Categories

Posts

दिल्ली अन्तर्राष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन का उद्धाटन

अन्तर्राष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन का  उद्धाटन
अन्तर्राष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन, दिल्ली 2018 के उद्घाटन समारोह का शुभारंभ महामहिम राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद जी के कर-कमलों के द्वारा हुआ। दीप प्रज्वलन, दीर्घ शंखनाद एवं वैदिक मंत्रोच्चार के साथ उद्घाटन सत्र प्रारंभ हुआ। महामहिम राष्ट्रपति जी ने आर्यों के महाकुंभ को संबोधित करते हुए महर्षि दयानंद सरस्वती के धर्म संस्कृति व राष्ट्र निर्माण में अद्वितीय योगदान के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की। देश की आजादी के आंदोलन में आर्य समाज की विशेष भूमिका उनके बलिदानी इतिहास के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट की।
उन्होंने कहा- यहाँ महर्षि दयानंद के प्रति समर्पण एवं उत्साह लेकर देश के सभी प्रान्तों के लेकर 32देशों से आए आर्य-प्रतिनिधियों को देखकर अपार प्रसन्नता हो रही है। महर्षि अरविंद जी ने कहा था – ष् स्वामी दयानंद सरस्वती मनुष्यों व संस्थाओं के मूर्तिकार हैं। दयानंद सामाजिक एवं आध्यात्मिक सुधार के निर्भीक योद्धा थे। उनके जीवन से प्रभावित होकर स्वामी आत्मानन्द जी, महात्मा हंसराज जी, पण्डित गुरूदत्त विद्यार्थी, स्वामी श्रद्धानंद जी, लाला लाजपत राय जैसे अनेक क्रांतिकारियों ने क्रांति मार्ग में अपना जीवन समर्पित किया। 19वीं सदी म़े महर्षि दयानंद ने अस्पृश्यता निवारण, महिला सशक्तिकरण, समान शिक्षा व्यवस्था, जाति उन्मूलन, पर्यावरण संरक्षण आदि अनेक समस्याओं का समाधान दिया जो आज भी पूरे विश्व के लिए प्रासंगिक बना हुआ है।  वेदमंत्र धर्म और संप्रदाय से उपर उठकर मानवता के लिए एक आह्वान है। अपने हृदय के उद्गार प्रकट करते हुए बताया -कानपुर के एक आर्य संस्थान में उन्होंने पांच वर्ष तक शिक्षा ग्रहण की। उनके माता पिता का आर्य समाज से गहरा संबंध रहा। आर्यसमाज सम्पूर्ण विश्व को एक सार्थक गति दे सकता है।
कार्यक्रम की अन्य गरिमामयी उपस्थितियों में केंद्रीय राज्य मंत्री सतपाल सिंह ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ अपना वक्तव्य आरंभ किया जिसके अंत में उन्होंने महर्षि दयानंद के संदर्भ में एक कविता-“पराई पीड में जलना, मरीजों की दवा होना अरे कोई जाने दयानंद से, धर्म पै जां फिदा होना धर्म पै जां फिदा होना” कविता के माध्यम से अपनी भावनाएं व्यक्त की।
साथ ही गुरूकुल कुरूक्षेत्र के पूर्व कुलपति व तत्कालीन हिमाचल प्रदेश के महामहिम राज्यपाल आचार्य देवव्रत, केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री हर्षवर्धन जी ने भी आर्यसमाज के प्रति अपनी भावनाओं को व्यक्त किया। पूरे कार्यक्रम का मंच संचालन दिल्ली सभा महामंत्री विनय आर्य ने किया। सार्वदेशिक सभा के प्रधान श्री सुरेश चंद्र आर्य ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आर्यसमाज का सम्पूर्ण संगठन राष्ट्र सेवा के लिए सदैव तत्पर रहा है और रहेगा। सार्वदेशिक सभा के महामंत्री प्रकाश आर्य जी ने राष्ट्रपति जी को स्मृति चिन्ह देकर व महाशय धर्मपाल जी ने महर्षि दयानंद का चित्र भेंट कर सम्मानित किया। लाखों की संख्या में सम्पूर्ण वसुंधरा के आर्यजन उपस्थित रहे और अगले तीन दिन तक इस कार्यक्रम का आयोजन जारी रहेगा। इस अवसर पर सिक्किम के राज्यपाल श्री गंगाप्रसाद जी, सांसद स्वामी सुमेधानन्द जी, उत्तरी दिल्ली नगर निगम महापौर श्री आदेश गुप्ता जी, स्वामी धर्मानन्द जी, दिल्ली सभा प्रधान श्री धर्मपाल आर्य समेत अन्य आर्य महानुभावों की उपस्थिति में सुमुधुर वैदिक मंत्रो एवं गीतों से उद्घाटन हुआ

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *