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सिक्किम में कुछ इस तरह खुले आर्य समाज के कपाट

यूँ तो 14 मार्च को राजधानी गंगटोक में सुबह से ही वर्षा जारी थी लेकिन आर्य समाज के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं में हर्ष प्रसन्ता उत्साह था। आर्य समाज गंगटोक का नया भवन ओ३म पताका से सजा था। स्थानीय एवं बाहरी आर्यजनों के उत्साह में कोई कमी नहीं दिख रही थी। वैदिक पताका ओ३म का ध्वजारोहण के साथ प्रातः काल 10 बजे वैदिक विद्वानों के ब्रह्मत्व में यज्ञ के साथ कार्यक्रम का आरंभ हुआ। कार्यक्रम का शुभारम्भ वैदिक मंत्रोचारण से किया गया। जिसमें सिक्किम राज्य के महामहिम राज्यपाल गंगाप्रसाद चैरसिया जी एवं राज्य के मुख्यमंत्री प्रेमसिंह तमांग जी तथा आर्य केंद्रीय सभा दिल्ली व आर्य प्रतिनिधि सभा दिल्ली, सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा समेत सिक्किम आर्य समाज के पदाधिकारियों, सदस्यों छात्र छात्राओं ने अत्यंत श्रद्धापूर्वक भाग लिया।

          महाशय धर्मपाल सेवा संस्थान राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री ने किया शिलान्यास

यज्ञ उपरांत महाशय जी के नेतृत्व में वेद मंत्रों के उच्चारण और वैदिक जयघोष के बीच ध्वजारोहण एवं शिलन्यास कार्यक्रम का आरम्भ हुआ। मुख्य अतिथि के रूप में राज्य के राज्यपाल, मुख्यमंत्री उपस्थित थे। इस अवसर पर सेवा संस्थान को अपनी शुभकामना देते हुए राज्यपाल गंगा प्रसाद जी ने कहा आर्य समाज जहाँ भी गया पूरी निष्ठा और ईमानदारी से कार्य किया। ऐसे प्राकृतिक वातावरण के बीच सिक्किम राज्य के होनहार मेधावी एवं निर्धन बच्चों की  शिक्षा के लिए खोला गया यह संस्थान मानवता की भलाई में एक अनूठी मिसाल बनेगा। इसका शिलान्यास करके मुझे अपार हर्ष हो रहा है। मुख्यमंत्री प्रेमसिंह तमांग ने सार्वदेशिक सभा के प्रधान सुरेशचन्द्र आर्य, दिल्ली सभा के प्रधान धर्मपाल समेत महाशय जी को बधाई देते हुए कहा कि अभी ये आरम्भ है। हम आगे भी हर संभव मदद करते रहेंगे। इस अवसर पर महाशय जी ने अपनी अपार प्रसन्नता प्रकट करते हुए सभी को अपना आशीर्वाद दिया। इसके उपरांत सभी आर्यजन भोजन एवं कार्यक्रम के अगले चरण के लिए चिंतन भवन रवाना हुए।

          कार्यक्रम का अगला चरण गंगटोक का चिंतन भवन में आरम्भ हुआ

शिलान्यास की नीव रखने के उपरांत सभी आर्यजन गंगटोक के नामनांग स्थित चिन्तन भवन पहुंचे दोपहर के भोजन के पश्चात कार्यक्रम को असली जामा पहनाया गया। सुंदर व्यवस्थित भवन के अन्दर सभी लोग अपनी-अपनी जगह विराजमान हुए। विनय आर्य ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए पूर्वोत्तर भारत समेत बंगाल आर्य समाज सिलीगुड़ी आर्य समाज तथा दिल्ली से भाग लेने वाले सभी आर्यों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए हुए कि राज्य के राज्यपाल गंगा प्रसाद इस एतिहासिक कार्य लिए आर्य समाज के इतिहास में हमेशा जाने जायेंगे। हमने कुछ दिन पहले उसने गंगटोक में आर्य समाज के लिए भूमि की मांग की थी जिसे उन्होंने बेहद अल्प समय में न केवल पूरा किया बल्कि आवंटित भूमि के कागज भी सौंप दिए। आज सिक्किम की धरा पर जो ये नया अध्याय जुड़ा यह राज्यपाल जी और मुख्यमंत्री जी की संयुक्त भावना का गठजोड़ है।

