दिल्ली में एक बार फिर गंगा जमुनी तहजीब को छुरा घोप दिया गया। निकिता तोमर की सरेआम हत्या हत्या हो या इससे पहले ख्याला में अंकित सक्सेना गला रेत दिया जाता है। इसी दिल्ली में फिर बसई दारापुर में बेटी को मजहबी गुंडों से बचाते हुए पिता ध्रुव त्यागी की हत्या कर दी जाती है, कभी दिल्ली के मानसरोवर पार्क में किसी रिया को कोई आदिल सरेआम छुरे घोप देता है। कभी मजहबी गुंडे घर में घुसकर किसी डॉ नारंग की पीट-पीटकर हत्या कर देते है। अब एक बार फिर रिंकू शर्मा की लाठी डंडे से पिटाई कर और चाकू घोंपकर उसकी हत्या कर दी।
एक बार फिर बड़े बड़े बुद्धिजीवी और मौलाना धर्मनिरपेक्षता और समाज सुधार का लहंगा पहनकर आयेंगे टीवी स्टूडियो में ठुमके लगायेंगे कहेंगे कि घटना को सांप्रदायिक रंग देने का प्रयास किया जा रहा है। मजहब को बदनाम किया जा रहा है। हमारा मजहब शांति सिखाता है. ऐसी घटनाओं को मजहबी रंग ना दिया जाये. हम इसकी मजम्मत करते है।
ये बात हम इसलिए बता रहे है कि ऊपर दी गयी सभी घटनाओं के बाद यही बयान सुनने को मिले थे। लेकिन जैसे ही बसई दारापुर में ध्रुव त्यागी की हत्या के बाद गाजियाबाद में कुछ लोगों ने मजहबी किरायेदारों को किराए पर कमरा नहीं देने का ऐलान किया तो इस एलान में इस्लाम ढूंढ लिया गया। और पुरे देश में खबर चला दी गयी कि हिंदुस्तान में मुसलमानों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। लेकिन मजहब की सनक के कारण एक के बाद एक हुई दिल्ली की हत्याओं में घटनाओं में मजहब फरार कर दिया गया।
मंगोलपुरी इलाके में जिस रिंकू शर्मा की हत्या हुई बताया जा रहा है शायद पीठ में चाकू घोपना इसी को कहते हैं। जो रिंकू के साथ हुआ. रिंकू शर्मा ने तीन साल पहले हत्यारे इस्लाम की पत्नी को खून देकर उसकी जान बचाई थी। उस वक्त वह उसकी पत्नी बहुत बीमार थी और इलाज के लिए खून की जरूरत थी। बताया जा रहा है कोरोना के दौरान इस्लाम के भाई की भी मदद की थी। लेकिन इस्लाम ने जो अहसान का बदला चुकाया आज दुनिया ने उसे बखूबी देख लिया बता दिया कितना भी अहसान कर लो मजहब की सनक दिमाग में इस तरह समाई है कि एहसान की कीमत छुरे से अदा कर देते है।
ये मत समझना कि आरोपी कोई नाबालिग है या कम उम्र और कम समझदार है। नहीं, कोई 45 साल का है तो कोई 36 साल का, तो कोई 26 साल का। रिंकू को नही पता था कि जिसकी पत्नी और भाई की वह मदद कर रहा है एक दिन वही उसे मौत के घाट उतार देगा।
रिंकू के भाई मनु का आरोप है कि कुछ दिन पहले दशहरा पर राम मंदिर पार्क में प्रोग्राम को लेकर आरोपियों का उसके परिवार के सदस्यों के साथ कहासुनी हो गयी थी। उसके बाद से गली में आते जाते सभी आरोपी जान से मारने की धमकी देते थे। बुधवार रात करीब साढ़े दस बजे चारों आरोपी कुछ अन्य लोगों के साथ रिंकू के घर पर पहुंचे और दशहरा वाले दिन के विवाद का हवाला देते हुए गाली गलौज करने लगे। रिंकू और मनु ने उनका विरोध किया तो जाहिद ने मनु और रिंकू पर लाठी डंडा से हमला किया और मेहताब ने रिंकू पर ताबड़तोड़ चाकू से हमला कर दिया। चाकू रिंकू के रीढ की हड्डी में फंस गया. उसके बाद सभी आरोपी फरार हो गये। मनु व परिवार वाले रिंकू को लेकर संजय गांधी अस्पताल पहुंचे. जहां उपचार के दौरान बृहस्पतिवार सुबह रिंकू की मौत हो गयी। रिंकू की माँ बता रही है कि इतना खून बह रहा था कि पूरी गली भर गई थी। लेकिन हत्यारे मजहबी जिन्नों ने एक बार नहीं सोचा कि जो खून आज मजहब के नाम पर बहा रहे है उसी खून से इस्लाम की पत्नी की सांसे चल रही है।
बीजेपी नेता कपिल मिश्रा, ऐक्ट्रेस कंगना रनौत समेत कई लोग इस मामले में कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने रिंकू शर्मा की हत्या पर कहा, “ये सभी अपराधी पकड़े जाने चाहिए और इनकी सजा केवल फांसी है। दिल्ली पुलिस को चिंता करनी चाहिए कि दिल्ली में इस प्रकार हत्याएं क्यों हो रही हैं। क्या यह केवल एक अलग घटना है, या इसके पीछे बड़ी साजिश है। रिंकू शर्माजी के परिवार को न्याय मिलना ही चाहिए, लेकिन इससे बड़ा सवाल है कि आखिर कब तक हम अपने भाइयो, बेटों को खोते रहेंगे” रिंकू के बाद कौन शिकार होगा? मजहबी आतंक सनक पर काबू पाने के लिए इन प्रश्नों का ईमानदारी से उत्तर ढूंढ़ना होगा। वरना कोई नसरुदीनशाह कोई हामिद अंसारी कोई आमिर खान देश में मुसलमानों के डरे होने आरोप लगाकर इस सवालों को अफीम पिलाकर धर्मनिरपेक्षता की कब्र में दफन करते रहेंगे।
राजीव चौधरी