किसी कवि ने कहा कि सत्ता की कुर्सी हो या नेता का ईमान धरम, चाहे जान हों अपनों की, बिलकुल आती नहीं शरम, पैसों के इस चक्रव्यूह में कहाँ कोई…
किसी कवि ने कहा कि सत्ता की कुर्सी हो या नेता का ईमान धरम, चाहे जान हों अपनों की, बिलकुल आती नहीं शरम, पैसों के इस चक्रव्यूह में कहाँ कोई…