जहा एक और दलित वर्ग के लोगों को सामूहिक रुप से ईसाई मिशनरियां जल संस्कार का नाम देकर उन्हें ईसाई मत की गति विधियां बता रही है वहीं शुद्धि के प्रचारक प्रणवमिश्र भी उन्हीं में घुसकर वैदिक धर्म का पाठ पढ़ाकर उन्हें धर्म की राह दिखा रहे हैं।
सन् 1998 में राजपुर कलां (अलीगंज) बरेली गांव के कुछ लोगों को बहका कर ईसाई मत ग्रहण कराने वाले पादरी महेन्द्र जो ईसा गढ़ में अपनी पत्नी के साथ प्रचारक बनकर ग्राम में और यहा पूरे मुहल्ले को ईसाईयत की गर्त में धकेल दिया पुनः चर्च भी मिशनरियों के माध्यम से बना और ईसाई मत के प्रचार के केन्द्र रुप बनकर पादरी महेन्द्र आस-पास के ग्रामों में प्रचार करने लगे इस कार्य की भनक शुद्धि सभ के प्रचारक प्रणव शास्त्री को वर्ष 2011 में लगी उसके बाद पादरी महेन्द्र को शास्त्रार्थ के लिए चैलेन्ज किया उनसे शास्त्रार्थ किया बाइबिल से ही प्रणव शास्त्री ने प्रमाण दिये फिर अपने सम्पर्क में लेते हुए कई बार वहां जाकर वैदिक धर्म का प्रचार किया जिसके चलते ग्राम के सभी ईसाई परिवारों ने 28 अप्रैल 2013 को यज्ञ में आहुति देकर चर्च के समक्ष खड़े होकर संकल्प लिया कि भविष्य में ईसाई (विदेशी) मत का बहिष्कार करेंगे एवं ऋषि-मुनियों के बताए रास्ते पर चलकर अपना जीवन सफल बनायेंगे।
इस कार्यक्रम में इन्द्रमुनि आर्य द्वारा प्रवचन दिये गये प्रणव शास्त्री ने पुरोहित कार्य किया गया एवं उपदेश दिया। इस अवसर पर पुस्तु लाल, विजेन्द्र, अजय जी, रामलाल, किशोर, कविता आदि के साथ 61 लोगों ने ईसाई मत त्याग वैदिक धर्म अपनाया।