मानव विनाशक व्रतियों क दस बन जाआ है किन्तु मन्त्र इन व्रतियों से बचने कई प्रार्थना करते हुए पिता से प्रर्थना करता है कि हम एसी प्रव्रतियों क नश कर…
तप से मेरा ह्रदय विशाल हो
मैं अपनी रक्शसी अदतों को छोडकर दनशील बनूं । सदा तप करता रहूं तथा इस तप से अपनी इन बुराईयोण को जला कर राख कर अपने ह्रदय को विशाल करुं…
सोम से हम स्वस्थ हो छोटे प्रभु बनते हैं
सम्पूर्ण जीवन वेदवाणी के विचार का विषय है तथा वह कर्म व पुरुषार्थ प्रधान है । हमें ग्यान देती है । सोम से हम छोटे प्रभु का रुप लेते हैं,…
वेद ईश्वरकृत हैं अन्यकृत नहीं, इसमें क्या प्रमाण हैं ?
प्रश्न: वेद ईश्वरकृत हैं अन्यकृत नहीं, इसमें क्या प्रमाण हैं ? उत्तर: जैसा ईश्वर पवित्र, सर्वविद्यावित्, शुद्धगुणकर्मस्वभाव, न्यायकारी, दयालु आदि गुणवाला है वैसे जिस पुस्तक में ईश्वर के गुण-कर्म-स्वभाव के…
वेद संस्कृत में ही क्यों ?
वेद संस्कृत में ही क्यों ? प्रश्न: किसी देश-भाषा में वेदों का प्रकाशन न करके संस्कृत में क्यों किया ? उत्तर: जो किसी देश-भाषा में प्रकाश करता तो ईश्वर पक्षपाती…