कार्यक्रम में पूर्वोत्तर राज्य समेत पश्चिम बंगाल एवं नेपाल के बच्चों ने देशभक्ति तथा सास्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया।

महामहिम राज्यपाल एवं सिक्किम मुख्यमंत्री का स्वागत मंच पर आगमन बेंडवादन की धुन पर राष्ट्रगान हुआ

स्वागत भाषण में प्रकाश आर्य जी का वैदिक चिंतन

इसके उपरान्त मंच पर स्वागत भाषण के लिए वैदिक चिन्तक, कवि प्रखर वक्ता वरिष्ठ वकील सार्वदेशिक सभा के मंत्री प्रकाश आर्य जी ने अपने स्वागत उद्भोधन का आरम्भ करते हुए कहा कि दुनिया ने कहा आगे बढों लेकिन स्वामी का चिंतन बेहद दूरदर्शी था स्वामी जी ने कहा कि पहले वेदों की ओर लौटों फिर आगे बढों। क्योंकि इसी रास्ते से योगिराज श्रीकृष्ण और मर्यादा पुरषोत्तम राम चन्द्र जी उन्नति के शिखर पर पहुंचे थे। उन्होंने स्वामी के चिंतन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि स्वामी का चिंतन वेद पर आधारित था और यही चिंतन आर्य समाज के रूप में विश्व भर में फैला। आज सिक्किम में राज्यपाल और मुख्यमंत्री और इनके मंत्रिमंडल में वेद एवं आर्य समाज का चिंतन दिखाई पड़ रहा है इस कारण सिक्किम के इतिहास में एक और नया अध्याय जुड़ गया जिसकी सिक्किम को महती आवश्यकता थी।

जब नेपाली बच्चों द्वारा किया वेद के मंत्रो का गान

प्रकाश आर्य के उदबोधन के पश्चात नेपाली बच्चों द्वारा बेहद सुंदर ढंग से वेद के मंत्रो के गान ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। उपस्थित जनसमूह की करतल ध्वनि से पूरा चिंतन भवन गूंज उठा। इसके पश्चात बच्चों द्वारा नेपाली भाषा में आर्य समाज का चिंतन प्रकट किया गया तथा साथ ही वेद का मनोरम सन्देश दिया।

सिक्किम का आर्य समाज तीन महानुभावों राज्यपाल गंगाप्रसाद जी, मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग और आदर्शों के धनी महाशय धर्मपाल जी को हमेशा स्मरण करेगा। स्वामी सम्पूर्णानन्द सरस्वती

मंच से सामूहिक वेदगान के बाद आर्य समाज के प्रसिद्ध विद्वान सम्पूर्णानन्द ने वैदिक उद्घोष करते हुए कहा कि दुनिया की सबसे ताकतवर हथियार विचार होता है स्वामी दयानन्द जी के दिए विचार के कारण देश आजाद हुआ। उनके विचार का ही बल था कि सैंकड़ों लोग देश की स्वतंत्रता में आहूत हो गये। विश्व को वेद का सन्देश दिया। आज उनकी वैदिक विचारधारा हम सभी को सिक्किम ले आई उन्होंने कई मिसाल देते हुए सिक्किम के राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री को सादगी एवं सरलता की प्रतिमूर्ति बताते हुए कहा कि सिक्किम में जली यह वेद की ज्योति एक दिन विश्व को जगमग करेगी तथा सिक्किम का आर्य समाज तीन महानुभावों राज्यपाल गंगाप्रसाद जी, मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग और आदर्शों के धनी महाशय धर्मपाल जी को हमेशा स्मरण करेगा।

अज्ञानता के तम को मिटाकर उजाले की ओर बढ़ेंगे… सुरेश चन्द्र आर्य प्रधान सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा

