Categories

Posts

जीवात्मा के बाहर भीतर व्यापक परमात्मा को जानना मनुष्य का मुख्य कर्तव्य

संसार में अनेक आश्चर्य हैं। कोई ताजमहल को आश्चर्य कहता है तो कोई लोगों को मरते हुए देख कर भी विचलित न होने और यह समझने कि वह कभी नहीं…

जन्म-मरण धर्मा जीवात्मा

  अपश्य गोपामनिपद्यमानमा च परा च पथिभिश्च्रन्तं| स सध्रीची: स विशुचिवसान आ भुवव्नेष्वंत: || ऋग्वेद १०/१७७/3 अर्थ- मैं (गोपाम`) इन्द्रियों के स्वामी (अनिपद्यमानम) अविनश्वर, नित्य (आ च परा च) शारीर…

त्रैतवाद अर्थात ईश्वर, जीव और प्रकृति में सम्बन्ध

एक माली ने बहुत सुंदर बाग लगाया। एक युवक सुन्दर कपड़े पहने हुए माली से बाग देखने की इच्छा प्रकट करता हैं। माली एक शर्त पर की आप कोई भी…