Tekken 3: Embark on the Free PC Combat Adventure

Tekken 3 entices with a complimentary PC gaming journey. Delve into legendary clashes, navigate varied modes, and experience the tale that sculpted fighting game lore!

Tekken 3

Categories

Posts

हमारी सेना माकूल जवाब देगी पर

मां एत्थे खतरा तां बहुत ऐ, पर तेरा लाल घबराण वाला नहीं, तेरा लाल बॉर्डर ते डटेया होया.  ये कहते ही वो मां रो पड़ी जिसने आज अपने बेटे को सीमा पर खोया है. जिसके बेटे ने आज सीमा पर  देश के लिए आपा कुर्बान किया है. नक्सली हमले के आंसू अभी सूखे नही थे. कुपवाड़ा का घाव अभी हरा था कि ये जख्म और मिल गया. आज फिर सारा देश रो रहा है. ये हम खाक विश्व शक्ति बनने जा रहे है. जिनकी माओं के आँचल आंसू से तरबतर हो. आज वो माँ कितनी बेबस होगी कि शहीद लाल का सर गोद में रखकर रो भी नहीं सकी. वो पत्नी आज कितनी मजबूर होगी उसका अन्तस् कितनी बार छलका होगा कि पति देश की रक्षा के लिए गया था और बिना गर्दन के वापिस लौटा उसे जी भरकर देख भी ना सकी. वो बच्चे जो खुले गगन में तितलियाँ पकड़ने दौड़ते होंगे आज शहीद बाप का माथा भी नही चूम पाए होंगे जो दुकान से सामान लेकर यह कहकर चलते होंगे पापा आयेंगे तो हिसाब कर देंगे. सुना है उस चौखट पर कुछ दिन बाद नये मकान का गृह प्रवेश था. आज जरुर वो दीवारें भी रो रही होंगी.

आज कुछ खामोसी सी है. आज सीपीआई  नेता कविता कृष्णन ने ट्वीट कर शायद नहीं बताया कि परमजीत व उसके साथी की गर्दन कौन काट कर ले गया? ना आज शायद वो लोग रोये जो बाटला हॉउस पर गीली पलके लिए संसद मे बैठे थे. आज उस 19 साला बच्ची गुरमेहर कौर ने भी नहीं बताया की परमजीत के बच्चों के पापा को किसने मारा? ना आज बिहार के एक नेता भीमसिंह ने बताया की जवान तो मरने के लिए ही होते है. आज वो लोग कहाँ गये जो पत्थरबाजों पर कारवाही करने से संसद सर पर उठा रहे थे? मुझे वो भी दिखाई नहीं दिए जो सर्जिकल स्ट्राइक के बाद वीरता का तसला लेकर वोट मांगने निकले थे. ऐसा नहीं है सब चुप है ना बिलकुल नहीं वो माँ आज फिर रोई पिछले दिनों जिसके शहीद बेटे मंदीप का शव बड़ी ही निर्ममता से क्षत-विक्षत कर दिया था.

लेकिन आज वो कहाँ गये अभिवयक्ति की आजादी वाले जो इन वीर जवानों को पिछले दिनों बलात्कारी कह कर अपनी स्वतन्त्रता का रोना रो रहे थे. हर खबर से टीआरपी ढूंढने वाली मीडिया ने आज प्रायोजक कैसे मांगे होंगे? ये कहा होगा कि जवान का सर मांगे देश और इस भाग के प्रायोजक है…..फलाना ढिमका

अब सहने की सीमा समाप्त हो गयी तभी तो मंदीप की माँ कह रही है कि सरकार अभी और मांओं के लाल के जाने का इंतजार कर रही है! आज वो लाल गमछे वाले योद्धा दिखाई नहीं दिए जो थानों में घुसकर तोड़फोड़ कर अपनी वीरता का कायरता पूर्ण परिचय देते है? आज झोलाछाप राष्ट्रवादी भी सोशल मीडिया पर शायरी कर रहे होंगे. आज उनके कानों में जूं तक नहीं रेंग रही होगी शायद कानों में रुई डाले बैठ गये होंगे या फिर जानबूझकर चेहरा रेत में छुपा लिया है. हो सकता है शहीद की पत्नी की चींखे अच्छी ना लगती हो, हलाला या गौरक्षा का जब मामला आएगा तब फिर शेषनाग की तरह अवतरित हो जायेंगे

आज किसका सीना नहीं फटा होगा जब अरबो रूपये के कर्ज तले दबे एक देश के सैनिको ने आज फिर सीजफायर का उल्लघंन कर गया, फिर भारतीय सैनिकों पर हमला किया और फिर भारतीय सैनिकों के शवों के साथ बर्बरता की. आज वो बयानवीर भी गायब है ना, जो कहते थे एक सर काट कर ले गये हैं, हम दस सर काट कर लायेंगे. अब तो देश को पता चल गया होगा कि असली समस्या सीमा पर नहीं है, समस्या तो दिल्ली में है. अब किसको किसका बयान याद दिलाएं और कितने सैनिको के नाम गिनाये जिनके साथ यह पहले हो चूका है.

भले ही देश इन वीरों का दर्द भूल गया हो पर हेमराज की माँ परमजीत की माँ का दर्द समझ सकती है. कैप्टन सौरभ कालिया की माँ इस दुःख को महसूस कर सकती है जिसके बेटे का शत विक्षत शव कई दिनों सोंपा था. 17 मराठा लाइट इनफैंटरी के 24 साल के भाउसाहब तोलेकर भी थे जिनका सर काटकर पाकिस्तानी दरिन्दे ले गये थे. कितने नाम गिनाऊ शहीद मंदीप का या जून 2008 में गोरखा राइफ्ल्स का एक जवान रास्ता भटक कर पाक सीमा में चला गया था. जिसका कुछ दिनों बाद सर कटा शरीर मिला था.

मैं आज फिर वो चुनावी स्लोगन पढ़ रहा हूँ जिसमे लिखा था सोगंध मुझे इस मिटटी की मैं देश नहीं झुकने दूंगा. आज फिर देश गुस्से में है. पूर्व सेना अधिकारी टीवी चैनलों पर दहाड़ रहे हैं. सब एक बार फिर खुनी प्रतिक्रिया की बाट जोह रहे है. देश टकटकी लगाये दिल्ली के सिहासन की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहा है परमजीत के गाँव में चूल्हों पर तवे उलटे पड़े है उसके साथी दोपहर में उसकी जलती चिता के पास खड़े होकर बदला मांग रहे है .

सबको लग रहा है कि पाकिस्तान की सेना ने तो बेशर्मी की हद कर दी है. ऐसा नहीं है कि भारतीय सेना कमजोर है वह हाथ पर हाथ धरे बैठी रहेगी. वह पहले भी बदला लेती रही हैं. वह इस बार भी जरुर माकूल जवाब देगी. इसमें किसी को कोई शक नहीं है लेकिन सब यही कह रहे हैं कि यह सिलसिला कब थमेगा. पाकिस्तान को कैसे हम करारा जवाब दे. कब तक हम निंदा कर यहाँ दो-दो टके के नेताओं के बयान में उलझे रहेंगे? या फिर इन आंसुओं का हिसाब लेंगे? राजीव चौधरी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *