जन-जीवन में जागृति, नवीनता और उत्साह लाने के लिए समय-समय पर उत्सवों के आयोजन की प्राचीन परम्परा रही है। इसी श्रंखला में ‘‘श्री सत्य सनातन वेद मन्दिर समिति, रोहिणी सै.-8’’ के तत्वाधान में 12 अक्तूबर, 2013 को ‘‘वेद मन्दिर सेवा आश्रम’’ के शिलान्यास के भव्य समारोह का आयोजन किया गया।
इस समारोह से 5 दिन पूर्व यानि 7 अक्तूबर, से ही इस आश्रम की भूमि पर ‘‘गायत्री महायज्ञ’’ और ‘‘संगीतमयी रामकथा’’ का आरम्भ कर दिया गया था। इन 6 दिनों में याज्ञिकों द्वारा श्रह्पर्वूक गायत्री मंत्रों की 51 हजार आहुतियां समर्पित की गई। प्रातः 6:30 से 9 बजे तक सात्विक वेला में आस-पास का सम्पूर्ण वातावरण सुगन्ध्त और मंत्रों की ध्वनि से गुंजायमान होता रहा। यज्ञ के ब्रम्हा और इस समिति के अध्यक्ष ब्र. राजसिंह आर्य बीच-बीच में अपने मधुर सन्देश से याज्ञिकों को उद्बोध्न भी प्रदान करते रहें।
के माध्यम से परमपिता परमेश्वर की 108 विशेषताओं और गुणों द्वारा स्तुति की जाती रही। यज्ञोपरान्त प्रसिह् भजनोपदेशक पं. कुलदीप आर्य एवं पं. दिनेश आर्य अपने मधुर संगीत से श्रोताओं को भक्तिरस से सराबोर करते रहे।
7 अक्तूबर से 11 अक्तूबर तक सायं 7 बजे से 9:30 बजे तक आदर्श पुरुष वैदिक रीति से संगीतमय वर्णन श्रोताओं मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की कथा का संगीत के माध्यम से 11 अक्तूबर को पं. दिनेश आर्य जी ने अपनी मधुर वाणी द्वारा श्रीराम की कथा का गुणगान कर श्रोताओं को कृतार्थ किया। राम नवमी के नवरात्रों के दौरान हमारे आदर्श श्रीराम के चरित्र का को सचमुच आकृष्ट करता रहा तथा तदनुरूप आचरण की प्रेरणा प्रदान करता रहा।
इस आयोजन के अन्तिम दिवस यानी 12 अक्टूबर को भवन के शिलान्यास का समारोह था। प्रातः 7:00 बजे यज्ञ द्वारा आरम्भ किया गया। इस दिन यज्ञ के ब्र२ के रूप में आर्यजगत् के प्रसिह् विद्वान गीता विशेषज्ञ सौम्यसंत आचार्य अखिलेश्वर जी का वरण किया गया। उनकी मधुर वाणी ने भी याज्ञिकों को प्रभावित किया। यज्ञ के उपरान्त प्रातःराश का प्रबन्ध् था। तत्पश्चात् आर्यजगत् के वयोवृह्द्ध भामाशाह दानवीर महाशय धर्मपाल जी ;चेयरमैन एमडीएच मसालेद्ध के कर-कमलों द्वारा आश्रम के भवन का शिलान्यास और शिलापट्ट का अनावरण किया गया। महाशय जी ने इस आश्रम के भवन निर्माण में एक करोड़ की राशि देने की भी घोषणा की। इस उत्सव में काफी संख्या में लोगों की उपस्थिति रही। सभी के दिलों और मुख पर प्रसन्नता एवं उत्साह दिखाई दे रहा था। इस उत्सव की अध्यक्षता श्री सुरेश चन्द्र अग्रवाल जी ;उपप्रधान, सा. आ.प्र. सभा ने की। आस-पास के लोगों के अतिरिक्त आर्यसमाजों से भी आर्यजनता ने पध्रकर उत्सव की शोभा बढ़ाई। कुछ विशिष्ट अतिथियों ने भी अपनी उपस्थिति से इस समारोह में चार चांद लगा दिये। इन अतिथियों में सर्वश्री जय भगवान अग्रवाल, विद्यामित्र ठुकराल, ताराचंद बंसल, श्रीमती नीलम गोयल, आचार्य सनत्कुमार, धर्मपाल आर्य, विनय आर्य, पद्मचन्द आर्य, डा. योगेशदत शर्मा के नाम उल्लेखनीय है।
समिति अध्यक्ष ब्र. राजसिंह आर्य एवं उनके साथियों के पुरुषार्थ और तप से वर्षों से वीरान पड़ी यह भूमि शीघ्र ही सेवा संस्कृति और साध्ना की मशाल से रोहिणी क्षेत्र के साथ-साथ लोगों के दय को भी आलोकित और उत्साहित कर सकेगी, यह उत्सव द्वारा प्रदर्शित होता है।