाम पर अब किसी भी महिला या युवती के साथ उत्पीड़न नहीं हो सकेगा. और ऐसा करने वाले सीधे सलाखों के पीछे होंगे. अब योगी सरकार के बाद शादी के लिए जबरन धर्मांतरण या लव जिहाद को रोकने के लिए यूपी, एमपी, हरियाणा, हिमाचल और कर्नाटक सरकारें अपने यहां कानून लाने की बात कर रही हैं. हालाँकि असदुद्दीन ओवैसी ने लव जिहाद पर कानून लाने वाले राज्योंल को संविधान पढ़ने की नसीहत दी है. ओवैसी भी संविधान पढने की नसीहत राज्य सरकारों को ही देते है, कमलेश तिवारी के हत्यारों से लेकर शरियत की चासनी में हर रोज ऊल जलूल बयान देने वाले मौलानाओं को नहीं.

खैर कानून तो ये था अब इसे मोटे तौर पर इस तरह समझे लव जिहाद दो शब्दों से मिलकर बना है, अंग्रेजी भाषा का शब्द लव यानि प्यार, मोहब्बत या इश्क और अरबी भाषा का शब्द जिहाद. जिसका मतलब होता है किसी मकसद को पूरा करने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा देना. जब एक धर्म विशेष को मानने वाले दूसरे धर्म की लड़कियों को अपने प्यार के जाल में फंसाकर उस लड़की का धर्म परिवर्तन करवा देते हैं तो इस पूरी प्रक्रिया को लव जिहाद का नाम दिया जाता है.

इस पर कानून जरुरी यूँ था कि 15 जनवरी 2020 नवभारत टाइस में एक खबर छपती है कि केरल की एक कैथलिक चर्च ने श्लव जिहादश् का मुद्दा उठाते हुए दावा किया है कि बड़ी तादाद में राज्यप के ईसाई समुदाय की लड़कियों को लुभाकर इस्लाजमिक स्टेवट और आतंकवादी गतिविधियों में धकेला जा रहा है. कार्डिनल जॉर्ज ऐलनचैरी की अध्य क्षता वाली पादरियों की इस संस्थाी ने केरल  सरकार पर भी आरोप लगाया है कि वह श्लव जिहादश् के मामलों को गंभीरता से नहीं ले रही. इस्लांमिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इस षड्यंत्र को अंजाम दे रहा है.

इसके बाद 6 जुलाई 2020 पंजाब केसरी में खबर छपती है कि लद्दाख में बौद्ध लड़कियां लव-जिहाद का शिकार बनाई जा रही हैं, ताकि लद्दाख को भी मुस्लिम बहुल क्षेत्र बनाया जा सके. एलबीए यानी लद्दाख बुद्धिस्ट एसोसिएशन का कहना है कि मुस्लिम नौजवान खुद को बौद्ध बताकर लड़कियों से जान पहचान बढ़ाते हैं और शादी कर लेते हैं, बाद में पता चलता है कि वह बौद्ध नहीं, बल्कि मुस्लिम हैं.

इसके बाद दिल्ली हरियाणा उत्तर प्रदेश बिहार समेत देश के कई राज्यों से लगातार घटनाएँ अखबारों में दनदनाती छपती है और मेरठ से तो इस तरह की खबर प्रकाशित होती कि रूह तक कांप जाती है. मामले नहीं रुकते सोशल मीडिया से लेकर न्यूज चैनल की बहसों में लव जिहाद का मुद्दा खड़ा रहता है.

लेकिन लव जिहाद को ज्यादा समझने के लिए थोडा अतीत ने जाना होगा 26 जून 2006 केरल के तत्कालीन मुख्यमंत्री ओमान चांडी द्वारा केरल विधानसभा में दिए एक लिखित जवाब से केरल का हिन्दू समाज स्तब्ध रह गया था जब एक सवाल के जवाब में, चांडी ने बताया था कि 2006 से 2012 तक, राज्य में 7713 लोग इस्लाम में मतांतरित किए गए हैं. इनमें कुल मतांतरित 2688 महिलाओं में से 2196 हिन्दू थीं और 492 ईसाई लेकिन इस रपट के तुरंत बाद मुस्लिम गुटों के दबाव पर राज्य सरकार ने अदालत में प्रतिवेदन दर्ज करके उसका ठीक उलट कहा कि लव जिहाद जैसी कोई चीज नहीं है यानि ये शब्द पहली बार केरल विधान सभा से आया था

