Categories

Posts

स्त्री जाति के हितों के रक्षक व उद्धारक ऋषि दयानन्द सरस्वती

मध्यकाल में जब भारत कमजोर हुआ और यहां छोटे छोटे राज्य बन गये, साथ ही चहुं ओर अविद्या फैल गई तबयहां विदेशी यवनों के आक्रमण आरम्भ हो गये थे। यह…

ऋषि दयानन्द का संसार, देश व समाज पर ऋण

आज हम जो कुछ भी जानते है उस ज्ञान को हम तक पहुंचानें में हमसे पूर्व के ऋषियों व विद्वानों का महत्वपूर्ण योगदान है। सृष्टि के आरम्भ से अध्ययन अध्यापन…

सत्यार्थप्रकाश: अविद्या दूर कर ज्ञानी बनाता है

दीपक जलाने का अर्थ होता है कि जीवन से सभी प्रकार का अन्धकार व कालिमा को दूर करना। हमारे जीवन में सबसे अधिक अन्धकार ईश्वर व आत्मा के यथार्थ ज्ञान…

अहंकार : अभिमान क्या है

संसार में लोगों की अनगिनत इच्छायें होती हैं और उनकी पूर्ति के लिए व्यक्ति जीवनभर प्रयत्नशील रहता है । जब इन इच्छाओं की पूर्ति हो जाती है और व्यक्ति जब…

साइंस का मूल स्रोत क्या ?

विद्ज्ञाने’ धातु से निष्पन्न होने से वेद शब्द का अर्थ ही ज्ञान होता है और जो विशेष ज्ञान है उसको विज्ञान कहते हैं, जिसको कि अंग्रेजी में साइंस कहा जाता…