प्रचीन काल में पण्ड्व पुत्र महाराज युधिष्टिर के राज्य काल से बहुत पहले की बात है । मद्र्देश के राजा अश्वपति तथा उनकी पत्नि महारानी मालवी बडे ही धर्म परायण,…
यज्ञ से स्वर्गिक आनंद यज्ञ
जो व्यक्ति कृपण होता है , उसका समाज में बहिष्कार कर देना चाहिये ताकि उसमें भी दान की वृति पैदा की जा सके | उसके मस्तिष्क में इस बात को…
किस प्रभु की उपासना करें हम
प्रभु हमारे गन्तव्य है , प्रभु की प्राप्ति ही हमारा अन्तिम लक्श्य है। इस गन्तव्य को , इस लक्शय को हम अपना ग्यान बदाकर तथा प्रजा का पालन करने से…
यज्ञ की अग्नि से घर की रक्षा होती है
हम प्रतिदिन दो काल यज्ञ करें । यग्य भी एसे करें कि इस के लिए आग को दो अरणियों से रगड़ कर पैदा किया जावे । इस प्रकार की अग्नि से…
स्वामी रामेश्वरानन्द सरस्वती
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