इसके उपरांत जब मंच पर आर्य समाज द्वारा दुनिया की 10 हजार से अधिक संस्थाओं के यशस्वी प्रधान सुरेशचन्द्र जी आर्य मंच की ओर बढे। कार्यक्रम उपस्थित समस्त लोगों द्वारा उनका करतल ध्वनि से सभी ने उनका स्वागत किया। सौम्यता की जीवित प्रतिमूर्ति सुरेशचन्द्र जी आर्य ने वैदिक ध्वनि से अपने उदबोधन का आरम्भ करते हुए सभी के प्रति अपना आभार अभिनन्दन प्रकट करते हुए कहा कि आर्य समाज जहाँ भी गया वहां से अंधकार का तम मिटाकर उजाले का प्रकाश किया। आज इस संस्थान की नीव आर्य समाज और सिक्किम के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी। इस संस्थान से सभी का कल्याण होगा और जल्द ही यह संस्था सिक्किम के बच्चों को सामाजिक, बौद्धिक, नैतिक आध्यात्मिक संस्कार देते हुए शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति लाएगी। हमारे देश की प्रतिभा देश के लिए कार्य करेगी तभी इससे सभी का कल्याण होगा। उन्होंने अपने अभिभाषण के दौरान राज्यपाल गंगाप्रसाद जी मुख्यमंत्री प्रेमसिंह समेत सभी दानदाताओं तथा उपस्थित आर्यजनों का आभार व्यक्त करते हुए आगे कहा कि आज परमपिता परमात्मा ने यहाँ आने का अवसर दिया। सिक्किम के लोगों के लिए उनके कल्याण के लिए स्वामी के दर्शन अनुसार हमेशा आर्य समाज कार्य करता रहेगा।

वेद की वाणी से होगा संसार का कल्याण.. प्रेम सिंह तमांग मुख्यमंत्री सिक्किम सरकार

यूँ तो सिक्किम राज्य में अंग्रेजी नेपाली लिम्बू लेप्चा कई भाषाओँ का मूल संगम है। लेकिन जब मुख्यमंत्री प्रेमसिंह ने हिंदी में अपना भाषण शुरू किया तो खचाखच भरा चिंतन भवन तालियों की गडगडाहट से गूंज उठा। हालाँकि उनका हिंदी में यह दूसरा भाषण था लेकिन जब वह बोले तो सभी हिंदीभाषियों का मन मोह  लिया। उन्होंने अपने भाषण में महाशय जी और आर्य समाज से जुड़े लोगों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि परम आदरणीय पद्मभूषण आदरणीय महाशय जी का सिक्किम की धरा पर स्वागत है। इस हिमालयी राज्य में सब कुछ यदि कुछ कमी थी तो सिर्फ आर्य समाज की जो आज पूरी हो गयी। मेरी ओर से आर्य समाज का स्वागत है क्योंकि आर्य समाज एक ऐसी संस्था है जो मनुष्य को पूर्ण विकसित करने की हिम्मत रखती है और आचरण को बढ़ावा देती है। उन्होंने आगे कहा कि हमें सोचना होगा कि एक समय हमारे देश का नाम आर्यवृत था और सोभाग्यशाली जाति और मनुष्य ही इस देश में जन्म लेते रहे है। हम सभी को गर्व करना चाहिए कि हम सब भारतीय है।

मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने अपने उदबोधन में वैदिक दर्शन के मूल्यों से परिचित कराते हुए कहा कि एकता, अखंडता भाईचारे को आगे बढ़ाने की एकमात्र परम्परा यज्ञ है। हमें नहीं भूलना चाहिए कि पंचतत्व में एक तत्व अग्नि भी है उसी का रूप यज्ञ है जो समस्त महामारी को समाप्त कर देता है। उन्होंने अपने राजनितिक विरोधियों पर हमला करते हुए सभी को बताया कि पिछली 25 साल की सरकार ने आर्य समाज को कोई भवन नहीं दिया लेकिन हमारी दस महीने की सरकार ने आज महाशय जी के आशीर्वाद से सिक्किम में आर्य समाज को खड़ा कर दिया। पिछली सरकार ने 25 साल में सिर्फ 27 संस्कृत अध्यापक दिए लेकिन हमने 6 माह में 170 संस्कृत अद्द्यापकों को नियुक्त किया ताकि हमारी वैदिक संस्कृति का तेजी से बच्चों के मन में फैलाव हो। मुख्यमंत्री ने आर्य समाज के अतीत और वर्तमान के कार्यों विस्तारपूर्वक बताते हुए कहा कि आर्य समाज की संस्था ही देश और सिक्किम को आगे ले जा सकती है क्योंकि वेद सबके लिए है और वेद में सब कुछ है। अब हमारी सरकार जल्द ही गुरुकुल पद्धति से शिक्षण कार्य आरम्भ करने जा रही है। उन्होंने इस एतिहासिक कार्य के लिए सिक्किम के राज्यपाल गंगाप्रसाद का आभार व्यक्त करते हुए आगे कहा कि 6 दशक पहले सिक्किम में आर्य समाज आया था लेकिन आज राज्यपाल गंगाप्रसाद जी बदोलत सिक्किम में एक आशा की नई ज्योति जल गयी। हमें उम्मीद है महर्षि दयानन्द छात्रावास एवं महाशय धर्मपाल सेवा संस्थान पूर्वोत्तर राज्यों में आर्य समाज के द्वार खोलने के साथ ही सिक्किम को एक आदर्श प्रदेश की ओर ले जायेगा। हमारे बच्चें संस्कार और शिक्षा के धनी होंगे। मुख्यमंत्री ने हिंदी भाषा को लेकर भी अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि हिन्दी भाषा ही देश को एकता अखंडता के सूत्र में बांध सकती है। सिक्किम की धरती पर सभी आर्यजनों का स्वागत है आकर प्रदेश के लिए कार्य करें तथा सिक्किम को सांस्कृतिक रूप से और अधिक समर्ध करें।

