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विश्व की आध्यात्मिक व भौतिक उन्नति का आधार ‘पंचमहायज्ञविधि’

महर्षि दयानन्द जब सन् 1863 में कार्यक्षेत्र में उतरे तो उन्होंने पाया कि सारा भारतीय समाज अज्ञान, अन्धविष्वास एवं कुरीतियो से ग्रसित है। भारतीय समाज की यह दुर्दषा लगभग 5…

वेदों में प्रतिपादित समाजवाद: आदर्श समाज निर्माण का सर्वश्रेष्ठ सिद्धांत

संसार में अनेक वाद प्रचलित हैं। इनमें आस्तिकवाद, नास्तिकवाद, एकेश्वरवाद, बहुदेव वाद, भोगवाद, त्यागवाद, साम्यवाद, समाजवाद इत्यादि। वेद इन सबकी उद्गम स्थली हैं पक्ष-विपक्ष के रूप में वहां इन सभी का…

गुरूकुल शिक्षा प्रणाली बनाम् पब्लिक स्कूल

मानव सन्तान को षिक्षित करने के लिए एक पाठषाला या विद्यालय की आवष्यकता होती है। बच्चा घर पर रह कर मातृ भाषा तो सीख जाता है परन्तु उस भाषा, उसकी…

ईश्वर साक्षात्कार के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मत -मतान्तरों की भिन्न उपासना पद्धत्तियों के एकीकरण की आवशयक्ता

हम ईश्‍वर को मानते हैं और हमें आस्‍तिक कहा जाता है। संसार के अधिकांश मत व सम्‍प्रदाय, सनातन धर्मी, जरदुश्‍त व पारसी, ईसाई, इस्‍लाम आदि ईश्‍वर के अस्‍तित्‍व में विश्‍वास…

सूर्योदय होने पर यज्ञ करें

अर्थ -(मातरिशवन ) वायुवत गमनागमन करने वाले जीवात्मन् (यावत मात्रम ) जितने काल तक (उषस: प्रतीकम) उषा देवी का दर्शन होवे और (सुपर्णय: वसते) उड़ने वाले पक्षी उसके मुख को…