सम्पूर्ण जीवन वेदवाणी के विचार का विषय है तथा वह कर्म व पुरुषार्थ प्रधान है । हमें ग्यान देती है । सोम से हम छोटे प्रभु का रुप लेते हैं,…
वेद ईश्वरकृत हैं अन्यकृत नहीं, इसमें क्या प्रमाण हैं ?
प्रश्न: वेद ईश्वरकृत हैं अन्यकृत नहीं, इसमें क्या प्रमाण हैं ? उत्तर: जैसा ईश्वर पवित्र, सर्वविद्यावित्, शुद्धगुणकर्मस्वभाव, न्यायकारी, दयालु आदि गुणवाला है वैसे जिस पुस्तक में ईश्वर के गुण-कर्म-स्वभाव के…
वेद संस्कृत में ही क्यों ?
वेद संस्कृत में ही क्यों ? प्रश्न: किसी देश-भाषा में वेदों का प्रकाशन न करके संस्कृत में क्यों किया ? उत्तर: जो किसी देश-भाषा में प्रकाश करता तो ईश्वर पक्षपाती…
हम यग्य,सत्संग, व उपासना से जीवन पवित्र करें
हम यग्य,सत्संग, व उपासना से जीवन पवित्र करें जीवन में पवित्रता के साधन रुप में हाथ धोना , मुंह धोना तथा स्नान का मुख्य स्थान है तो अध्यात्मिक क्शेत्र में…
रिग्वेद प्रथम अध्याय सूक्त सात के मुख्य आकर्षण
रिग्वेद के प्रथम अध्याय के इस सप्तम सूक्त का आरम्भ प्रभु के स्तवन से , प्रभु की प्रार्थना से , उसकी स्तुति से आरम्भ होता है तथा यह स्तुति करते…