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आओ मिलकर वेद बचाएं

आदिकाल से ही श्रेष्ठ कार्यों में बाधा डालने वाले पैदा होते रहे हैं। ऋषियों के यज्ञों का विध्वंस करने वाले भी शास्त्रवेत्ता माने जाते थे। आज जब मैं लक्ष्य की…

जीवात्मा के बाहर भीतर व्यापक परमात्मा को जानना मनुष्य का मुख्य कर्तव्य

संसार में अनेक आश्चर्य हैं। कोई ताजमहल को आश्चर्य कहता है तो कोई लोगों को मरते हुए देख कर भी विचलित न होने और यह समझने कि वह कभी नहीं…

जन्म-मरण धर्मा जीवात्मा

  अपश्य गोपामनिपद्यमानमा च परा च पथिभिश्च्रन्तं| स सध्रीची: स विशुचिवसान आ भुवव्नेष्वंत: || ऋग्वेद १०/१७७/3 अर्थ- मैं (गोपाम`) इन्द्रियों के स्वामी (अनिपद्यमानम) अविनश्वर, नित्य (आ च परा च) शारीर…

ईश्वर भक्ति से मिलती है दुखों से मुक्ति

कोटा, 24 जून। ईश्वर की भक्ति त्रिविध दुखों से मुक्ति दिलाती है। आधि दैविक, आधि भौतिक और आध्यात्मिक तीन प्रकार से मिलने वाले दुखों को दूर करने का एकमात्र उपाय…