महान सुधारक, निर्भीक सन्यासी व स्वतन्त्रता सेनानी स्वामी श्रद्धानन्द ने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के लिए अपने सर्वस्व संपति त्यागकर वैदिक शिक्षाओं के प्रचार हेतु हरिद्वार में गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय की स्थापना की। मानवता के सच्चे पथ-प्रदर्शक बनकर उन्होंने विश्वबंधुत्व का सन्देश दिया। ये उद्गार महाशय धर्मपाल, प्रधान आर्य केन्द्रीय सभा दिल्ली राज्य ने रामलीला मैदान, नई दिल्ली में आयोजित 87वें स्वामी श्रद्धानन्द बलिदान दिवस समारोह पर कहे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्वामी सुमेधानन्द ने कहा कि स्वामी श्रद्धानन्द एक ऐसे व्यक्तित्व हुए है, जिन्होंने वैचारिक क्रांन्ति का उद्घोश किया और वह उस समय जब अंग्रेजों ने हिन्दूओं और मुस्लिमों को बांटने की पुरजोर कोशिश की, परन्तु स्वामी श्रद्धानन्द ने हिन्दू मूस्लिम एकता को कायम कर स्वतन्त्रता संग्राम में अहम् भूमिका अदा की। आज जहां आर्य समाज स्वामी श्रद्धानन्द द्वारा दिखाये गये समाज-सुधारक के मार्ग पर चलकर संस्कृति उत्थान का कार्य कर रहा है वही दूसरी ओर केन्द्र सरकार समलैंगिकता व साम्प्रदायिक सम्बधी कानून बनाकर भारतीय संस्कृति के पतन का कार्य कर रही है। यदि केन्द्र सरकार इस प्रकार के कानूनों को पारित करवाने का प्रयास करती है, तो आर्यसमाज इसका विरोध करेगा और ऐसा कानून नही बनने देगा। प्रख्यात वैदिक विचारक विनय वेदालंकार ने कहा कि स्वामी श्रद्धानन्द ने समाज उत्थान में अग्रणी भूमिका निभाई और गुरुकुलीय शिक्षा प्रणाली को पुनः स्थापित कर भारतीय संस्कृति को जिंदा रखा।
कार्यक्रम में अरुण बंसल, अवधेश गोयल, पी. जायसवाल मुख्य अतिथि थे। दिल्ली आर्यप्रतिनिधि सभा के प्रधान राजसिंह आर्य, वरिष्ठ उपप्रधान धर्मपाल आर्य, महामंत्री विनय आर्य, सुरेन्द्र रैली, अरुण प्रकाश वर्मा, महामंत्री राजीव आर्य, लक्ष्मीशंकर वाजपेयी ने भी श्रद्धानन्द बलिदान दिवस पर प्रेरक विचार रखे। इस अवसर पर माता कैलाशवन्ती, धर्मदेव खुराना, सुरेश कुमार, विजय गुप्ता को उनकी विशिष्ट सामाजिक सेवाओं के लिए शाल व स्मृति चिन्ह् देकर सम्मानित भी किया गया।
सभा के मीडिया प्रबन्धक राहुल आर्य ने बताया की सार्वजनिक सभा से पूर्व विश्व कल्याण यज्ञ किया गया व एक भव्य शोभा यात्रा निकाली गई। यह शोभा यात्रा श्रद्धानन्द भवन नया बाजार, खारी बावली से प्रातः 10 बजे शुरू हुई जिसमें दिल्ली के समस्त 300 आर्यसमाजों व शिक्षण संस्थाओं ने भाग लिया। जिसमें आर्यवीर दल, आर्य वीरागंना दल के सैंकड़ों युवा हाथों में तख्तियाँ लेकर नारे लगा रहे थे। जग को जगाने वाला-आर्यसमाज है, सोया देश जगाने को स्वामी श्रद्धानन्द आये थे, छुआ-छूत भगाने को स्वामी दयानन्द आये थे, शुद्धिचक्र चलाने को-स्वामी श्रद्धानन्द आये थे। दिल्ली की विभिन्न आर्यसमाजों ने इस अवसर पर सुन्दर झाकियाँ दिखाई ।
(राहुल आर्य)
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