आज स्वामी जी द्वारा देखे गये सपने को और एक पंख लग गया अब सिक्किम में भी जल उठी वेद की ज्योति

गंगाप्रसाद चैरसिया महामहिम राज्यपाल सिक्किम

जैसे ही गंगाप्रसाद जी अपने भाषण के लिए खड़े हुए सभी ने खड़े होकर उनका स्वागत किया। सादा-सरल जीवन और धार्मिक-सामाजिक मनोभाव लिए गंगाप्रसाद जी ने मंच से सभी स्वामी के सपने कृण्वंतो विश्वमार्यम को स्मरण कराते हुए आर्य समाज के नियमों का हवाला देते हुए कहा आर्य समाज दूसरे की उन्नति में हमेशा अपनी उन्नति समझता आया है। अब निसंदेह सिक्किम में आर्य समाज का आना इसे एक नई ऊंचाई प्रदान करेगा। सिक्किम में आर्य समाज काम करेगा उसके पीछे खड़ी है। उन्होंने अपनी सादगी और सरलता और आर्य समाज के प्रति निष्ठा को दर्शाते हुए कहा कि मेरा अनुरोध है बाहर स्टाल पर सत्यार्थ प्रकाश आदि आर्ष ग्रन्थ है सभी को कोई ना कोई पुस्तक खरीदकर अवश्य ले जानी चाहिए। आर्य समाज और इन ग्रंथो से अज्ञानता दूर होगी और वास्तविकता का प्रचार होगा। भारतीय संस्कृति धर्म एवं सामाजिक रूप से संपन्न करने का कार्य करेगी। उन्होंने सभी आर्यजनों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम के अंत में विनय आर्य द्वारा इस कार्यक्रम के लिए राज्यपाल, मुख्यमंत्री एवं संस्था के सभी पदाधिकारियों समेत सभी को बधाई दी। कार्यक्रम का संचालन दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा के महामंत्री विनय आर्य ने किया। इस अवसर पर सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा के प्रधान सुरेशचन्द्र आर्य, मंत्री प्रकाश आर्य, दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा प्रधान धर्मपाल आर्य अखिल भारतीय दयानंद सेवाश्रम संघ के महामंत्री जोगेंद्र खट्टर, आर्य केन्द्रीय सभा दिल्ली राज्य के महामंत्री सतीश चड्ढा, अरुण वर्मा, श्रीमती बीना आर्य एवं सिक्किम आर्य समाज की ओर से मेघनाथ उप्रेती, रूपनारायण शिवाकोटी, पदमलाल बतोला आर्य समाज गंगटोक के प्रधान जगदीश जी समेत पश्चिम बंगाल, झारखण्ड, असम नागालेंड के कार्यकर्ता, छात्र छात्राएं शिक्षक सन्यासी उपस्थित रहे।

महाशय धर्मपाल जी ने सभी आर्यजनों को आगे बढ़कर आर्य समाज के कार्यों को करने की प्रेरणा दी और आशीर्वाद दिया। सभी ने मिलकर शांति पाठ किया और राष्ट्रगान की धुन पर कार्यक्रम का सुन्दर समापन हुआ।

विनय आर्य

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