अर्थ – जो (अध आसु) इन चारों दिषाओं में (मन्द्रः) प्रसन्नता का हेतु (अरतिः) गतिषील (विभावा) दीप्तिमान् (द्विवर्तनिः) इस लोक-परलोक दोनों का आश्रय (वनेशाट्) बांटकर खाने वाला (अवस्यति) सेवाभावी (ऊध्र्वः…
अंतरास्ट्रीय आर्य महासम्मेलन दक्षिण अफ्रीका-2013 सम्पन्न
सार्वदेशिक सभा के अन्तर्गत लगभग भारतीय 150 प्रतिनिधि पहुंचे डरबन
तुम उसे नही जानते
न तं विदाथ य इमा जजानान्त्यद्युष्माकमन्तरं बभूव। नीहारेण प्रावृता जल्प्या चासुतृप उक्थशासश्चरन्ति।। ऋग्वेद 10/82/7 अर्थ- हे मनुष्यों! तुम (तम्) उस परमेश्वर को (न) नहीं (विदाथ) जानते हो जो (इमा) इन…
गुरु से बड़ा कौन – ईश्वर
गुरु गोविंद दोनों खड़े, काके लागूं पांव। बलिहारी गुरु आपनो, गोविंद दियो बताय।। गुरुड्म की दुकान चलाने वाले कुछ अज्ञानी लोगों ने कबीर के इस दोहे का नाम लेकर यह…
पुस्तकों से दोस्ती
आर्यसमाज की सबसे मूल्यवान धरोहर अगर कोई है तो वह है उसका साहित्य। आर्यसमाज से सम्बन्धित साहित्य का परिचय आज की युवा पीढ़ी अवगत करवाना हमारी जिम्मेदारी बनती हैं। इस…