 क्योंकि उसी दौरान केरल से प्रकाशित एक पत्रिका में साफ-साफ छपा था कि लव जिहाद केरल के संभ्रांत हिन्दू परिवारों और रईस ईसाई परिवारों को भी बेखटके निशाना बना रहा है. इसके लिए व्यावसायिक कालेजों और तकनीकी शिक्षण संस्थानों पर नजर रखी जाती है. मुस्लिम गुट मुस्लिम लड़कों को तमाम तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम करने और उनमें गैर मुस्लिम लड़कियों को इनाम देने को उकसाते हैं ताकि उन्हें फांसा जा सके. जो लड़कियां उनकी तरफ आकर्षित होती हैं उन्हें मुस्लिम लड़कियों के साथ घुलने-मिलने का भरपूर मौका दिया जाता है. इन शुरुआती तैयारियों के बाद, “लव जिहाद” के खाके को क्रियान्वित किया जाता है. जैसे ही प्रतियां छपकर आईं, पूरे केरल में बड़ी संख्या में मुस्लिम कट्टरवादियों ने इन्हें खरीदा और फाड़ कर जला डाला. अगले दिन दुकानों में गिनती की प्रतियां ही रह गईं थी.

राजनैतिक स्तर पर चांडी के बयान की आलोचना के बाद सेकुलर मीडिया ने वहां के मुख्यमंत्री की इस स्पष्ट स्वीकारोक्ति को पूरी तरह अनदेखा कर दिया था. दक्षिण भारत के इस मामले को उत्तर भारत में बड़े स्तर पर हवा तो मिली लेकिन इस लव जिहाद को राजनीतिक एजेंडा बताकर लोग कन्नी काटते नजर आये. लेकिन केरल में इस गुप्त एजेंडे के तहत प्रेम जाल में फांसकर हिन्दू युवतियों से निकाह करके उन्हें धर्मान्तरित करने और गरीबों को लालच देकर मतांतरित करने का षड्यंत्र जारी रहा 2012 में छपी साप्ताहिक पत्रिका के आंकड़े बताते हैं कि केरल में हर महीने 100 से 180 युवतियां धर्मान्तरित की जा रही हैं.

उसी दौरान भारत की एक बड़ी पत्रिका के अनुसार मालाबार की एक इस्लामी काउंसिल के 2012 तक के धर्मांतरण के आंकड़े बताते हैं कि 2007 में 627 लोग मुस्लिम बने, जिसमें से 441 हिन्दू थे और 186 ईसाई. 2008 में 885 में से 727 हिन्दू थे, 158 ईसाई. 2009 में 674 में से 566 हिन्दू थे, 108 ईसाई. 2010 में 664 में से 566 हिन्दू थे, 98 ईसाई. 2011 में 393 में से 305 हिन्दू थे, 88 ईसाई. एक बात यहाँ स्पष्ट कर दूँ धर्मान्तरित होने वालों में बड़ी संख्या युवतियों की रही है.

इन सब आंकड़ों के बीच अजीब बात है कि गैर मुस्लिमों को फुसलाने के साथ ही, अलगाववादी गुट मुस्लिम युवतियों को किसी गैर मुस्लिम लड़के से बात तक नहीं करने देते. ये कट्टरवादी तत्व मुस्लिम महिलाओं को हिन्दुओं के घरों में काम करने से रोकते हैं. साप्ताहिक की रिपोर्ट एक दिलचस्प आंकड़ा देती है कि 2008 से 2012 तक, महज 8 मुस्लिम महिलाओं ने ही गैर मुस्लिम पुरुषों से प्रेम विवाह किया है.

इसके बाद मानों इन आकड़ों पर एक किस्म से रोक सी लग गयी लेकिन इसके बाद अमेरिका की प्रसिद्ध और ख्यातिप्राप्त लेखक ब्लोगर पामेला गेलर की एक रिपोर्ट ने भारत में घट रही लव जिहाद की घटना पर लोगों का ध्यान आकर्षित किया और एक बार फिर मामले ने दुनिया का ध्यान खींचा उस समय भी सेकुलरवादी नेताओं और मीडिया ने इसे झूठा बताने का कार्य किया था असल में यह एक सोचा समझा धार्मिक षड्यंत्र है इसे केरल की हदिया वाले मामले में आसानी से समझा जा सकता है कि आरोपी मुस्लिम युवक शफीन एक गरीब परिवार से था लेकिन कांग्रेस के बड़े नेता और महंगे वकील कपिल उसकी पेरवी के लिएखड़े हो गये थे? इससे भी साफ समझ जा सकता है इस षड्यंत्र के पीछे किन बड़ी राजनैतिक और धार्मिक संस्थाओं का हाथ है? आज राज्य सरकारें इस पर कानून ला रही है उम्मीद है कल केंद्र सरकार भी कोई कड़ा कानून लाये ताकि हजारों गैर मुस्लिम लड़कियां इनका निवाला बनने से बच जाये?

लेख-राजीव चौधरी

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