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हुतात्मा महाशय राजपाल की बलिदान-गाथा एवं रंगीला रसूल

सन १९२३ में मुसलमानों की ओर से दो पुस्तकें  “१९ वीं सदी का महर्षि” और “कृष्ण,तेरी गीता जलानी पड़ेगी ” प्रकाशित हुई थी।  पहली पुस्तक में आर्यसमाज का संस्थापक स्वामी…

स्वामी दयानंद का अमृतसर आगमन एवं ईसाई पादरी

स्वामी दयानंद के पंजाब प्रवास के काल में उनका 15 मई, 1878 को अमृतसर में आगमन हुआ। स्वामी जी के अनेक स्थानों पर व्याख्यान हुए जिससे लोगों कि वेदों के…

स्वतंत्र भारत के परतंत्र इतिहास का एक विलुप्त अध्याय

भारत देश के महान इतिहास में लाखों ऐसे वीर हुए हैं जिन्होंने देश,धर्म और जाति की सेवा में अपने प्राण न्योछावर कर दिए। खेद है कि स्वतंत्र भारत का इतिहास…