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महर्षि दयानन्द की जरूरत क्यों?

आज से लगभग ढाई हजार वर्ष पूर्व गौतम बुद्ध( बचपन का नाम सुद्धार्थ) इस धरा पर हुए। उनका हृदय करुणा और मानव मात्रा के प्रति प्रेम से भरा हुआ था।…

जय हो वीर हकीकत राय

जय हो वीर हकीकत राय। सब जग तुमको शीश नवाय।। जय हो… सत्रहसौ सोलह का दिन था, पुत्र पिता से पूर्ण अभिन्न था। स्याल कोट भी देखकर सियाय।। जय हो……

महर्षि दयानन्द सस्वती की दिव्य दृष्टि

पशु केवल नेत्रों से देखता है-पश्यतीति पशुः। वह विचार नहीं कर सकता। मनुष्य विचारपूर्वक देखता है तथा करता है-मत्वा कर्माणि सीव्यति’ ऋषि बिना नेत्रों के ही अत्रः प्रज्ञा से देखता…