Tekken 3: Embark on the Free PC Combat Adventure

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मोबाइल फ़ोन तोड़ रहा है रिश्तों की कमर

समय के साथ कदम मिलाकर करना कोई गलत बात नहीं है. लेकिन किसी चीज का इतना भी आदी नहीं होना चाहिए कि बाकी चीजों का अंत ही कर डालें। पिछले दिनों मोबाइल फोन के झगड़े के कारण तीन माह से एक दूसरे से अलग रह रहे पति-पत्नी अब फिर एक साथ रहेंगे, लेकिन इस शर्त के साथ कि पति पत्नी अपना-अपना मोबाइल फोन हमेशा अनलॉक रखेंगे। ऐसे न जाने कितने मामले हर रोज नारी उत्थान केन्द्रों पर पहुँच रहे है।  कांउसिलिंग के लिए जो मामले आते हैं उनमें से 70 से 80  फीसदी मामले ऐसे होते हैं जिनमें पति-पत्नी के बीच हुए विवाद का मुख्य कारण मोबाइल फोन बना। मोबाइल को लेकर कभी पत्नी पति पर शक करती है तो कभी पति पत्नी पर। इसी शक की वजह से बात-बात पर विवाद होता है और मामला तलाक होने तक पहुंच जाता है।

मोबाइल फोन ने भले ही दूरियों को खत्म किया हो लेकिन इसमें कोई दोराय नहीं है कि यही अब वैवाहिक संबंधों को भी बिगाड़ने में अहम भूमिका निभा रहा है। यह तथ्य न मेरे है न आपके, बल्कि महिला आयोग और महिला पुलिस थाने में आ रही शिकायतों के आधार पर साबित हो रहा है। आप जाइये महिला थानों में कुछ देर बैठिये और नजारा देखिये किस तरह मोबाइल के कारण रिश्ते टूट रहे है। विवाहित लड़कियां अपने ससुराल वालों पर आरोप लगाती हुई नजर आती मिलेगी कि मेरी सास को मेरे फोन से एतराज है और ससुराल पक्ष यह कहता मिलेगा कि सारा दिन फोन पर लगी रहती है। पता नहीं कहाँ-कहा बात करती है यानि ससुराल पक्ष बहू द्वारा मोबाइल फोन पर अपने मायके में लगातार बात करना पसंद नहीं करता है। वहीं लड़की पक्ष का तर्क होता है कि उनकी बेटी पर कई तरह की बंदिशें लगाई गई हैं।

अभी तक जिस भारतीय समाज में विवाह को सात जन्मों का बंधन कहा जाता रहा है अब वह सात साल भी चल जाये तो गनीमत समझों क्योंकि शादी के 6 महीने भी रिश्ता मुश्किल से टिक रहा है। जहाँ अभी तक घर टूटने की वजह पति पत्नी में विचार न मिलना, दहेज और घरेलू हिंसा जैसी शिकायत आती थीं, लेकिन अब हर जगह मोबाइल फोन पर ज्यादा बात करने जैसी शिकायत दर्ज हो रही हैं और रिश्तों में अलगाव की नौबत आ जाती है। मोबाइल के कारण विवाद का एक मामला पिछले दिनों नारी उत्थान केंद्र ने निपटाया गया था। पति का आरोप था कि उसकी पत्नी मायके वालों से लंबी-लंबी बातें करती है। फोन के कारण विवाद बढ़ने पर पत्नी ने मायके वालों को बुलाकर पति को ही पिटवा दिया। इससे खफा पति ने पत्नी को मायके में छोड़ दिया। पत्नी ने जब पुलिस से इसकी शिकायत की तो मामला नारी उत्थान केंद्र पहुंचा। जहां दोनों के बीच इस शर्त पर समझौता हुआ कि पत्नी मायके वालों से मोबाइल पर जरूरी होने पर ही बात किया करेगी।

केवल मायका और ससुराल ही नहीं बड़ी संख्या में ऐसे मामले भी आ रहे है जिनमें पति पत्नी एक दूसरे पर विश्वासघात के आरोप लगाते मिलते है। तो कई जगह रिश्ते ही नहीं बल्कि इन्सान भी दम तोड़ रहे है। पिछले वर्ष अप्रैल में बिलासपुर में एक पति अपनी पत्नी का मोबाइल पर किसी अन्य युवक से बात करना बर्दाश्त नहीं कर पाया और तीन साल की बेटी के सामने ही सिलबट्टे से पत्नी पर हमला कर दिया, इससे महिला की मौके पर ही मौत हो गई थी।  

हत्या और तलाक के मामले इसलिए तेजी से बढ़े हैं, क्यों कि नई जनरेशन में एक दूसरे पर विश्वास ही नहीं रह गया। एक तो आज के कामकाजी जीवन में ऑफिस से लेकर बाहर तक लड़के और लड़कियां दोनों ही एक स्पेस और नये साथी को प्राथमिकता देने लगे है। लिहाजा दोनों ही एक दूसरे के प्रति एक अविश्वास से भरे होते हैं। दूसरा सबसे बड़ी बात है कि एक समय पत्नियाँ चूंकि आर्थिक तौर पर पति पर निर्भर होती थी,  जिससे सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा की वजह से तलाक के बारे में सोच भी नहीं सकती थी, लेकिन आज लड़कियां पढ़ीं लिखी तो हैं ही, साथ ही वे आर्थिक तौर पर भी निर्भर हैं इसलिए इस रिश्ते में एक दूसरे के प्रति सम्मान की भावना कम हो रही है। बाकी रही सही कमी सोशल मीडिया पर बन रहे रिश्ते पूरी कर देते है। नये साथी की तलाश पढ़े-लिखे वर्ग में तेजी से उभरकर सामने आई है जहाँ पुराने के साथ जरा सी अनबन हुई कि फट से नये को मैसेज टाइप हो जाता है कि हम इस रिश्ते मुक्ति चाहते है। यानि अब शिकायतों की बाढ़ ये है कि बीवी घर पर ध्यान न देकर पूरे समय फोन पर व्यस्त होती है। या फिर ये कि उनका पति किसी दूसरी लड़की से बात करता है।

इसके अलावा कई मामलों में ये सुनने को आया कि शादी से पहले ही यहाँ तक बात साफ हो जाती है कि पति-पत्नी अपने मोबाइल में स्टोर सोशल मीडिया एप्प्स फेसबुक आदि के पासवर्ड साझा करेंगे। मतलब विश्वास और भावना का एक रिश्ता आज अविश्वास में डुबकी लगा रहा है। विवाह जैसा पवित्र रिश्ता एक फ्रेम में तो फिट आ रहा है लेकिन एक भावनाओं में नहीं। मोबाइल ने इंसानी रिश्तों में इतनी दूरियां पैदा कर दी हैं। लोग साथ में रहते हुए भी आज कल साथ में नहीं रहते हैं। जिसे देखो वो अपने फोन में खोया नजर आता है। वो ये भूल जाता है कि फोन में खोने के चक्कर में वो अपनी जिन्दगी की किन-किन खुशियों को खोता जा रहा है। डिजिटल होती दुनिया ने आपसी प्यार को भी धुंए की तरह हवा में उड़ा दिया है। इससे बड़ी विडम्बना और क्या होगी, हमसफर साथ है, सफर कहीं और है अगर लोग इसी तरह मोबाईल की दुनिया में व्यस्त रहे तो रिश्ते तो दूर बात दुनिया में एक दिन जरा से लगाव के लिए भी हाथ फैलाने पड़ेंगे। जो घर खुशियों से महकते थे उनमें सन्नाटे पसरे नजर आयेंगे।

विनय आर्य

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