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काश: एक ऐसे तीर पहले चल गये होते

बचपन में मैंने पढ़ा था कि अति सर्वत्र वर्जयेत्’ अर्थात् अति का सभी जगह निषेध है। लेकिन इसका सही अर्थ अब समझ आया जब अंडमान निकोबार के द्वीप समूह के…

वेदों में वर्णित कृषि-विज्ञान की आधुनिक उपयोगिता

– डॉ. भारती आर्य कृषि-विज्ञान मानव जीवन से साक्षात् रूप से जुड़ा हुआ है। कृषि के द्वारा ही अन्न की प्राप्ति होती है। अथर्ववेदद के अनुसार अन्न ही सभी प्राणियों…

साल 84: दाग अभी धुले नहीं

भारतीय न्याय व्यवस्था पर कितना गर्व करें और कितनी शर्म ये तो सभी लोगों का अपना-अपना नजरिया है। लेकिन कुछ मामले ऐसे होते हैं जो संवेदना के साथ-साथ समय रहते…

दिव्य दयानन्द का दिव्य चिन्तन

-आचार्य चन्द्रशेखर शास्त्री, अन्तर्राष्ट्रीय कथाकार, सम्पादक अध्यात्म पथ आर्य समाज के संस्कापक महर्षि दयानन्द सरस्वती दिव्यगुणों से युक्त थे। उनका व्यक्तित्व महान एवं प्रेरक था, वे आदित्य ब्रह्मचारी, परम आस्तिक…

दयानन्द-दर्शन एवं वाग्डमय के मर्मज्ञ

स्मृतिशेष डॉ. भवानीलाल भारतीय -डॉ. विनोदचन्द्र विद्यालंकार कुछ वर्ष पूर्व के वे दिन आज भी स्मृति-पटल पर अंकित हैं, जब डॉ. भवानीलाल भारतीय सपत्नीक हरिद्वार आये थे और अपने प्रिय…